शिक्षा विभाग के बाबू के आगे कलेक्टर भी नतमस्तक: रिश्वत के पैसे भी बापस नहीं किए,DE के बाद भी हटा नहीं पा रहे

शिवपुरी। खबर शिक्षा विभाग से जुडी है। शिवपुरी में शिक्षा विभाग भ्रष्टाचार का गढ बना हुआ है। इसका जीता जागता उदाहरण उस समय देखने को मिला जब बोर्ड परीक्षा में कलेक्टर के हस्तक्षेप के बाद भी जिला शिक्षा अधिकारी के सरंक्षण में यहां खुलेआम नकल के मामले सामने आते रहे। जब यह मामला तूल पकडा तो जिला शिक्षा अधिकारी ने इन्हें हटा दिया। परंतु एक ऐसा मामला भी सुर्खियों में है। जहां कलेक्टर द्धारा रिश्वत के मामले में एक बाबू को रिटायर्ड शिक्षक के पैसे देने के आदेश को भी इस रिश्वतखोर बाबू ने ठेंगा दिखा दिया।
दसअसल जिले के पोहरी के शिक्षा विभाग में पदस्थ बाबू सुरेश शर्मा द्धारा रिटायर्ड शिक्षक रामनिवास उपाध्याय से जीपीएफ और अन्य मदों से भुगतान के एवज में 40 हजार रूपए की रिश्वत बसूल ली थी। उसके बाद भी इस शिक्षा विभाग के रिश्वतखोर बाबू ने रिश्वत बसूलने के बाद भी उनका आधा भुगतान रोक लिया। उसके बाद उक्त बाबू रिटायर्ड शिक्षक से 20 हजार और रिश्वत की मांग करने लगा।
जिसके चलते पीडित शिक्षक ने इस मामले की शिकायत कलेक्टर रविन्द्र कुमार चौधरी से की। जहां कलेक्टर ने मामले की गंभीरता को समझा और दोनों को अपने कार्यालय तलब किया। जहां कलेक्टर ने इस मामले में तत्काल रिश्वतखोर बाबू को रिटायर्ड शिक्षक से बसूले रिश्वत के 40 हजार रूपए बापस करने की बात कही। उसके बाद कलेक्टर ने इस मामले में बाबू के उपर जांच बिठा दी।
परंतु यहां जिला शिक्षा अधिकारी समर सिंह राठौड ने इस मामले में डीई के आदेश तो जारी कर दिए। और इस मामले की जांच करने टीम भी बना दी। परंतु इस बाबू को पद से नहीं हटाया गया। अब जिस पद पर बैठकर इस रिश्वतखोर बाबू ने रिश्वत की बसूली की है अगर उसे पद से नहीं हटाया गया तो यह जांच कैसे निष्पक्ष होगी यह बडा सबाल है।
जिला शिक्षा अधिकारी की भूमिका कठघरे में
शिवपुरी में इन दिनों जिला शिक्षा अधिकारी समर सिंह राठौड की कार्यप्राणली पर सबाल खडे हो रहे है। जिला शिक्षा कार्यालय में कोई भी काम बिना चढौत्तरी के नहीं हो रहा है। जिसके चलते यह विभाग भ्रष्टाचार का गढ बन चुका है। हालात यह है कि यहां खुलेआम रिश्वत बसूलने के बाद भी इसपर कार्यवाही तो दूर इसे शिक्षा विभाग पद से भी नहीं हटा पा रहा है।
अब उसी पद पर डटा हुआ है तो कैसे होगी निष्पक्ष जांच
इस मामले में पोहरी के बीईओ कार्यालय में पदस्थ बाबू सुरेश शर्मा द्धारा रिश्वत बसूली के मामले में कलेक्टर ने भले ही डीई यानी विभागीय जांच के आदेश डीईओ को दिए है। परंतु उसके बाद डीईओ ने इस बाबू या पीडित शिक्षक को बुलाकर बयान लेना तो दूर एक पत्र भी जारी नहीं किया है। साथ ही यह रिश्वतखोर बाबू उसी कुर्सी पर जमा हुआ है। जबकि नियमानुसार जिस कर्मचारी पर विभागीय जांच बैठती है उसे पद से हटाकर जांच की जाती है। परंतु यहां नियम सरकार के नहीं डीईओ के जो चलते है वह यहां चल रहे है।
इनका कहना है
इस मामले में माननीय कलेक्टर सहाब के यहां से डीई का आदेश हुआ था। इसे हटाने का आदेश नहीं हुआ था। अगर हटाने का आदेश होता तो हम जरूर हटाते,रही बात जांच की तो हम परीक्षा में व्यस्थ थे इस कारण से मुझे यह मामला अब पता नहीं है कि इसकी जांच कौन कर रहा है। में इस मामले का पता लगाता हूं। अगर कलेक्टर सहाब के यहां से हटाने का आदेश आएगा तो हम हटाएंगे।
समर सिंह राठौड,जिला शिक्षा अधिकारी शिवपुरी।