मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर और नर्सों कि लापरवाही मृत नवजात को बताया जिंदा परिजनों ने किया हंगामा और की कार्रवाई मांग

शिवपुरी। खबर जिले के मेडिकल कॉलेज से आ रही है जहां एक प्रसूता के डिलीवरी के बाद नवजात बच्चे को मृत घोषित कर दिया। जब परिजनों ने आरोप लगाया कि प्रसूता की डिलीवरी डॉक्टर की अनुपस्थति में की गई है तो नवजात को वैंटिलेटर पर होना बता दिया। इसी बात से नाराज परिजनों ने मेडिकल कॉलेज में हंगामा कर दिया। परिजनों ने आरोप लगाया कि पहले डिलीवरी में लापरवाही बरती गई और नवजात को मृत बताया गया था। फिर बाद में बच्चे को वैंटिलेटर पर जिंदा बता दिया गया। मेडिकल कॉलेज में हुए हंगामे को देखते हुए प्रबंधन को पुलिस बुलानी पड़ी। इसके अतिरिक्त मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने मामले की जांच कर लापरवाह डॉक्टर और नर्सों पर कार्रवाई की बात कही तब कहीं जाकर परिजन शांत हुआ और परिजन और प्रबंधन के बीच करीब 15 मिनट की बहस के बाद नवजात को मृत बताकर उसके शव को परिजनों को सौंप दिया।

जानकारी के आनुसार कमलागंज की रहने 24 साल की प्रसूता नेहा जाटव को तीन दिन पहले मेडिकल कॉलेज में डिलीवरी के लिए भर्ती कराया गया था। गुरुवार-शुक्रवार की रात साढ़े तीन बजे प्रसूता को डिलीवरी को लेबर रूम में ले जाया गया था। करीब साढ़े चार बजे परिवार को बेटा पैदा होने की सूचना दी गई थी। लेकिन शुक्रवार की सुबह साढ़े सात बजे बच्चे को मृत बताते हुए नवजात के शव सुपुर्दगी के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने की बात नर्सों ने कही।

लेकिन परिजनों ने डिलीवरी में लापरवाही के आरोप लगाते हुए मेडिकल कॉलेज में हंगामा कर दिया था। हंगामे को शांत कराने एक महिला डॉक्टर पुलिस बल को अपने साथ लेकर परिजनों के बीच पहुंची और नवजात को जिंदा बताते हुए उसे वैंटिलेटर पर होना बता दिया।

परिजन जसपाल भारती ने बताया कि नेहा को डिलीवरी के लिए मेडिकल कॉलेज में दो दिन पहले भर्ती कराया गया था। डॉक्टर ने नेहा को गुरुवार को कई दर्द के इंजेक्शन दिए थे। नेहा को अधिक दर्द हो रहा था। इसके चलते परिवार के सदस्यों ने डॉक्टर को नेहा की डिलीवरी ऑपरेशन से करने की बात कही थी। लेकिन डॉक्टर नहीं मानी। इसके बाद रात साढ़े तीन बजे नेहा को प्रसव के लिए ले जाया गया था।

इस डिलीवरी को नर्सों ने डॉक्टर की गैर मौजूदगी में किया, जबकि डॉक्टर अपने चैंबर में सो रहे थे। यह सब होता नेहा की चाची इंद्रा जाटव ने देखा था। डिलीवरी के दौरान बच्चा फंस गया। जिससे नर्सें घबरा गई थी। नर्स जब तक सो रहे डॉक्टर को जगाकर लाईं तब तक बच्चे की मौत हो गई थी। इसके बाद हमें सही बात नहीं बताई गई।​​​​​​​

मेडिकल कॉलेज में बरती गई लापरवाही और परिजनों के हंगामे के बाद मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक डॉ आसुतोष चौऋषि ने परिजनों से चर्चा की और जांच कर कार्रवाई की बात कही। तब कहीं जाकर परिजन शांत हुए। बता दें कि चर्चा के 15 मिनट बाद नवजात उस नवजात बच्चे को मृत बताते हुए शव परिजनों को सुपुर्द कर दिया। जिसे पहले मृत होने के बाद जिंदा बता दिया था। इस मामले में मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक डॉ आशुतोष चौऋषि का कहना है कि मामले की जांच के लिए एक टीम गठित की है। जांच रिपोर्ट के आधार पर वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।

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