SHIVPURI में जाटव समाज के लोगों ने हिंदू धर्म का किया परित्याग: गांव में छुआछूत का आरोप लगाकर 40 परिवारों ने अपनाया बौद्ध धर्म

शिवपुरी। खबर जिले करैरा के ग्राम बहगवां से आ रही हैै। जहां पर जाटव समाज के लोगों ने एक धार्मिक आयोजन में हुए अपमान के बाद हिन्दू धर्म का त्याग करते हुए बौद्ध धर्म अपना लिया। बौद्ध धर्म अपनाने वालों ने उनके साथ छुआछूत का आरोप लगाया है। मामला 31 जनवरी का है जो कल शुक्रवार रात वीडियो सामने सामने आने के बाद संज्ञान में आया।

जानकारी के अनुसार बहगवां गांव में सभी ग्रामीणों ने मिलकर 25 साल बाद गांव में भागवत कथा का आयोजन किया था। इसी क्रम में भागवत कथा का आयोजन भी गांव में हुआ लेकिन भागवत कथा के भंडारे से एक दिन पहले 31 जनवरी को जाटव समाज के 40 घरों ने अचानक से बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया और हिंदू धर्म का परित्याग करने की शपथ ली। बता दें जाटव समाज को भंडारे में सभी समाज और लोगों को अलग-अलग काम सौंपे गए थे। लेकिन जाटव समाज को झूठी पत्तल उठाने का काम सौंप दिया गया था। इसी बात को लेकर जाटव समाज के लोगों ने एकजुट होकर हिंदू धर्म का परित्याग करते हुए बौद्ध धाम को अपना लिया।

बताया गया है कि 31 जनवरी को ही गांव में एक टेंट लगाकर कार्यक्रम आयोजित किया था। जहां बौद्ध धर्म के धर्म गुरु को बुलाया था और लगभग 40 परिवारों ने हिंदू धर्म का परित्याग करते हुए बौद्ध धर्म अपना लिया था। कार्यक्रम का एक वीडियो भी सामने आया है।

इस दौरान भीम आर्मी के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य महेंद्र बौद्ध ने बताया कि भंडारे में सभी समाजों को काम बांटे गए, इसी क्रम में जाटव समाज को पत्तल परसने और झूठी पत्तल उठाने का काम सौंपा गया था, लेकिन बाद में किसी व्यक्ति ने यह कह दिया कि अगर जाटव समाज के लोग पत्तल परसेंगे तो पत्तल तो वैसे ही खराब हो जाएगी। ऐसे में इनसे सिर्फ झूठी पत्तल उठवाने का काम करवाया जाए और अंत में गांव वालों ने कह दिया कि अगर आपको झूठी पत्तल उठाना है तो उठाओ नहीं तो खाना खाकर अपने घर जाओ। इसी छुआछूत के चलते हम लोगों ने समाज को बौद्ध धर्म अपनाने को कहा और सभी लोगों ने बौद्ध धर्म अपना लिया।

बहीं उसी ग्राम के सरपंच ने बताया कि जाटव समाज को बहलाफुसलाकर धर्म परिवर्तन कराया है। सरपंच गजेंद्र रावत का कहना है कि जाटव समाज के आरोप पूरी तरह निराधार हैं। उनके अनुसार उक्त समाज के लोगों ने एक दिन पूर्व ही अपने हाथ से केले का प्रसाद बांटा था जो पूरे गांव से लिया और खाया भी। उनके अनुसार गांव में बौद्ध भिक्षु आए थे, उन्होंने समाज के लोगों को बहलाफुसला कर धर्म परिवर्तन करवाया है। पूरे गांव में किसी भी तरह का काम किसी समाज विशेष को नहीं बांटा गया था, सभी ने मिलजुल कर सारे काम किए हैं। अन्य हरिजन समाज के लोगों ने भी परसाई करवाई, झूठी पत्तल उठाईं हैं। उन लोगों के साथ छुआछूत क्यों नहीं की गई। गजेंद्र के अनुसार जाटव समाज द्वारा दिया गया चंदा वापस लेने के कारण गांव वालों ने उसकी पूर्ति के लिए दुबारा से चंदा भी किया है।

इस मामले में कलेक्टर रविंद्र कुमार चौधरी का कहना है कि यह मामला हमारे संज्ञान में नहीं आया है। मैं पता करवाता हूं कि आखिर इतने परिवारों ने एक साथ धर्म परिवर्तन क्यों किया। इस मामले की गहराई से पड़ताल करना जरूरी है, क्योंकि कोई भी व्यक्ति सिर्फ एक दिन में धर्म परिवर्तन कर ले, यह संभव नहीं है। जांच के बाद ही सच्चाई सामने आ सकेगी।

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