अपने पति की लंबी उम्र के लिए दिन भर से निर्जला व्रत रखी है महिलाएं , चंद्र दर्शन के बाद तोडेगी व्रत , इस समय दिखेगा चांद

शिवपुरी। आज पतियों के अखंड सुहाग के लिए महिलाएं करवाचौथ का निर्जला व्रत करेंगी और रात में चंद्र दर्शन के बाद पूजा कर पति के हाथ से जल ग्रहण कर अपना व्रत तोड़ेंगी। करवाचौथ को लेकर महिलाएं आज काफी उत्साहित हैं और पति को खुश करने के लिए गिफ्ट खरीदने के साथ-साथ अपने श्रृंगार का सामान खरीदने महिलाएं बाजार में पहुंच रही हैं। आज चांद का दीदार भारतीय समयानुसार शिवपुरी में 8:15 पर दिखाई देगा। उसके बाद महिलाएं चांद की पूजा कर अपने पति की पूजा करने के बाद जल ग्रहण करेगी।

जिससे आज बाजार भी काफी गुलजार हो गए हैं। खास बात यह है कि इस वर्ष गुरू ग्रह स्वयं की राशि में हैं और आज गुरूवार को ही यह त्यौहार है। जिससे करवाचौथ की महत्वता और बढ़ जाती है। यह संयोग 47 वर्ष बाद बना है। आज चंद्रमा अपने ही नक्षत्र में रहेगा। चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र में होने के कारण पूजा करने का भी शुभ संयोग बना हुआ है।

करवाचौथ को लेकर महिलाएं काफी उत्साहित रहती हैं और इस त्यौहार की तैयारी वह कई दिनों से करती हैं। महिलाएं करवाचौथ पर अपने आप को सुंदर दिखाने के लिए तरह-तरह के उपाये करती हैं। कई महिलाएं ब्यूटीपार्लर जाती हैं, तो कई महिलाएं नए-नए कपड़े और गहने खरीदती हैं। इस त्यौहार को लेकर महिलाओं के साथ-साथ पुरूष भी काफी उत्साहित नजर आते हैं और वह भी अपनी पत्नी को खुश करने के लिए तरह-तरह के खरीददारी करते हैं। वहीं बाजारों में भी व्यापारी और दुकानदार भी इस त्यौहार का बड़ी बेसर्वी के साथ इंतजार करते हैं। जिनका इंतजार आज करवाचौथ पर खत्म हो गया है और सुबह से ही महिलाएं अपने पतियों के साथ खरीददारी करने बाजारों में निकल पड़ी हैं। शाम के समय मां करवाचौथ की पूजा के साथ ही इस व्रत का समापन किया जाएगा।

दाम्पत्य जीवन में प्रेम की कामना के लिए होती है चंद्रमा की पूजा
चंद्रमा औषधियों का स्वामी है। चांद की रोशनी से अमृत मिलता है। इसका असर संवेदनाओं और भावनाओं पर पड़ता है। पुराणों के मुताबिक चंद्रमा प्रेम और पति धर्म का भी प्रतीक है। इसलिए सुहागनें पति की लंबी उम्र और दांपत्य जीवन में प्रेम की कामना से चंद्रमा की पूजा करती हैं।


भगवान गणेश के श्राप के कारण चंद्रमा को देखा जाता है छलनी से
भविष्य पुराण की कथा के मुताबिक चंद्रमा को गणेश जी ने श्राप दिया था। इस कारण चतुर्थी पर चंद्रमा को देखने से दोष लगता है। इससे बचने के लिए चांद को सीधे नहीं देखते और छलनी का इस्तेमाल किया जाता है।

करवे से पानी क्यों पीते हैं ?
इस व्रत में इस्तेमाल होने वाला करवा मिट्टी से बना होता है। आयुर्वेद में मिट्टी के बर्तन के पानी को सेहत के लिए फायदेमंद बताया है। दिनभर निर्जल रहने के बाद मिट्टी के बर्तन के पानी से पेट में ठंडक रहती है। धार्मिक नजरिये से देखा जाए तो करवा पंचतत्वों से बना होता है। इसलिए ये पवित्र होता है।

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