भागवत कथा एक अमर कथा है, इसे सुनने से पापी भी पाप मुक्त हो जाते है : आचार्य विक्रम, भटनावर में सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा शुरू, कलश यात्रा निकाली गई


शिवपुरी जिले के कस्वा ग्राम भटनावर सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा एवं अष्टोत्तर शत 108 भागवत का मूल पाठ वेदपाठी विद्वान पंडितो द्वारा बाबाजी वाला बाग में प्रारंभ हुई।
प्रथम दिवस महिला एवं युवतियां आयोजन स्थल से माथे पर कलश लेकर शीतला माता मंदिर पहुंची, यहां धार्मिक मंत्र उपचार के साथ कलश में जल भरकर पुनः आयोजन स्थल पहुंची और फिर कलश की स्थापना की गई तत्पश्चात धार्मिक अनुष्ठान शुरू हुआ। शीतला माता मंदिर भवन बस स्टैंड से सैकड़ो महिलाएं एवं बालिकाओं ने भव्य कलशो को अपने सर पर धारण करके गांव का भ्रमण किया, ढोल नगाड़ों के साथ शीतला माता मंदिर भवन बस स्टैंड से प्रारंभ होकर कथा स्थल श्री बाबा जी वाले बगीचा में पहुंची। कथा परीक्षित श्री कल्यांचंद शर्मा जोशी परिवार ने भागवत महापुराण को सिर पर धारण करके गांव के समस्त देवी देवताओं का पूजन कर उन्हें श्रीमद् भागवत कथा के प्रांगण में पधारने के लिए निमंत्रित किया। कथावाचक आचार्य श्री विक्रम कोठारी जी महाराज श्री धाम वृंदावन प्रतिदिन 2 से 5 बजे तक संगीतमय में कथा का रसपान कराएंगे।
भागवत कथा के प्रथम दिन कथा वाचक आचार्य विक्रम महाराज श्री ने भागवत प्रसंग की शुरुआत भागवत के प्रथम श्लोक से की महाराज श्री ने कहा कि भागवत के प्रथम श्लोक में भगवान को प्रणाम किया गया है, उनके स्वभाव का वर्णन किया गया है । उनकी लीलाओं का वर्णन किया गया है। आगे कहा कि भागवत को समझना भगवान को समझने के बराबर है। उन्होंने कहा कि जन्म-जन्मांतर एवं युग युगान्तर में जब पुण्य का उदय होता है तब ऐसा अनुष्ठान होता है।
श्री भागवत कथा एक अमर कथा है, इसे सुनने से पापी भी पाप मुक्त हो जाते है, उन्होंने कहा कि वेदों का सार युगों युगों से मानव जाति तक पहुंचता रहा है। भागवत पुराण उसी सनातन ज्ञान की पयइस्वनी है , जो वेदों से प्रभावित होती चली आई है। इसलिए भागवत महापुराण को वेदों का सार कहा गया है, उन्होंने श्रीमद् भागवत महापुराण का बखान करते हुए कहा कि सबसे पहले सुकदेव जी महाराज ने राजा परीक्षित को नैमिषारण्य तीर्थ में भागवत कथा सुनाइए थी, उन्हें 7 दोनों के अंदर तक्षक के दंश से मृत्यु का श्राप मिला था। कथा से मोक्ष प्राप्त हुआ।
आचार्य विक्रम महाराज श्री ने बताया कि भागवत कथा सुनने मात्र से भवसागर से मुक्ति हो जाते है इसलिए हमें अपने व्यस्त जीवन से थोड़ा समय निकालकर प्रभु के भजनों में मगन होकर के प्रभु के चरणों में ध्यान लगाना चाहिए। सुदामा महाराज के नेतृत्व एवं निर्देशन में 108 ब्राह्मणों ने भागवत का मूल पाठ मंत्रोच्चारण के साथ किया। अन्त में आरती हुई , कथा का विश्राम हुआ। कथा प्रतिदिन 2 बजे से शुरू होगी।
