धीरेन्द्र शास्त्री की शरण में जाने पर प्रीतम लोधी हुए ट्रोल,पुराना VIDEO आया सामने , पेंट में पेशाब कराने की धमकी देते सुनाई दे रहे है प्रीतम,डॉ गिरीश ने किस तरह धोया

शिवपुरी। कथा बाचकों और ब्राह्मणों को आपत्तिजनक शब्दों को लेकर सुर्खियों में रहने के बाद पार्टी से निश्कासित होने के बाद भले ही भाजपा ने अपने निर्णय को बदलकर प्रीतम लोधी को बापस भाजपा में शामिल कर लिया है। परंतु इस मामले को लेकर प्रीतम लोधी की किरकिरी लगातार बरकरार है। कल तक जिस धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री को सामने देखकर पैंट गीली करने की धमकी देने बाले प्रीतम लोधी अब राजनीतिक चासनी को चूसने को लेकर अब उसी धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री की शरण में चले गए है। जिसे लेकर बुद्धिजीवियों ने उसकी इस प्रतिक्रिया पर जमकर चुटकी ली है। इसे लेकर शहर में आंखों के डॉक्टर गिरीश चतुर्वेदी जी ने अपनी पतिक्रिया दी है उसे हम सशब्द प्रकाशित कर रहे है।
पढिए क्या लिखा है डॉ गिरीश चतुर्वेदी जी ने
जातिगतस्वाभिमानकाआर्त्तनादऔर_सत्ताजीवी
“कथावाचक और पंडित पागल बनाते हैं। ये लोग सुंदर महिलाओं के घर जाकर कहते हैं कि आज शाम का भोजन आपके यहीं करेंगे। उनकी नजर कहीं और ही होती है।”-प्रीतम लोधी
“तुम कहते कथावाचकों की क्या ज़रूअत.. मूर्ख, मसल दूंगा तुझे। प्रीतम लोधी मिल जाए तो बाकी ठठरी बांध दूँ..”- बाबा बागेश्वर
ये दोनों वाक्य मप्र की राजनीति के धर्म के उपहास परंतु धर्म की राजनीति के अट्टहास के द्योतक हैं.. बाबा सुंदर हैं, वाचाल हैं, मनमोहक हैं.. दूसरी और प्रीतम बाहुबली है, धनिक है, जाति से लोधी है..
चुनावी रणभेरी बज चुकी है.. साम, दाम, दण्ड और भेद.. इन नियमों पर राजनैतिक पार्टियाँ दोनों ओर के योद्धाओं की तलाश शुरू कर चुकी हैं..
बाबा के सर पर धर्म की ध्वजा है.. प्रीतम के पास डंडा है.. सत्ता के रथ पर धर्म का झंडा फहराना बीजेपी की राजनैतिक मजबूरी है। व्यवसाय को बनाये रखना और आपराधिक मुक़दमों में सत्ता का साथ रहना प्रीतम की व्यक्तिगत मजबूरी है..
ब्राह्मणों का मूल कर्म था संध्यावन्दन युक्त यज्ञ कार्य..
ज्ञानमूर्ति वेदज्ञ द्विज वह कर्म कराते थे और यजमान श्रद्धापूर्वक सहभागिता करते थे।
बाकी बचे समय को काटने के लिये कथा कहानी का वाचन वाद्यो के साथ सूतजन करते जिससे पूर्व के उत्तम कुलो के कृतत्व का स्मरण , नायक प्रतिनायको का चरित्रचित्रण द्वारा लोकरञ्जन होता था रात्रिकाल मे.. उसमे भी वेदज्ञ जन इसमे भाग नही लेकर उपनिषद का चर्वण करते थे।
समय बीता और ये दिन आ गये। जिन्हे यज्ञक्रम मे दीक्षीत होकर स्वाहाकार से वायुमंडल भरदेना था वो सूत कर्म मे पड गये और प्रीतम जैसों को ब्राह्मणों पर उँगली उठाने का मौक़ा मिल गया।
सुनते हैं इस बार चुनाव कठिन है!! दोनों पार्टियाँ मुद्दों, जातिगत समीकरण और प्रत्याशी चयन तक में कोई राजनैतिक ग़लती नहीं करना चाहतीं.. पर वो जनता को भोलभाला मानती हैं.. इसीलिए आज निष्कासन और कल पार्टी में वापस लेने की नौटंकी केवल जनता को दिखाने को है।
दूसरे, पार्टी से निकाले जाने पर प्रीतम की बग़ावत ने बीजेपी को अंदर तक हिला दिया। उसने सरेआम नीला पट्टा पहना और ओबीसी महासभा के बैनर के तहत ताबड़तोड़ रैलियाँ करके सत्ता को चुनौती देकर अपने राजनैतिक महत्त्व का अहसास दिला दिया।
अब इस मधुर-मिलन के फ़ोटो के राजनैतिक मायने समझिए.. प्रदेश में लगभग 40 लाख ब्राह्मण मतदाता हैं जो सीधे सीधे लगभग 66 सीटों को प्रभावित करते हैं जो कि कुल मत का लगभग 9% है। लोधी लगभग 65 सीटों को प्रभावित करते हैं वो भी कुल मतों का लगभा 8% हैं। शिवराज सिंह जी ने पहले भी प्रीतम और बाबा बागेश्वर विवाद का पटाक्षेप स्वयं ने कराया था।
क्योंकि प्रीतम का बयान था कि मैं बसपा, सपा, भीम आर्मी और आम आदमी पार्टी को एक छत के नीचे लाने में लगा हूं। हम एक गठबंधन बनाएंगे। 50 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। हम चंबल संभाग, बुंदेलखंड और मालवा में ही चुनाव लड़ेंगे।
इसी डर से बीजेपी ने प्रीतम को वापस लिया और इस फ़ोटो के माध्यम से जनता को ये संदेश देने का प्रयास है कि ब्राह्मण और लोधी विवाद का पटाक्षेप हो चुका है और दोनों अब एक ही नाव में सवार हैं..
नई बीजेपी जानती है कि उमा जी को राजनैतिक हाशिये पर रखने के लिए आपराधिक छवि के बावजूद प्रीतम को बल देना ज़रूरी है जिससे कई सीटों पर लोधी वोट बैंक सधेगा.. रही बात ब्राह्मणों की तो वो तो पहले ही हिंदुत्व की अफ़ीम चाट के हमारी झोली में बैठे ही हैं बाक़ी का काम बाबा बागेश्वर के धार्मिक कार्यक्रमों से हो ही जाएगा।
“मतलब पड़ा तो सारे अनुबंध हो गए।
नेवलों के भी साँपों से सम्बंध हो गए।”
इतिश्री ब्राह्मण प्रीतम कथा
इसके साथ ही शहर के पत्रकार नेपाल सिंह बघेल ने प्रीतम लोधी का एक पुराना वीडियों अपलोड किया है। जिसमें धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री पर मसलकर रख देने के बयान के बाद प्रीतम लोधी कहते हुए सुनाई दे रहे है कि प्रीतम लोधी कोई छोटा मोटा आदमी तो नहीं है। अंगूर है जो मसल देगा। प्रीतम लोधी को मसलने के लिए फिर तागतबर आदमी चाहिए। में कह रहा हूं कि जो मसल दे वह सामने तो आ जाए। एक बार सामने आ जाए फिर अगर पेसाब नहीं कर ले,पजामा नहीं बिगाड ले तो कहना।
देंखे वायरल वीडियों
बताया जा रहा है कि यह वीडियों उस समय का है जब कथा बाचकों को आपत्तिजनक शब्द बोलने को लेकर सुर्खियों में आए प्रीतम लोधी पर धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने मंच से ठठरी के बरे और सामने आने पर मसलकर रख देने की बात कही थी। उसके बाद प्रतिक्रिया में प्रीतम लोधी ने यह बात कही थी। कुल मिलाकर दोनों ही मामलों में राजनीति के चलते इंसान किस तरह से झुकता है यह इस मामले में स्पष्ट समझ में आ रहा है।
