मौत के मुंह से सकुशल वापस लौटे अमरनाथ यात्री, माला पहनाकर किया स्वागत, यात्रियों ने मंत्री यशोधरा राजे का माना आभार

शिवपुरी। शिवपुरी से अमरनाथ यात्रा पर गए 12 यात्री 20 दिन बाद सकुशल अपने घर वापस लौट आए। जिनका शहर के कई स्थानों पर उनके परिचितों ने माला पहनाकर स्वागत किया। वरिष्ठ पत्रकार अशोक अग्रवाल, अनिल गर्ग, सतेन्द्र उपाध्याय और पुरुषोत्तमकांत शर्मा ने हाथीखाना में स्वागत किया और उन्हें शॉल, श्रीफल देकर माला पहनाई। यह सभी यात्री हिमाचल लद्दाख बॉर्डर सरचू टॉप पर फंस गए थे और छह दिनों तक वह जिंदगी और मौत के बीच जूझते रहे।

इस दौरान उन्हें ऑक्सीजन के साथ-साथ खाने-पीने की वस्तुओं की कमी से जूझना पड़ा। इन भीषण परिस्थितियों से निकलकर जब वह अपने घर वापस आए तो उन्होंने शिवपुरी विधायक और प्रदेश की मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया का आभार माना और कहा कि उन्होंने शिवपुरी के सभी 12 यात्रियों को सुरक्षित निकालने के लिए भरपूर प्रयास किया, लेकिन वहां कांग्रेस की सरकार होने के कारण उन्हें कोई सहायता नहीं मिली। केबिनेट मंत्री यशोधरा राजे के निर्देश पर शिवपुरी कलेक्टर रविन्द्र सिंह चौधरी और बल्लभ भवन भोपाल के अधिकारी उन यात्रियों के लगातार संपर्क में रहे और जिन-जिन स्थानों पर उन अधिकारियों के संपर्क हुए वहां फंसे हुए यात्रियों को राहत दिलाने के प्रयास किए गए।

शिवपुरी से 27 जून को 6 यात्री जिनमें रोहित मिश्रा, ट्विंकल जोशी, कृष्णा खण्डेलवाल , शिवम गुप्ता, मयंक जैन और पवन धाकड़ आर्टिगा कार से अमरनाथ यात्रा पर निकले थे और 3 जुलाई को अमरनाथ की पवित्र गुफा के दर्शन कर लेह लद्दाख पहुंचे। यहां से 250 किमी का सफर कर हिमाचल बॉर्डर पर पहुंचे तो वहां भारी हिमापत के साथ तीन दिन तक लगातार बारिश होती रही जिससे मनाली, कुल्लू, मण्डी, शिमला सहित हिमाचल की अन्य नदियां उफान पर आ गईं। व्यास और पार्वती नदी के रूद्र रूप ने हिमाचल में भारी तबाही ला दी जिससे लेह मनाली हाईवे कई स्थानों पर पानी के तेज बहाव में बह गया।

वहीं लद्दाख वाले क्षेत्र में पहाड़ दरक गए और सभी रास्ते बंद हो गए और सरचू टॉप पर यह सभी यात्री फंस गए जहां तीन दिन तक लगातार बर्फबारी और बारिश ने इन यात्रियों की जान आफत में डाल दी। इसी दौरान उन्हें शिवपुरी के रहने वाले छह अन्य यात्री जिनमें शिवपुरी के पूर्व नपा उपाध्यक्ष अनिल शर्मा अन्नी, पूर्व जनपद अध्यक्ष पारम सिंह रावत, लक्की रावत, विनोद रावत, लाखन रावत और सुमित श्रीवास्तव भी मिल गए। इस तरह शिवपुरी के ये सभी 12 यात्री इस भीषण आपदा में फंस गए। पूर्व नपा उपाध्यक्ष अन्नी शर्मा और मयंक जैन की तबियत खराब हो गई जिससे सभी यात्री घबरा गए वहां रहने और खाने की व्यवस्था क्षीण होने लगी तो यात्रियों में हाहाकार मच गया और उन्होंने वीडियो संदेश जारी कर फेसबुक के माध्यम से शासन प्रशासन से राहत पहुंचाने की मांग की।

यह संदेश शिवपुरी में वायरल हुआ तो यात्रियों के परिजन भी घबरा गए वहीं केबिनेट मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने फंसे हुए यात्रियों से संपर्क साधा और उनकी बात ट्विंकल जोशी से हुई और उन्होंने उन्हें हिम्मत बनाए रखने के लिए कहा और आश्वस्त किया कि जल्द ही उन्हें सुरक्षित निकाल लिया जाएगा। मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया रात के दो-दो बजे तक मोबाइल के माध्यम से यात्रियों के संपर्क में रहीं। वहीं उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं को फंसे हुए यात्रियों के परिवारजनों का हालचाल जानने के लिए घर-घर भेजा। वहीं कलेक्टर रविन्द्र सिंह चौधरी और एसपी रघुवंश सिंह भदौरिया को फंसे हुए यात्रियों को किसी भी हालत में वापस लाने के लिए कदम उठाने के निर्देश दिए। इस दौरान कलेक्टर लगातार यात्रियों का हालचाल जानते रहे।

उन्होंने केलांग और लेह कलेक्टर से फंसे हुए यात्रियों को लेकर चर्चा की और उन्हें कहा कि यात्रियों तक राहत भेजें, लेकिन वहां आपदा की भयावहता और दोनों ही ओर भारी तबाही होने के कारण राहत भेजने में आ रही परेशानी से अवगत कराया। इसके बाद कलेक्टर ने सीआरपीएफ और आईटीबीपी के अधिकारियों से चर्चा कर एयरलिफ्ट कराने की बात कही, लेकिन मौसम की खराबी के कारण चौपर भेजना खतरे से खाली नहीं था जिस कारण सेना के अधिकारियों ने इस कार्य को असंभव बताते हुए चौपर भेजने से इंकार कर दिया जिस कारण कोई राहत यात्रियों तक नहीं पहुंच सकी जिससे शहर में यात्रियों की सुरक्षा के लिए प्रार्थना शुरू हो गई और इस तरह छह दिन तक वह यात्री जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष करते रहे जब कोई राहत उन्हें नहीं मिली तो यात्रियों ने निर्णय लिया कि वह अपनी ही रिस्क पर इस मुश्किल भरे रास्ते को पार करेंगे और शाम पांच बजे दोनों कारों में 12 यात्री लेह की ओर रवाना हुए।

सरचू से 22 किमी दूर यात्री पहुंचे तो वहां पहाड़ से गिरा मलबा सड़क पर पड़ा था और रास्ता बंद था, किसी तरह सभी यात्रियों ने अपनी जान जोखिम में डालकर सड़क पर बिखरे पड़े मलबे को हाथों से हटाया और कार निकालने का रास्ता बनाया। कुछ देरी और चलने के बाद पुन: एक पहाड़ गिरकर आ गया और रास्ता बंद हो गया जिससे यात्री इस दुर्गम रास्ते पर अटक गए, लेकिन एक घंटे का इंतजार करने के बाद वहां एक जेसीबी पहुंची जिसके चालक से पूर्व नपा उपाध्यक्ष अन्नी शर्मा ने अनुरोध किया कि वह जेसीबी से मलबे को हटा दें और उनके वाहनों के निकलने का रास्ता बना दें। इसके लिए वह जो भी सेवा मांगेंगे वह की जाएगी। पूर्व नपा उपाध्यक्ष के अनुरोध को सुनकर जेसीबी चालक ने सड़क पर पड़े पत्थरों को हटाया और कुछ ही देर में रास्ता साफ हो गया जिससे खुश होकर अन्नी शर्मा ने चालक को दो हजार रूपए दिया, लेकिन जेसीबी चालक ने उन्हें लेने से इंकार कर दिया।

बाद श्री शर्मा ने उन रूपयों को यह कहकर जेसीबी चालक को दिए कि आपने हमारी जान बचाई है यह उसका पुरुस्कार है आप इसे स्वीकार कर लें। दुर्गम पहाडिय़ों के बीच कई बार इस तरह की घटनाएं हुईं और हर मुश्किल को पार करते हुए दो दिन के सफर के बाद सभी लोग सुरक्षित लेह पहुंच गए जहां एक दिन स्टे करने के बाद वह कारगिल होते हुए द्रास पहुंचे, लेकिन वहां भी कई स्थानों पर पहाड़ गिर गए थे जिससे रास्ता बंद और द्रास में ही सभी लोग रूक गए। दूसरे दिन रास्ता खुलने के बाद वह सोनमर्ग पहुंचे और उन्हें पहुंचते-पहुंचते शाम हो गई और कश्मीर पुलिस ने सोनमर्ग में ही इन यात्रियों को रोक दिया। जिस कारण उन्होंने सोनमर्ग में रात गुजारी और सुबह होते ही श्रीनगर पहुंचे जहां ज्ञात हुआ कि रामवन और जम्मू मार्ग पर रास्ता बह जाने से वहां वाहनों की आवाजाही बंद है।

ऐसी स्थिति में सभी यात्री चिंतित हो गए और वह अपनी सूझबूझ के साथ ग्रामीण क्षेत्रों से निकलते हुए दो दिन का लम्बा सफर कर जम्मू आए जहां मौसम साफ होने के साथ ही उनकी चिंताएं समाप्त हो गईं और एक दिन जम्मू रूकने के बाद सभी यात्री अपने गंतव्य को रवाना हो गए जहां पंजाब और दिल्ली में अत्याधिक वर्षा के कारण उन्हें थोड़ी बहुत समस्याएं झेलना पड़ी, लेकिन वह 16 जुलाई की शाम सुरक्षित शिवपुरी पहुंचने में सफल हो गए।

छह दिन तक टीनशेड में रहे, खाने के लिए चुकानी पड़ी 10 गुना रकम
सरचू टॉप में फंसे यात्रियों को रहने और खाने के लिए 10 गुना रकम चुकानी पड़ी जिससे उनके पास रखे नगदी खत्म होने लगे। जिस स्थान पर यात्री रूके थे वहां सिर्फ टीनशेड ही सहारा थी जिसमेें रूकने के लिए टीनशेड मालिकों ने प्रति व्यक्ति एक हजार से दो हजार रूपए प्रतिदिन का चार्ज यात्रियों से वसूला, खाने के लिए एक प्लेट दाल चावल 500 रूपए में दिए, पानी की एक बोतल 100 रूपए की बेची जबकि उसी पानी को गर्म कराने के लिए 50 रूपए अतिरिक्त लिए गए। कुल मिलाकर जहां प्रकृति ने यात्रियों को दुविधा में डाल दिया वहीं वहां रहने वालों ने उनकी परिस्थितियों का भरपूर लाभ उठाया।

वेज-नॉनवेज एक साथ होने के कारण कई यात्री छह दिन तक रहे भूखे
सरचू टॉप पर जहां यात्री फंसे थे वहां के रहने वाले वेज-नॉनवेज दोनों तरह का खाना एक साथ बनाते थे। ऐसी स्थिति में कुछ यात्रियों ने छह दिन तक खाना नहीं खाया और बिस्किट खाकर व पानी पीकर अपनी पेट की अग्रि शांत की। सोने के लिए उन्हें टीनशेड मालिकों ने रजाई गद्दे तो दिए, लेकिन बारिश के कारण गिर रहे पानी से वह गीले हो गए जिससे कई रातें यात्रियों ने ठण्ड के बीच गुजारी। ऑक्सीजन की कमी भी उनकी समस्या का कारण रही। ऑक्सीजन कमी के कारण बातचीत करने और सोने में उन्हें दिक्कत झेलनी पड़ी।

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