फर्जी अंकसूची लगाकर आंगनवाडी कार्यकर्ता बनी बैठी कमलेश पर FIR के 27 दिन बाद भी विभाग नहीं कर रहा पद से पृथक

करैरा। खबर जिले के करैरा अनुविभाग के ग्राम पंचायत उडवाह से आ रही है। जहां बीते 14 फरवरी को आंगनवाडी कार्यकर्ता पर हुई एफआईआर के बाद भी आज दिनांक तक सीडीपीओं प्रियंका बुनकर इन्हें संरक्षण देकर बैठी है। जिसके चलते एफआईआर के 27 दिन बीत जाने के बाद भी आज दिनांक तक इन्हें पद से पृथक नहीं किया है। ऐसा नहीं है कि यह एफआईआर विभाग द्धारा कराई गई है। बल्कि विभाग में पीडित द्धारा लगातार शिकायत करने के बाद भी इसपर कोई कार्यवाही नहीं की उसके बाद पीडिता ने माननीय न्यायलय की शरण लेकर इस मामले में आंगनवाडी कार्यकर्ता पर एफआईआर दर्ज कराई है।

जानकारी के अनुसार बीते 14 फरवरी को माननीय न्यायालय ने एक मामले में सुनवाई करते हुए उडवाह ग्राम पंचायत की आंगनवाडी में पदस्थ कार्यकर्ता कमलेश कुशवाह पत्नि मंगल कुशवाह की अंकसूचियों को जाली बताते हुए एफआईआर के आदेश पुलिस को दिए थे। साथ ही इस मामले में पुलिस को तत्काल आरोपी को गिरफ्तार करने की बात कही थी। उसके बाद पुलिस ने इस मामले में आरोपी महिला कमलेश कुशवाह के खिलाफ प्रकरण क्रमांक आरसीटी 33 2023 धारा 420,468,471 के तहत मामला दर्ज करने के आदेश दिए थे।

इस मामले में पुलिस ने जैसे ही मामला दर्ज किया उसके दो दिन बात आरोपी कमलेश कुशवाह ने इस मामले में माननीय न्यायालय से ​अग्रिम जमानत याचिका दर्ज कराई। ​इस मामले में माननीय न्यायालय ने मामले की गंभीरता देखते हुए इस याचिका को खारिज कर दिया। अब इस मामले को 27 दिन बीत जाने के बाद भी महिला बाल विकास विभाग की जिम्मेदार सीडीपीओ प्रियंका बुनकर इन्हें अभय दान दिए हुए है। आज दिनांक तक इन्हें पद से पृथक तक नहीं किया जा सका।

क्या था मामला
दरअसल वर्ष 2011 में करैरा परियोजना में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भर्ती के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग ने विज्ञप्ति जारी कर आवेदन आमंत्रित किए थे। इस दौरान ग्राम उड़वाहा निवासी महिला कमलेश पत्नी मंगल सिंह कुशवाह ने आवेदन किया था । कमलेश ने आवेदन के दौरान कक्षा 8 की फर्जी अंकसूची बनवाकर आवेदन के साथ लगाई थी। इसके अतिरिक्त उसने अपने ससुर के बीपीएल कार्ड में काटछांट करके खुद का व अपने पति का नाम उसने जोड़ लिया। इस राशन कार्ड की छायाप्रति भी आवेदन के साथ लगाई गई ताकि उसे बीपीएल राशन कार्ड धारक होने के दस नंबर अतिरिक्त मिल सकें ।

अंततः कमलेश अपनी कारगुजारी में कामयाब हो गई और उसकी पदस्थी उड़वाह में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के रूप में कर दी गई। उड़वाहा से ही अनीता पत्नी गब्बर सिंह कुशवाह नाम की एक अन्य महिला ने भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के पद पर आवेदन किया था। उसे कमलेश के दस्तावेजों पर संदेह हुआ तो उसने दस्तावेज प्राप्त कर मामले की शिकायत जेएमएफसी न्यायालय करैरा में दर्ज कराई। जेएमएफसी न्यायालय करैरा में मामले की सुनवाई के बाद कमलेश पत्नी मंगल सिंह कुशवाह निवासी उड़वाहा पर कमलेश के विरुद्ध धारा 420, 467, 468 आईपीसी के तहत प्रकरण दर्ज कर संज्ञान में लिया जाता है।

बताया गया है कि कमलेश ने नौकरी पाने के लिए इस तरह की धोखाधड़ी और कूट रचना वर्ष 2011 में पहली बार नहीं की थी। वह इससे पूर्व वर्ष 2009 में भी इसी तरह से फर्जी अंकसूची के आधार पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की नौकरी हासिल कर चुकी थी। उक्त मामले की शिकायत जब अमोला थाने में दर्ज कराई गई तो उसने 27 जनवरी 2011 को पारिवारिक परिस्थितियों को हवाला देकर पद से त्यागपत्र दे दिया। जो 4 फरवरी 2011 को स्वीकृत हुआ था। कमलेश ने दुबारा आवेदन किया और फिर से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी हथिया ली।

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