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45 डिग्री तापमान के बीच खाद की लाईन में खडे किसान, अधिकारी AC ROOM में बैठे है,जिम्मेदार कालाबाजारी करा रहे है !

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शिवपुरी। खबर जिले भर से आ रही है। जहां इस भीषण गर्मी में जब अधिकारी अपने कमरों की एसी से बाहर निकलने से कतरा रहे है वही दूसरी और जिले में खाद के लिए किसान इस 45 डिग्री तापमान के बीच खाद की लाईन में लगे हुए है। ऐसा नहीं है कि जिले में खाद की कमी हो परंतु यहां खाद वि​तरित करने बाले जिम्मेदार महज खाद की कालाबाजारी के चलते किसानों को परेशान करने के लिए भीषण गर्मी में लाईन में खडे किए हुए है।

इस दौरान सबसे खास बात है कि अभी तक किसानों की इस परेशानी पर प्रशासन की नजर नहीं पड़ी है। प्रशासन ने अब तक न किसानों को छांव में बैठने के इंतजाम किए हैं और न ही पीने के पानी व्यवस्था की गई है। इधर किसान अपने घर और काम को छोड़ कर दो-दो दिनों ने खाद वितरण केंद्र पर डेरा जमाए हुए हैं। इसके बावजूद उन्हें आसानी से खाद नहीं मिल पा रही है। वहीं दूसरी ओर खाद की कालाबाजारी भी शुरू हो चुकी हैं।

कोलारस कृषि उपज मंडी खाद लेने देहरदा गांव से पहुंचे शिवकुमार रघुवंशी ने बताया कि वह कल बुधवार की सुबह 7 बजे खाद लेने आ गया था। मुझे 90 नंबर का टोकन मिला था। लेकिन बुधवार को 60 नंबर टोकन तक ही खाद वितरित किया जा सका था। खाद वितरण केंद्र पर लगे कर्मचारियों ने आज गुरुवार को खाद देने की बात कही थी। लेकिन आज भी सुबह से लंबी लाइन लग गई है।

पनवारी गांव के रहने बाले राहुल जाटव ने बताया कि वह खाद लेने के लिए गुरुवार की सुबह 4 बजे कोलारस की अनाज मंडी आ गया था। लेकिन उसे खाद नहीं मिली, उसे यही रात गुजारनी पड़ी इसके बावजूद आज भी खाद मिलने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं।

पीरोठ के रहने बाले ब्रजभान ने बताया कि वह आज सुबह 8 बजे खाद वितरण केंद्र पर आ गया था। यहां दो से तीन दिनों से किसान खाद पाने के लिए डटे हुए हैं। उसे नहीं पता कि उसका नंबर कब आएगा। ब्रजभान ने बताया कि बाजार में खाद तय दर से 300 रुपये अधिक भाव में मिल रही है। किसानों को हर बार खाद के लिए जूझना पड़ता है। इस परेशानी से निपटने के लिए न ही सरकार और न ही प्रशासन ने कोई योजना बनाई है।

अटारा गांव के रहने वाले अरविंद धाकड़ ने बताया आज सुबह 4 बजे खाद वितरण केंद्र पर पहुंच गया था। उस वक्त तीन किसान और थे। अब दोपहर हो गई है। लाइन में लगे लोग आगे पीछे हो रहे हैं। लेकिन उसे अब तक खाद का टोकन तक नहीं मिल सका हैं। उसे पता नहीं कि उसे खाद कब तक मिलेगी। यहां किसानों के लिए कोई भी व्यवस्था भी नहीं की गई है।

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