रमेश खटीक की राह नहीं है आसान,प्रागीलाल ने नहीं किए 3 साल में कोई काम,पत्नि बन सकती में राह में रोडा,पढिए पूरी खबर

सतेन्द्र उपाध्याय@ शिवपुरी। इन दिनो चुनाव को लेकर प्रमुख दल पूरी तन्मयता से चुनाव प्रचार में जुट गए है। लगातार चुनाव में प्रत्याशी पूरी जान फूंकने में लगे हुए है। अभी भाजपा ने अपने स्टार प्रचारकों को क्षेत्रों में उतारना शुरू कर दिया है। परंतु कांग्रेस अभी स्टार प्रचार तय तक नहीं कर पा रही है। कांग्रेस ने शिवपुरी विधानसभा की सीटें कक्काजू के हबाले छोड दी है। अब शिवपुरी विधानसभा में कक्काजू का चुनाव फस गया है जिसके चलते कक्काजू अपनी विधानसभा को नहीं छोड पा रहे। इसी बीच आज हम बात करेंगे करैरा के समीकरणों की।
पढिए रमेश खटीक का क्या है गणित
बैसे तो करैरा विधानसभा पूरे जिले में एकमात्र आरक्षित सीट है। यहां पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के जसवंत जाटव को टिकिट दिया था। जहां भाजपा ने राजकुमार खटीक को प्रत्याशी बनाया था। इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को करारी शिकस्त का सामना करना पढा था। इस चुनाव में जसवंत जाटव विजयी हुए। परंतु सिंधिया जी ने जैसे ही कांग्रेस को छोडकर भाजपा का दामन थामा जसवंत भी भाजपा में चले गए। फिर इस सीट पर उपचुनाव हुए और इस उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी जसवंत जाटव को कांग्रेस के प्रत्याशी प्रागीलाल जाटव ने पटकनी दे दी। परंतु भाजपा सरकार बनने के बाद चुनाव हारे हुए जसवंत जाटव को सरकार ने कैबीनेट मंत्री दर्जा से नाबाजा। उसके बाद यह क्षेत्र में सक्रिय रहे। परंतु हालात यह हो गई कि वह अपनी छवि को सुधार नहीं पाए और नतीजन सर्वे में नहीं आने पर भाजपा ने उनके टिकिट को काटकर उसके स्थान पर रमेश खटीक को यहां से प्रत्याशी बनाया है।
अब बात करें रमेश खटीक की तो रमेश खटीक यहां पहले विधानसभा चुनाव में टिकिट नहीं मिलने पर वगावत कर सपाक्स के बैनर तले यहां से चुनाव लडे थे। पंरतु यहां उन्हें हार का सामना करना पडा था। परंतु वह उसके बाद भी क्षेत्र में अपनी सक्रियता बनाए रहे। इसी के नतीजे के चलते उन्हें यहां से भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाया है। इस विधानसभा सीट पर शुरूआती रूझानों में भाजपा प्रत्याशी की स्थिति मजबूती में नजर आ रही थी। परंतु जैसे जैसे चुनाव नजदीक आता जा रहा है वह अपने क्षेत्र में कमजोर होते जा रहे है।
बताया जा रहा है कि भले ही वह स्वभाव से सीधे सच्चे है। परंतु इस चुनाव ने जो पुराने कार्यकर्ता है उन्हे इनके द्धारा उतना तब्बजों नहीं मिल रहा। जिसका इन्हें यहां नुकसान उठाना पड सकता है। इसके साथ ही उनपर नरवर क्षेत्र के गांव में मंदिर की जमींन पर अतिक्रमण का मामला भी तूल पकडा था। इसका भी उन्हें यहां नुकसान देखने को मिल रहा है। जब क्षेत्र के लोगों से बातचीत हुई तो यह स्पष्ट हुआ है कि यहां दोनों ही दल अपना मुकावला एकतरफा मान रहे थे। परंतु अब यहां चुनाव बेहद टाईट स्थिति में नजर आ रहा है।
काम में जीरो व्यवहार में हीरो है प्रागीलाल जाटव
करैरा विधानसभा क्षेत्र में अब बात करें कांग्रेस प्रत्याशी प्रागीलाल जाटव की तो उनकी छवि एक जरूरत से ज्यादा सीधे नेता के रूप में मानी जाती है। रमेश खटीक और प्रागीलाल के बीच में रमेश को कुछ हद तक दबंग नेता माना जाता है। परंतु प्रागीलाल जाटव की जो स्थिति वहां है उसके अनुसार वह हमेशा जो भी मिलता है उससे बडी ही नम्रता के साथ मिलते है और वह लगभग जो मिलता है उसके ही पैर छूते है। जिसके चलते वह लोगों के बीच अपनी अलग छबि बनाकर बैठे है।
करैरा क्षेत्र में प्रागीलाल के लिए मुसीवत उनका ढाई साल का कार्यकाल है। वह भले ही उपचुनाव में यहां से विधायक बने है। परंतु विधायक बनते ही उनकी सरकार गिर गई और इसी के चलते यहां वह कोई भी विकास का कार्य नहीं करा पाए। जिसके चलते उन्हें कामों के चलते यहां क्षेत्र में नुकसान उठाना पड सकता है। इसके साथ ही प्रागीलाल के साथ जो प्लस पॉइंट है वह है यहां जाटव समाज की संख्या सबसे ज्यादा होना। बताया जाता है कि यहां जाटव समाज के लगभग 40 हजार से अधिक मतदाता है तो इस क्षेत्र की राजनीति का समीकरण तय करते है। दूसरी और बात करें यहां से उनकी दो पत्नि बाले मामले की तो यह मामला लगातार चुनाव से पहले तूल पकडता रहा था। परंतु अब इसे पब्लिक ने नजरंदाज कर दिया। कुल मिलाकर यहां भी दोनों की पार्टीओं के बीच कडा मुकाबला देखने को मिलेगा। चुनाव से जुटी क्षेत्र की हर अपडेट स्वतंत्र शिवपुरी अपने पाठकों तक पहुंचता रहेगा।