कांग्रेस से राव यादवेन्द्र यादव : माधवराव सिंधिया ने पिता को दो लाख से तो ज्योतिरादित्य सिंधिया 4 लाख से हरा चुके है

शिवपुरी। पूरे देश में चुनावी माहौल अपने पूरे चरम पर है। पहले चरण के चुनाव को लेकर प्रत्याशी अपने अपने क्षेत्रों में नामाकंन दाखिल कर चुनावी रण में कूंद गए है। दूसरी और जिन स्थानों पर अन्य चरणों में चुनाव होना है उसे लेकर भी प्रत्याशी अपने अपने स्तर से क्षेत्र में जनसंपर्क में जुट गए है। इसी के चलते ​गुना लोकसभा क्षेत्र में ज्योतिरादित्य सिंधिया लगातार सक्रिय दिखाई दे रहे है।

पिछली चुनाव में हुई गलतीयों से सीख लेते हुए इस बार सिंधिया जी अलग अंदाज और बदले बदले से नजर आ रहे है। सिंधिया जी का इस बार चुनाव चि​न्ह क्या बदला है यहां सभी समीकरण उनके बदले बदले से लग रहे है। भले ही टिकिट वितरण में कांग्रेस ने बहुत देर लगा दी है। परंतु यहां कांग्रेस यादव वोट बैंक के जरिए लोकसभा में ​अपने प्रत्याशी को भेजने के सपने देख रही है।

हालात यह है कि कांग्रेस को भरौसा है कि पिछले चुनाव की तरह इस चुनाव में भी चमत्कार होगा और यहां से यादव समाज के उम्मीदवार राव यादवेन्द्र सिंधिया को पटकनी देंगे। परंतु राव यादवेन्द्र और सिंधिया के आमने सामने के पुराने आंकडे भी चौकाने बाले रहे है।

पढिए राव यादवेन्द्र यादव का फैमली बैकग्राउण्ड
​अशोकनगर जिले में राव देशराज यादव का बडा नाम था। राव देशराज यादव मुंगावली विधानसभा सीट से तीन बार विधायक रहे। यह दो बार गुना लोकसभा सीट से भाजपा के टिकिट पर चुनाव लडें। परंतु दोनों बार ही बडे अंतर से उन्हें हार का सामना करना पडा। उनके निधन के बाद उनके बेटे राव यादवेन्द्र सिंह यादव राजनीति में सक्रिय हुए।
राव यादवेन्द्र सिंह यादव अशोकनगर जिले के जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुके है। उसकी मां भी अशोकनगर जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी है। यादवेंद्र सिंह यादव मप्र पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक वित्त एवं विकास निगम अध्यक्ष अजय यादव उपाध्यक्ष (दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री) के भाई भी है। कुल मिलाकर यादवेन्द्र सिंह यादव एक राजनीतिक परिवार से है।

पिता को 2 लाख 14 हजार मतों से हराया था माधवराव सिंधिया ने
इस चुनाव में कांग्रेस ने राव यादवेन्द्र यादव को यहां से प्रत्याशी घोषित किया है। परंतु यादवेन्द्र के पिता दिवंगत राव देशराज सिंह मुंगावली विधानसभा से 3 बार विधायक चुने गए थे। उसके बाद उन्हें पहली बार 1999 में ​माधवराव सिंधिया के सामने भाजपा ने टिकिट दिया था। उस समय माधवराव सिंधिया कांग्रेस के बडे नेता थे। इस चुनाव में माधवराव सिंधिया ने राव देशराज को पटकनी देते हुए 214428 मतों से चुनाव हराया था।

उपचुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 4 लाख मतों से दी थी मात
इस चुनाव के बाद एक हादसे में दिवंगत नेता माधवराव सिंधिया का निधन हो गया था। जिसके चलते गुना लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुआ। इस उपचुनाव में कांग्रेस ने ज्योतिरादित्य सिंधिया तो भाजपा ने फिर से देशराज यादव को अपना उम्मीदवार बनाया था। यहां सहानभुति की सुनामी आई और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने देशराज यादव को 4 लाख 6 हजार मतों के बडे अंतर से पराजित किया।

मुंगावली से 3 बार विधायक रहे दिवंगत नेता राव देशराज सिंह को 1999 में पहली बार लोकसभा चुनाव में माधवराव सिंधिया ने हराया। सिंधिया को 443965 वोट मिले जबकि देशराज सिंह को 229537 वोट प्राप्त हुए। इस प्रकार माधवराव सिंधिया ने देशराज सिंह को 214428 वोट से पराजित किया। बाद में साल 2002 के उपचुनाव में कुल 7 लाख 21 हजार 222 मतदाताओं में से ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 5 लाख 35 हजार 728 वोट प्राप्त किए जबकि प्रतिद्वंदी राव देशराज सिंह को सिर्फ 1 लाख 29 हजार 160 वोट मिले। यानी दूसरी बार राव देशराज सिंह की 4 लाख 6 हजार 568 वोटों से हार हुई।

यादव वोट बैक के भरोसे कांग्रेस
यहां बता दे कि​​ सिंधिया के प्रत्याशी घोषित होते ही एक नाम सबसे ज्यादा चर्चा में था वह था वीरेन्द्र रघुवंशी का। कट्टर महल विरोधी माने जाने बाले वीरेन्द्र रघुवंशी सिंधिया परिवार की उपेक्षा के चलते भाजपा छोड कांग्रेस में शामिल हुए। उन्हें उम्मीद थी कि शिवपुरी विधासनभा से उन्हें कांग्रेस पार्टी अपना उम्मीदवार घोषित करेंगी। परंतु लास्ट टाईम पर यहां कांग्रेस ने बदलाब करते हए पिछोर से लगातार 6 बार विधायक रहे केपी सिंह कक्काजू को अपना उम्मीदवार घोषित किया और वीरेन्द्र रघुवंशी का टिकिट काट दिया।

उनके टिकिट कटने के बाद वह मायूस हो गए और पूरे विधानसभा चुनाव में शिवपुरी विधानसभा छोड अन्य जगह कांग्रेस के लिए प्रचार किया। परंतु उसके बाद माना जाने लगा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने कांग्रेस उन्हें अपना प्रत्याशी घोषित करेंगी। बताया गया है कि जब टिकिट वितरण की मांग चल रही थी तो कांग्रेस ने अपना नाम बीरेन्द्र रघुवंशी का ही तय किया। परंतु लास्ट टाईम पर बीरेन्द्र रघुवंशी ने अपने बेटे की शादी का हबाला देते हुए टिकिट लेने से इंकार कर दिया।

यहां बता दे कि गुना लोकसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा वोटर यादव समुदाय के लगभग 3 लाख के लगभग है। यादव समाज के बलबूते यहां कांग्रेस अपना भविष्य तलाश कर रही है। दूसरी और सिंधिया की अगर बात करें तो उनपर किसी भी समाज विशेष का कोई टैग नहीं लगा। साथ ही वह कोलारस विधानसभा क्षेत्र से लगातार यादव समाज के महेन्द्र यादव को दो बार विधायक बनवाने में सफल रहे है और उन्हीं की बेटी बर्तमान में जिला पंचायत अध्यक्ष भी है। जिसके चलते उन्होने इस चुनाव में यादव समाज को साधने में सहयो​ग मिल सकता है।

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