शिवपुरी के युवक की ब्राजील में मौत,परिजनों ने ज्योतिरादित्य सिंधिया से लगाई बेटे की लाश को बापस लाने की गुहार,बोले आखिरी बार चेहरा देखना चाहते है

शिवपुरी। जिले के कोलारस थाना क्षेत्र के नेतवास गांव के एक युवक की ब्राजील में मलेरिया से मौत के बाद अब परिजन अपने इकलौते बेटे का चेहरा अंतिम बार देखने के लिए परेशान है। परिजनों ने भारत सरकार और केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से अपने बेटे को बापस लाने की गुहार लगाते हुए चिट्टी लिखी है। परिवार के इकलौते बेटे की मौत से परिजनों का रो रो कर बुरा हाल है।
विदित हो कि 23 साल का नवजोत सिंह कैलिफोर्निया में पढने गया था। जहां वह कॉलेज की और से ब्राजील के टूर पर गया था। जहां नवजोत सिंह की तबियत बिगडने लगी। जिसके चलते उसे वहां अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां उसकी लगातार तबियत बिगडने लगी। जहां उसकी उपचार के दौरान मौत हो गई।
मीडिया से बातचीत करते हुए पिता शेर सिंह सरदार से जब बेटे को लेकर बातचीत की तो वह रोते हुए बोले कि मेरा बेटा नवजोत ने 10वीं तक की पढ़ाई कोलारस में ही की थी। 12 तक शिवपुरी में। 12वीं में 73% नंबर लाया। नवजोत और उसकी बहन दोनों ही पढ़ाई में शुरू से अच्छे थे। नवजोत ने 12वीं के बाद दो साल इंदौर में अब्दुल कलाम यूनिवर्सिटी से बीबीए की पढ़ाई की।
उसकी बहन विदेश पढ़ने गई तो उसने भी बाहर जाकर पढ़ने की जिद की। दो महीने पहले ही तीन साल के लिए अमेरिका की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में बीबीए की डिग्री हासिल करने गया था। इस दौरान उसे और उसके कुछ साथियों को टूर के लिए ब्राजील भेजा गया था।
16 नवंबर को नवजोत कैलिफोर्निया से साथियों के साथ फ्लाइट से ब्राजील के लिए रवाना हुआ था। इस दौरान रेस्ट के लिए करीब 8 घंटे इथोपिया में रुका। यहां नवजोत सिंह ने चंडीगढ़ के रहने वाले दोस्त अर्जुन के साथ रेस्टोरेंट पर कुछ खाया था। यहां से ब्राजील रवाना हुए और साईपोलो पहुंचे। यहां उसकी और अर्जुन की तबीयत बिगड़ गई। 18 नवंबर को उसे ठंड लगकर बुखार आया। इसके बाद वह वहां के एक अस्पताल में पहुंचा, जहां एक दिन दवाई दी गई। तबीयत ठीक नहीं होने पर दूसरे दिन अस्पताल गया, तो उसे एडमिट कर लिया गया।
पिता ने बताया कि ब्राजील में मेरे चचेरे भाई देवेंद्र सिंह रहते हैं। वे ही नवजोत की देखभाल कर रहे थे। उन्होंने 19, 20 और 21 नवंबर को वीडियो कॉल पर मेरी बात करवाई थी। भारतीय समयानुसार रात करीब साढ़े 8 बजे रहे होंगे, जबकि वहां दिन के 11 बजे रहे थे। बेटे ने कहा था- अब मैं ठीक हूं। पापा रिटर्न का टिकट करा लेते हैं। मैंने कहा- हां, तुम ठीक हो जाओ। 22 और 23 नवंबर को जब मैंने बात करनी चाही तो बोले- वह आईसीयू में है, इसलिए बात नहीं हो पाएगी।
हमने अस्पताल से डिस्चार्ज कर भारत लाने का प्रयास भी किया था, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने अनुमति नहीं दी। मैंने काफी प्रयास किया कि वो बेटे को इंडिया भेज दें, लेकिन वहां के मेडिसिन विभाग ने मुझे अंधेरे में रखा। तबीयत अच्छी है, कहते हुए मेरी एक बात नहीं सुनी। मैंने उन्हें कहा था कि आप इंडिया लेकर जाने की व्यवस्था कर दीजिए, हम यहां उसका अच्छे से इलाज करवा लेंगे।
24 तारीख को सुबह 4 बजे मेरे भाई का ब्राजील से फोन आया कि नवजोत अब नहीं रहा। उन्होंने बताया कि बेटी 2 नवंबर को 3 साल की स्टडी वीजा पर लंदन पहुंची थी। भाई के निधन की जानकारी मिलते ही वह वापस इंडिया लौट रही है। नवजोत का पूरा परिवार कोलारस के नेतवास में रहता है। पिता शेर सिंह सरदार ने बताया कि हम हरियाणा के कैथल के रहने वाले हैं। मेरे पिता साहब सिंह 28 साल पहले कोलारस में आकर बस गए थे।
पिता का कहना है कि डॉक्टरों ने पहले रिपोर्ट में नवजोत को मलेरिया होना बताया। बाद में एक और रिपोर्ट में कहा- यलो मलेरिया है। उनका कहना है कि वहां नए वायरस ने अटैक किया है। शेर सिंह ने बेटे के उपचार पर सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि बेटे को सही इलाज नहीं दिया गया। यदि उसे सही उपचार मिलता तो बेटा हमारे पास होता। भगवान को जो मंजूर था, वह हो गया। सरकार से हम आर्थिक उम्मीद नहीं कर रहे हैं। बस यही चाह रहे हैं कि जल्द बेटे की डेड बॉडी को गांव तक लाने में मदद कर दें, जिससे मैं बेटे का आखिरी बार चेहरा देख सकूं। उसका सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार कर सकूं।
बेटे की विदेश में मौत की जानकारी पिता ने सबसे पहले एसडीएम कोलारस को दी। कलेक्टर रवींद्र चौधरी को भी बताया। कलेक्टर शिवपुरी रवींद्र कुमार चौधरी का कहना है कि घटना की जानकारी हमें भी मिली है। इस संबंध में हमने भी प्रयास शुरू कर दिए हैं। परिवार के लोगों ने हमें यह बताया है कि वहां परिजन मृतक छात्र के साथ हैं, इसलिए उनके प्रयास भी जारी हैं। प्रशासन परिवार की हरसंभव मदद करेगा।
