एक्जिट पोल: दो भाजपा और दो कांग्रेस,तीसरी सीट पर फसा है मुकाबला, लाडली बहना कमाल कर गई

सतेन्द्र उपाध्याय@ शिवपुरी। आज तेलागंना में हुए मतदान के बाद अब मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्यों में मतदान के बाद एक्जिट पोल आना शुरू हो गए है। इस रूझान में मतदाताओं ने किसे अपना मत दिया है इसे लेकर फाइनल कयास लगाए है। हांलाकि यह महज पोल है आखिरी फैसला तो 3 दिसम्बर को ​होगा कि शिवपुरी ​जिले से भाजपा और कांग्रेस को कितनी सीटें मिलती है।

शिवपुरी विधानसभा
अगर हम बात करें शिवपुरी विधानसभा की तो यहां कांग्रेस ने 6 वार से पिछोर विधानसभा से कांग्रेस के विधायक रहे दिग्गज नेता को शिवपुरी जिले से लगातार जीत रही भाजपा को कमजोर करने के लिए यहां केपी सिंह कक्काजू भेजा गया। केपी सिंह कक्काजू के यहां आने से कांग्रेस पार्टी में एकजुटता देखने को मिली। तभी भाजपा ने यहां से वैश्य समुदाय को साधते हुए पूर्व विधायक देवेन्द्र जैन को यहां से प्रत्याशी घोषित किया।

अब यहां दोनों के बीच कांटे का मुकाबला देखने को मिला। यहां बसपा प्रत्याशी एवरन सिंह गुर्जर भी पूरे समय अपने चुनाव जीतने को लेकर आश्वस्त नजर आए। परंत जब मतदान हुआ तो यहां भाजपा की लाडली बहना ने यहां सभी को बुरी तरह से धव्स्थ करते हुए भाजपा के पक्ष में यहां से बंफर बोटिंग की है। यहां कांग्रेस के केपी सिंह कक्काजू को समय कम मिलने से वह लोगों से सीधे नहीं जुड सके और इसी का नतीजा यहां देखने को मिल सकता है। यहां भाजपा प्रत्याशी देवेन्द्र जैन की जीत दिखाई दे रही है।

पोहरी विधानसभा
यहां भाजपा ने अपने विधायक और राज्यमंत्री सुरेश राठखेडा को यहां से प्रत्याशी घोषित किया था। इस सीट पर अगर सर्वे की बात करें तो यहां सर्वे में सबसे पहले नंबर पर पूर्व विधायक प्रह्लाद भारती का नाम चल रहा था। परंतु अंतिम समय से प्रह्लाद भारती का टिकिट कटने के बाद यहां भाजपा ने अपने मंत्री पर ही भरौसा जताया। यहां मंत्री सुरेश धाकड राठखेडा अपने समुदाय ​के लोगों के भरोसे अपनी जीत को लेकर आश्वस्त थे। परंतु उनकी राह में रोडा उन्ही की समाज के प्रद्दुम्मन वर्मा बछौरा बनते नजर आए।

यहां प्रद्दुम्मन वर्मा को कांग्रेस से टिकिट नहीं मिलने पर वह हाथी पर सबार हो गए। प्रद्दुम्मन वर्मा ने भले ही बगावत यहां कांग्रेस से की। परंतु यहां कांग्रेस को उनके चुनाव में उतरते ही यह सीट सेफ जॉन में नजर आने लगी। यहां प्रद्दुम्मन वर्मा पूरी ताकत के साथ चुनाव लडे और उन्होंने इस चुनाव को बेहद रोचक भी बनाया। परंतु यहां लगातार दो चुनाव हारकर कांग्रेस से चुनाव लड रहे कैलाश कुशवाह को सहानभुति का फैक्टर काम करते हुए उन्हें यहां अच्छी बढत देखने को मिल सकती है। यहां भाजपा के प्रत्याशी के बीच मुकाबला जीत हार का न होकर दूसरे नंबर पर आने की रेस ​में दिखाई दे रहा है। यह सीट कांग्रेस के खाते में जाती हुई दिख रही है।

करैरा विधानसभा
जिले के करैरा विधानसभा की अगर बात करें तो यह सीट आरक्षित सीट है। इस सीट पर कांग्रेस ने अपने विधायक प्रागीलाल पर भरोसा जताते हुए यहां से उन्हें प्रत्याशी बनाया। यहां भाजपा ने सिंधियानिष्ट जसवंत जाटव का टिकिट काटकर रमेश खटीक को यहां से प्रत्याशी बनाया। यहां भाजपा प्रत्याशी रमेश खटीक को पार्टी ​के ​ही जिम्मेदारों के भितरघात का सामना करना पडा है। इस सीट पर भले ही अमित शाह ने आकर चुनाव प्रचार किया। परंतु अमित शाह के आने के बाद यहां मुकाबला भले ही रोचक हो गया। परंतु प्रागीलाल के सौम्य व्यवहार के चलते उन्हें यहां बढत मिलती हुई दिखाई दे रही है। यह सीट भी कांग्रेस के खाते में जाती हुई दिख रही है।

पिछोर विधानसभा
​यह सीट पूरे मध्यप्रदेश की सबसे ज्यादा चर्चित सीट रही है। यहां भाजपा ने ब्राहा्मण समाज को लेकर अभ्रद टिप्पणी कर चर्चा में आने बाले प्रीतम सिंह लोधी को यहां से प्रत्याशी घोषित किया है। यह सीट उस समय सबसे ज्यादा चर्चा में रही जब यहां से लगातार विधायक रहे केपी सिंह कक्काजू ने अपना दामन पीछे खींच लिया और यहां अपने ही सिपहसलार अरविंद लोधी को कांग्रेस पार्टी से टिकिट दिया।

य​हां चुनाव में एक ही जाति के दोनों प्रत्याशीयों को महज इसलिए मैदान में उतारा गया कि आखिर वह अपने ही जाति के बोटों को काट सकें परंतु यहां कांग्रेस ने पूरा प्रयास किया पर लोधी जाति के बोट बैंक में सेंध कांग्रेस प्रत्याशी नहीं लगा सका। इसके साथ ही यहां भाजपा की लाडली बहना और प्रत्याशी ने अन्य जाति के कुछ वोटरों को भी अपनी और खींच लिया। जिसे लेकर इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी प्रीतम लोधी की बढत दिखाई दे रही है।

कोलारस विधानसभा
अब बात करते है जिले की कोलारस विधानसभा की। कोलारस विधानसभा भी चर्चित विधानसभा रही है। यहां भाजपा से वीरेन्द्र रघुवंशी विधायक है। परंतु वीरेन्द्र रघुवंशी यहां से चुनाव से पहले ही भाजपा छोडकर कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए। और उसके बाद उन्होंने अपना रूख कोलारस विधानसभा से हटाकर शिवपुरी विधानसभा की और कर लिया था। यहां भाजपा ने अपना प्रत्याशी पूर्व विधायक महेन्द्र यादव को बनाया है। इस सीट पर कांग्रेस ने भी सजातीय बैजनाथ सिंह यादव को अपना उम्मीदवार बनाया।

इस सीट पर मुकाबला लगातार कांटे की टक्कर का रहा। परंतु यहां कांग्रेस की राह में रोडा लाडली बहना बन गई। यहां लाडली बहना योजना ने भाजपा के पक्ष में महिलाओं के बोट बैंक को बदला है। परंतु लाडली बहना इस विधानसभा में कांग्रेस प्रत्याशी ने इतना गैप कर दिया कि उसे महज पाट ही पाई। वह यहां से भाजपा प्रत्याशी को बढत नहीं दिला पाई है।

यहां से जो बोट निर्णायक भूमिका तय करेगा वह है धाकड जाति का बोट बैंक। यहां से बीएसपी ने धाकड प्रत्याशी को मैदान में उतारा था। जहां पूरा धाकड समाज एकजुट होकर बीएसपी के प्रत्याशी नवल सिंह धाकड की और जाता दिख रहा था। परंतु लास्ट समय पर यहां सीएम शिवराज सिंह चौहान ने सभा कर अपने समाज बंधुओं को बोट की महत्वता समझाते हुए यह मतदान महेन्द्र के लिए नहीं बल्कि शिवराज सिंह चौहान के लिए करने का आग्रह किया। अगर इस आग्रह से समाज के अगर 10 प्रतिशत लोग भी भाजपा की और कनवर्ड हो सके होगें तो यहां से भाजपा की ​जी​त निश्चित है। और अगर यहां भाजपा इस जाति को नहीं साध सकी तो यह सीट कांग्रेस के खाते में जा सकती है। कुल मिलाकर इस सीट पर स्पष्ट रूझान सामने नहीं आ सके है। जो भी अंतर होगा महज कुछ हजार तक ही होगा जो मतगणना के बाद स्पष्ट हो सकेगा।

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