टिकिट न मिलने से झलका भाजपा प्रदेश महामंत्री रणवीर सिंह रावत के बेटे का दर्द,बोले सहनशक्ति की भी एक सीमा होती है

शिवपुरी। खबर जिले के करैरा विधानसभा की है। जहां के निवासी भाजपा के प्रदेश महामंत्री रणवीर सिंह रावत को सबलगढ विधानसभा से टिकिट नहीं मिलने से उनके बेटे का दर्द सामने आया है। आज उनके बेटे आदित्य रावत ने अपना दर्द शोसल साईड फेसबुक पर बयां करते हुए अपने पिता का फोटों डालकर पोस्ट किया है। जिसमें उन्होंने भाजपा की कार्यशैली पर भी सबाल खडे किए है। साथ ही उन्होंने लिखा है कि सहनशक्ति की भी एक सीमा होती है।
विदित हो कि करैरा के निवासी प्रदेश महामंत्री और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किसान मोर्चा रणवीर सिंह रावत सबलगढ़ विधानसभा से तैयारी कर रहे थे। उनके द्वारा 2018 के विधानसभा चुनाव में भी टिकट नहीं मिल सका था और इस बार भी उन्हें सबलगढ़ विधानसभा से टिकट नहीं मिला। बता दें कि भाजपा के प्रदेश महामंत्री रणवीर सिंह रावत केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के नजदीकी माने जाते है। जिसे लेकर वह पूरी तरह से आश्वस्त थे कि उन्हें इस बार नरेन्द्र सिंह तोमर के चुनाव प्रभारी बनाए जाने के बाद टिकिट मिल सकता है। परंतु उन्हें टिकिट नहीं दिया गया।
यह लिखा उनके बेटे आदित्य रावत ने
आज भाजपा संगठन में काम करते हुए 20 वर्ष से अधिक हो गए, 20 साल से अधिक अपने आप को पार्टी के लिए खपा दिया, पार्टी ने जो जिम्मेदारी दी उसे शत प्रतिशत निभाया, एक समय पर किसान मोर्चा की कोई पहचान नहीं थी परंतु जब कार्य संभाला तो मोर्चे को एक नया आयाम देकर स्थापित किया, पार्टी के महामंत्री के रूप में पार्टी के कार्य के लिए दिन रात प्रवास किए, संभाग के प्रत्येक मंडल में कार्यकर्ताओं के बीच पहुंचे, शायद ही किसी ने पार्टी के कार्य के लिए इतनी दौड़ भाग की होगी, अपने नेता के प्रति सदैव अटल रहे उनके लिए पूरी जी जान से काम किया, 20-20 दिनों बाद में एक या 2 दिन अपने घर पर समय दिया, पूरे राजनैतिक जीवन में कोई आज तक एक कलंक नही लगा सकता, परंतु उसके बावजूद पहले 2018 विधानसभा चुनाव में दरकिनार किया उसमे भी पार्टी के प्रत्याशी के लिए प्रचार किया उसके बाद राज्यसभा के ‘चुनाव ‘में दरकिनार किया और आज पुनः विधानसभा के चुनाव में नजरंदाज किया गया, चूंकि सदैव पार्टी लाइन में चले इसीलिए पार्टी ने सदैव समझा की ये तो हमारे ही है मना लेंगे’आज जिन व्यक्तियों ने पार्टी छोड़कर पार्टी के लिए बुरा भला कहा उन्हे तक वापस बुला कर टिकट दिया गया परंतु पार्टी को हम में योग्यता नहीं दिखी।सहनशक्ति की भी एक सीमा होती है।

