swatantra shivpuri 15

एक्जिट पोल: सिंधिया जी की जीत सुनिश्चित,हार जीत के अंतर पर लग रहे है दांव,कैसे बदले ​यहां समीकरण, पढिए कांग्रेस के पिछडने का क्या रहा कारण !

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सतेन्द्र उपाध्याय@ शिवपुरी। जिले में कल सुबह 8 बजे से लोकसभा निर्वाचन की मतगणना होनी है। जिसे लेकर प्रशासन ने अपनी पूरी व्यवस्थाएं चाक चौबंद कर ली है। इसे लेकर प्रशासन पूरी मुस्तैदी से कल की तैयारीयों में जुट गया है। इसी बीच शहर के चौक चौराहे पर महज एक चर्चा है कि सिंधिया जी की जीत तो पक्की है परंतु ​जीत का अंतर क्या है इसे लेकर अब दांव लगाए जा रहे है। चौराहे पर कुछ लोग सिंधिया जी की जीत का अंतर 5 लाख तो कुछ लोग 3 लाख बता रहे है।

परंतु जो एक्जिट पोल निकलकर सामने आए है उसमें सिंधिया जी की जीत का अनुमान 3 से 4 लाख के बीच में निकलकर सामने आ रहा है। राजनीतिक गणितज्ञयों का मानना है कि यह चुनाव टिकिट वितरण के दिन से कांग्रेस इस चुनाव में कही दिखाई नहीं दे रही है। इसका सबसे महत्वपूर्ण कारण टिकिट वितरण रहा। यहां कांग्रेस ने भाजपा के फॉमूले पर काम करने का प्रयास किया। जहां पिछले चुनाव में यहां से कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने भाजपा ने डॉ के पी यादव को अपना प्रत्याशी घोषित किया था।

जहां मोदी लहर में यहां भाजपा के प्रत्याशी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को सिकस्त दे दी थी। उसके बाद यहां भाजपा प्रत्याशी को पब्लिक ने जिस बदलाब के उद्देश्य से जिताया था वह यहां उस उद्देश्य को पूरा नहीं कर सके। जिसके चलते पब्लिक के बीच सिंधिया की हार को लेकर संबेदनाओं का सामना पूरे 5 साल करना पडा। इसके चलते सिंधिया जी को इस चुनाव में पिछले चुनाव में हार को लेकर सहानुभूति मिली और यहां भाजपा के पक्ष में जबरदस्त लहर देखने को मिली।

प्रत्याशी घोषित करने में देरी,पूरी लोकसभा में नहीं पहुंच सके कांग्रेसी प्रत्याशी
इस चुनाव में कांग्रेस शुरू से ही चुनाव में अपनी दमदारी नहीं दिखा पाई। इसका सबसे अहम कारण यहां कांग्रेस द्धारा प्रत्याशी घोषित करने में देरी देखने को मिली। यहां भाजपा ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपना प्रत्याशी घोषित करते ही वह इस चुनाव में पूरी तैयारी और पूरे परिवार के साथ कूंदे। जहां उन्होंने प्रत्येक मतदाता के बीच एक अलग अंदाज और अलग छवि के रूप में अपनी प्रस्तुति की। जिससे वह मतदाताओं को रूझाने में कामयाब हो सके।

बदले- बदले दिखे सिंधिया और पूरे परिवार के रंग
पिछली हार के चलते सीख लेने के बाद इस चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शुरू से ही चुनाव में अपनी कमर कसके रखी। हालात यह रहे कि उन्हें भी अनुमान था कि इस चुनाव में उनकी बंफर जीत होना है। परंतु उस​के बाद भी वह चुनाव में कही भी कमी नहीं रखने का प्रयास किया। इस चुनाव में सिंधिया परिवार ने जमींन से जुडने के लिए लोगों के बीच में पहुंचकर खाना पकाना,खाना खाना,चाट पकोडी के जरिए लोगों से जुडना और युवाओं से सीधा संबाद,समाज की बैठकों के ​जरिए प्रत्येक समाज के लोगों के बीच सीधा जुडाव देखने को मिला। जिसने इस चुनाव को इकतरफा बना दिया।

महज यादव वोटरों तक सिमट कर रह गई कांग्रेस
यहां कांग्रेस ने राव यादवेन्द्र सिं​ह यादव को अपना प्रत्याशी महज यादव समाज के बोट बैंक को साधने के लिए किया था। गुना शिवपुरी लोकसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा वोटर यादव समाज से है। जिसके चलते पार्टी ने अनुमान लगाया कि राव यादवेन्द्र सिंह यादव समाज को साथ लेकर अन्य समाज के महज 25 प्रतिशत बोट हासिल करने में सफलता हासिल कर पाते है तो वह चुनाव में कडी टक्कर दे सकते है। परंतु यहां सिंधिया जी ने जो चतुराई के साथ चुनाव लडा उससे यहां राव यादवेन्द्र सिंह को उनकी ही यादव समाज के बोट बैंक में ही उलझा दिया। यहां सिंधिया जी ने यादव समाज के बडे बडे दिग्गज नेताओं को अपने साथ कदम से कदम मिलाकर साथ चलाने के चलते यहां यादवेन्द्र यादव पूरे समय अपने समाज के लोगों को समेटते रहे। परंतु अंत में जाकर उसमें भी वह सफल नहीं हो सके।

जीत हार का मार्जन 4 लाख पर
राजनीति की अगर बात करें तो यहां के धूरंधर राजनीतिककारों का अनुमान है कि इस चुनाव में सिंधिया जी की जीत का आंकडा 4 लाख के आसपास रहेगा। अब हकीकत क्या है यह तो महज 12 घंटे बाद से क्लीयर होना शुरू हो जाएगी। परंतु स्वतंत्र ​शिवपुरी के पोल में यह स्पष्ट जनादेश दिख रहा है कि सिंधिया जी की जीत 3 लाख से अधिक मतों से होगी।

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