LIV-IN RELATIONSHIP को लेकर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, प्यार किया है तो देना पड़ेगा पैसा, पढ़िए क्या है फैसला…

शिवपुरी। अभी तक आपने सुना होगा कि भारत में हिन्दू धर्म में शादी के बाद ही पति पत्नी के रिश्ते को मान्यता मिलती है। परंतु कुछ दिनो पहले आए एक फैसले के बाद भारत में लिव इन पार्टनर को कानून में हक दिए गए। परंतु इसी बीच अब एक निर्णय आया है। इस निर्णय के अनुसार लिव इन पार्टनर को माननीय न्यायालय ने भरण पोषण देने का आदेश दिया है।
लिव-इन रिलेशनशिप में महिलाओं के अधिकारों को मान्यता देते हुए कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अपने एक निर्णय में कहा कि एक पुरुष के साथ काफी समय तक रहने वाली महिला अलग होने पर भरण-पोषण की हकदार है, भले ही वे कानूनी रूप से विवाहित न हो। हाईकोर्ट ने एक याचिकाकर्ता के केस की सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। जिसने ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी। जिसमें उसे उस महिला को 1,500 रूपये का मासिक भत्ता देने की आवश्यकता थी। जिसके साथ वह लिव-इन रिलेशनशिप में था।
बता दें कि लिव इन रिलेशनशिप को लेकर देश भर की कोर्ट और कई मंचों पर महिलाओं के अधिकारों को लेकर प्रकरण लंबित है। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के इस फैसले से लिविंग रिलेशन में महिलाओं के अधिकारों को मान्यता मिली है। बहरहाल हाई कोर्ट ने लिविंग रिलेशनशिप से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए एक हम आदेश पारित किया है जिसमें कहा है कि ब्रेकअप के बाद महिला गुजारा भत्ता की हकदार है, भले ही उसका वैवाहिक वैधानिक तरीके से होने का साक्ष्य मोजूद न हो।
लिव इन रिलेशन से जुड़ा हुआ एक मामला सामने आया था जिसमें महिला का एक बच्चा भी है। लिहाजा हाई कोर्ट ने इस पर निर्णय फेसला सुनाते हुए कहा कि भले ही महिला विवाह साबित करने में सफल न रही हो लेकिन दोनों के बीच संबंध थे यह सबूत पर्याप्त है। हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि बच्चा इस बात का सबूत है कि दोनों के बीच रिश्ते पति-पत्नी जैसे ही थे। हाई कोर्ट जस्टिस जीएस अहलूवालिया की एकलपीठ ने बालाघाट जिला न्यायालय के गुजारा भत्ता दी जाने के पारित आदेश की पुष्टि करते हुए चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है।
