घाट- घाट का पानी पीकर अब कांग्रेस में अपना भविष्य तलाश रहे है कैलाश कुशवाह,प्रद्दुम्मन की चरण वंदना चर्चा में

प्रिंस प्रजापति @ शिवपुरी। बीते रोज कलमनाथ की सभा में बसपा छोड कांग्रेस में शामिल हुए कैलाश कुशवाह अब कांग्रेस में अपना भविष्य तलाश रहे है। कैलाश कुशवाह बीते दो चुनाबों में पहले चुनाव में भले ही वह बीएसपी के चिन्ह पर चुनाब लडे परंतु वह ब्राह्मणों को साथ लेकर चुनाबी रण में उतरे थे। जिसके चलते उन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी रहे सुरेश धाकड राठखेडा को कडी टक्कर दी और महज 7 हजार के अंतर से वह चुनाबी रण में हार गए।

उसके बाद पोहरी विधानसभा में फिर उपचुनाव हुआ और इस बार भी कैलाश ने हाथी का दामन थाना परंतु अब उनके साथ ब्राह्मण वोटर नहीं रहा और जिसके चलते दूसरे चुनाव में कैलाश कुशवाह को राज्यमंत्री सुरेश धाकड राठखेडा ने पटकनी देते हुए 27 हजार के अंतर से चुनाव हराया था। अब दोनों बार पटकनी खाने के बाद कैलाश कुशवाह अब कांग्रेस में अपना भविष्य तलाश रहे है।

मध्यप्रदेश में चुनावी सरगर्मियां तेज होते ही कांग्रेस सरकार और कमलनाथ की सक्रियता का अंदाजा आए दिन हो रहे पलटवारों से लगाया जा सकता है तो बहीं भाजपा का रथ अभी विकास यात्रा निकालकर अपनी विकास कार्यों की धांक जमाने लगी हुई है लेकिन कांग्रेस के पीसीसी अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भाजपा को आड़े हाथो़ं लेने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे है।

कमलनाथ विकास यात्रा को “निकास यात्रा” कहकर भाजपा का मध्यप्रदेश से निकलकर कांग्रेस की सरकार मध्यप्रदेश में आना तय बता रहे है तो बहीं सीएम शिवराज कमलनाथ से 15 महीने की सरकार के कार्यकाल का हिसाब मांग रहे है लेकिन कमलनाथ कह रहे है कि शिवराज एक मंच पर आमने सामने आकर हिसाब मांगे तो में उनको 15 महीने का हिसाब भी दूंगा और साढ़े 3 साल का हिसाब भी लूंगा इतना ही नही प्रदेश की राजनीति में ठंड के मौसम के बदलाव के साथ साथ मिजाज बदलता हुआ नजर आ रहा है।

प्रदेश में एकदूसरे के पलटवार अभी सोशल मीडिया पर दिखाई दे रहे थे जहां कमलनाथ ट्विटर पर ही विरोधाभास और पलटवार दे रहे थे लेकिन अब सरगर्मियां तेज होते है कमलनाथ मैदान में उतर आए हैं। ग्रहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी कमलनाथ पर चुनाव न लड़ने को लेकल तंज कसा था तो बहीं कमलनाथ ने बैराड़ में आयोजित आमसभा के दौरान प्रेसवार्ता में कहा था कि बह चुनाव लड़ेगे और कहा कि पार्टी जहां तय करेगी बहां से चुनाव लडूंगा।

चुनावी इस माहौल के बनते ही पोहरी विधानसभा में किस उम्मीदवार को कौनसी पार्टी चेहरा बनाती है यह देखना अभी चर्चा का बिषय बना हुआ है देखा जाए तो कांग्रेस के पास इस समय विधानसभा में बाहुल्य जाति किरार धाकड़ की ओर से प्रध्युमन धाकड़ बछोरा का नाम सबसे आगे है देखा जाए तो वीते रोज बैराड़ में आयोजीत कांग्रेस की आमसभा में प्रध्युमन का कमलनाथ से भेंट करने का नजारा यह स्पष्ट कर रहा था कि कमलनाथ के क्राइटएरिया में प्रध्युमन फिट नहीं बैठ रहे है यहां तक की कमलनाथ की नजर यदि प्रध्युमन पर होती तो उन्हे मंच पर सबके सामने दो दो बार कमलनाथ के चरणवंदन की आवश्यकता नहीं पड़ती। कयास तो यह भी लगाए जा रहे है कि हाथी के प्रत्याशी के हाथ को पकड़ने के बाद से ही अन्य विकल्प ठप्प हो गए हैं।

वीते रोज आयोजित कांग्रेस की आमसभा में कई दिग्गजों सहित पोहरी विधानसभा से चुनाव में दो बार बसपा से दूसरे स्थान प्राप्त करने बाले कैलाश कुशवाह ने अब हाथी का दामन छोड़कर हाथ के साथ दामन थाम लिया है कमलनाथ ने खुले मंच से कैलाश कुशवाह के कांग्रेस में आने की खुशी जाहिर कर ताकत दुगनी होने की बात कही थी। कांग्रेस की ओर से प्रधुमन धाकड़ बछौरा, बॉवी राजा परिहार, राघवेन्द्र तोमर गुड्डू आदि भी अपनी दावेदारी जता रहे है।

कयास तो यह लगाए जा रहे है कि प्रधुमन और कैलाश में से कांगेस किसी को एक को अपना उम्मीदवार चुन सकती है अब यहां देखा जाए तो कांग्रेस से उम्मीदवारों की लिस्ट में सबसे पहला नाम कैलाश कुशवाह निकलकर आ रहा है क्योंकि कैलाश का पुराना चुनावी रिकोर्ड और कुशवाह समाज सहित अन्य समाजों का जातिगत समर्थन कैलाश को ही है बात करें प्रधुमन धाकड़ की तो इनके पास धाकड़ समाज के टैग के अलावा कुछ और दिखाई नहीं देता हालांकि यह टैग ही बदलाव की स्थिति को निर्मित करता है जोकि कांग्रेस के प्रत्याशी फाइनल होने के बाद स्पष्ट होगा।

भाजपा की कहनी : चार लाइन की दीवानी
बात भारतीय जनता पार्टी की करें तो भाजपा से कई नेता अपनी दावेदारी जताने में लगे हुए है लेकिन चर्चा का बिषय है वर्तमान विधायक सुरेश रांठखेड़ा का टिकिट कटना या पुन: प्रत्याशी घोषित होना। अब यहां देखा जाए तो सुरेश रांठखेड़ा को क्षेत्र हर दूसरा व्यक्ति नापसंद कर रहा है लेकिन राजनीतिक भयाभय के कारण खुलकर विरोध करने में सक्षम नही है यहां सूत्रों के अनुसार सटीक बात यह है कि यदि भाजपा सुरेश रांठखेड़ा के अलावा किसी अन्य को भाजपा से टिकिट देती है तो भाजपा की जीतेने की उम्मीद लगाई जा सकती है बांकि धरातलीय आंकड़ा यही स्पष्ट करता है अब यहां भी देखना यह है कि भाजपा क्या यूपी, गुजरात मॉडल पर चुनाव लड़ेगी या फिर यूंही मप्र बदलाव में अपना योगदान देकर विपक्ष को मजबूत करेगी।

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