मासूम के रोने पर उसे जमीन पर पटक कर हत्या करना बाला बॉयफ्रेंड 24 घंटे के अंदर गिरफ्तार: पेड़ पर छिपकर बैठा था

शिवपुरी। जिले में सोमवार की रात एक साल बच्ची की रोने पर उसकी हत्या करने वाले आरोपी को पुलिस ने बुधवार को गिरफ्तार कर लिया। बच्ची की हत्या करने के बाद आरोपी जंगल में एक पहाड़ी पर जाकर पेड़ पर छिप गया था। आरोपी ने पुलिस को हत्या की वजह बच्ची का रात में जोर-जोर से रोना बताया। उसने कहा- मैं सो रहा था, बच्ची के रोने से नींद खराब हुई तो गुस्से में उसे जमीन पर पटका और उसका मुंह दबा दिया, जिससे उसकी मौत हो गई। सुबह वहां से भागकर जंगल में जाकर छिप गया।
जानकारी के अनुसार पिछोर एसडीओपी प्रशांत शर्मा ने बताया कि मंगलवार सुबह बच्ची की मां जयंती आदिवासी ने बामोरकला थाने में शिकायत दर्ज करवाई थी।। महिला करीब 20 दिन पहले अपने पति को छोड़कर आरोपी प्रेमी के साथ बेंगलुरु से भागकर यहां आई थी। सोमवार रात 12 बजे मासूम रो रही थी, जिस पर आरोपी ने उसकी हत्या कर दी। रातभर जयंती अपनी बेटी के शव को कलेजे से चिपका कर बैठी रही। आरोपी भी रातभर वहीं पर उसकी आखों के सामने बैठा रहा।
आरोपी के खिलाफ धारा-103 बीएनएस में केस दर्ज किया गया है। एसपी अमन सिंह राठौड़ ने आरोपी पर 10 हजार का इनाम भी घोषित कर दिया था। उसे पकड़ने के लिए टीम बनाई गई थी। सुबह जंगल में सर्चिंग के दौरान टीम को आरोपी भोग उर्फ भैयालाल आदिवासी पहाड़ पर पेड़ पर बैठा नजर आया।
बता दे कि बामौरकला थाना के सुलार खुर्द गांव का रहने वाला भैयालाल आदिवासी उम्र 25 साल पिछले एक साल से मजदूरी करने बेंगलुरु गया हुआ था। वह किसी ठेकेदार के यहां सड़क निर्माण कार्य में मजदूरी करने लगा था। इसी दौरान उसकी मुलाकात टीकमगढ़ जिले से मजदूरी करने आई 35 साल की जयंती आदिवासी से हो गई थी। जयंती अपने पति और तीन बच्चों के साथ बेंगलुरु में रह रही थी। मजदूरी के दौरान दोनों के बीच प्यार हो गया।
जयंती की शादी 10 साल पहले टीकमगढ़ के रहने वाले परमानंद आदिवासी से हुई थी। उसके 9 साल की बेटी दामनी, 8 साल का बेटा देव और 1 साल की छाया थी। जयंती पिछले एक साल से बेंगलुरु में अपने पति परमानंद के साथ रह रही थी। यहीं उसकी मुलाक़ात भैयालाल के साथ हो गई थी। जयंती करीब 20 दिन पहले अपने पति परमानंद और 9 साल की बेटी दामनी, 8 साल का बेटा देव को बेंगलुरु छोड़ कर प्रेमी के साथ शिवपुरी भाग आई थी, लेकिन वह अपनी एक साल की बेटी छाया को साथ ले आई थी।
बता दे कि भैयालाल जयंती को 20 दिन पहले बेंगलुरु से अपने गांव भगा लाया था। वह अपने प्रेमी के साथ सुलार खुर्द गांव में पत्नी बनकर रहने लगी थी। इधर, एक साल की छाया के रोज रात रोने से भैयालाल परेशान होने लगा था। जयंती के अनुसार रात 10 बजे सभी खाना खाकर सो गए थे। रात 12 बजे बेटी छाया रोने लगी। बेटी के रोने से भैयालाल की नींद टूट गई। इससे भड़के भैयालाल ने छाया को पीटा। इससे बेटी और जोर से रोने लगी। भैयालाल ने गुस्से में बेटी छाया के पैर पकड़े और उसे जमीन पर पटक दिया, जिससे बेटी के मुंह और सिर से खून बहाने लगा। भैयालाल यहीं नहीं रुका उसने मुंह पर हाथ रखकर उसकी सांसें रोक दी।
इस दौरान वह भैयालाल से लगातार बेटी को छोड़ देने की गुहार लगाती रही। रातभर भैयालाल झोपड़ी में ही बैठा रहा था। इस दौरान उसके डर से वह बेटी छाया को अपने कलेजे से चिपकाए रखी। जब सुबह भैयालाल झोपड़ी में उसे छोड़कर गया। तब वह बामौरकला थाना पहुंची। पुलिस ने बच्ची के शव को झोपड़ी से बरामद कर आरोपी भैयालाल आदिवासी के खिलाफ हत्या की धारा में केस दर्ज किया। सूचना मिलने बाद हत्या के आरोपी के पिता भौरा आदिवासी मौके पर पहुंचे और बच्ची के शव को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल पहुंचाया।
घटना की सूचना मिलने के बाद सुबह जयंती का पति परमानंद आदिवासी और जयंती की मां बामौरकला पहुंचे। यहां कागजी कार्रवाई के बाद वे अपने घर रवाना हुए। परमानंद आदिवासी ने बताया कि वह बेंगलुरु में मजदूरी कर रहा था। काम खत्म होने के बाद सभी मजदूर ट्रेन से अपने गांव लौट रहे थे। वह अपनी पत्नी जयंती और बच्चों के साथ टीकमगढ़ जा रहा था। शिवपुरी का रहने वाला भैयालाल आदिवासी भी ट्रेन में सवार था। भैयालाल और जयंती भोपाल रेलवे स्टेशन पर उतर गए। जयंती के साथ छोटी बेटी थी। पत्नी को यहां-वहां तलाशा, नहीं मिली तो दोनों बच्चों को लेकर मजदूरी करने देवगढ़ चला गया। 20 दिन से देवगढ़ में ही अपने बच्चों के साथ रुका हुआ था।