पंचायती राज का प्रशिक्षण लेने अहमदाबाद पहुंची जिला पंचायत अध्यक्ष नेहा यादव, मध्यप्रदेश में से 3 जिला पंचायत अध्यक्षों को बुलाया है

शिवपुरी। पंचायती राज मंत्रालय ने देश भर की पंचायतों के युवा जनप्रतिनिधियों और साथ ही अधिकारियों को नेतृत्व एवं प्रबंधन का प्रशिक्षण आइआइएम जैसे संस्थानों से दिलाने का निर्णय लिया है। इस निर्णय के तहत आइआइएम अहमदाबाद में पहले बैच का प्रशिक्षण इसी माह आरंभ होने जा रहा है। इसी तरह का प्रशिक्षण ग्राम प्रधानों को भी दिलाया जाएगा। इतना ही नहीं, योजना यह भी है कि पंचायत प्रतिनिधियों के साथ ग्राम प्रधानों को अन्य संस्थाओं से भी उपलब्ध संसाधनों का बेहतर उपयोग करने का भी प्रशिक्षण दिया जाएगा।

इसे लेकर पहले फेस में मध्यप्रदेश से तीन जिला पंचायत अध्यक्षों को इसमें शामिल किया गया है। जिन्हें अहमदाबाद में आईएमआई संस्थान में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस प्रशिक्षण में सभी पंचायत प्रतिनिधियों और ग्राम प्रधानों को आइआइएम संस्थानों से प्रशिक्षण देना आसान नहीं इसलिए ऐसी भी कोई व्यवस्था की जानी चाहिए जिससे चरणबद्ध तरीके से अन्य पंचायत प्रतिनिधियों और ग्राम प्रधानों को प्रशिक्षित किया जा सके। इस कार्य में सफलता तभी मिलेगी जब सभी राज्य सरकारें ऐसे प्रशिक्षण के प्रति सकारात्मक रवैये का परिचय देंगी।

देश के ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए ग्राम प्रधानों से लेकर पंचायत के प्रतिनिधियों को एक ओर जहां पारदर्शी तरीके से काम करने की आवश्यकता है, वहीं दूसरी ओर इसकी भी कि वे राज्य और केंद्र सरकार की ओर से उपलब्ध कराए जाने वाले संसाधनों का बेहतर ढंग से उपयोग करें। अनेक ग्राम प्रधानों और पंचायत प्रतिनिधियों ने अपने कार्यों से अनुकरणीय उदाहरण पेश किए हैं। बहुत से ऐसे गांव हैं जिनका एक बड़ी हद तक कायाकल्प हुआ है, लेकिन तमाम गांव ऐसे भी हैं जहां पर्याप्त धन उपलब्ध कराए जाने के बावजूद अपेक्षित कार्य नहीं हो सके हैं।

एक ऐसे समय जब राज्य सरकारों के साथ-साथ केंद्र सरकार ग्रामीण विकास के लिए पर्याप्त धनराशि दे रही है तब यह सुनिश्चित किया ही जाना चाहिए कि गांवों का सही तरह से विकास हो। वास्तव में गांवों को केवल उन शहरी सुविधाओं से लैस करने की ही आवश्यकता नहीं है जिनके अभाव में लोग शहरी इलाकों की ओर पलायन करते हैं, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की भी है। हमारे नीति-नियंता इसकी अनदेखी नहीं कर सकते कि नागरिक सुविधाओं, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार आदि कारणों से गांवों से शहरों की ओर पलायन का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है।

इस सिलसिले को थामने की आवश्यकता है और इसमें तभी सफलता मिलेगी जब गांव सुविधासंपन्न होंगे और वहां का पूरा ढांचा बेहतर होगा। जितना शहरों के संदर्भ में यह आवश्यक है कि वे सुनियोजित विकास को प्राथमिकता दें उतना ही गांवों को लेकर यह जरूरी है कि वे मौजूदा अपेक्षाओं और जरूरतों के आधार पर प्रगति करें। यह सही है कि गांवों में संसाधन बढ़ रहे हैं, लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि वे उन अपेक्षाओं को भी पूरा कर रहे हैं जो वहां रहने वाले लोगों की हैं-विशेषकर अपनी बुनियादी जरूरतों के लिहाज से। इस यह प्रशिक्षण 14 जनवरी से शुरू हुआ है और यह 19 जनवरी तक चलेगा।

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