ABVP ने 12 सूत्रीय मांगो को लेकर DEO को सौंपा ज्ञापन: विद्यालयों में बरती जा रहीं अनियमितताओं के खिलाफ मोर्चा खोलकर दी चेतावनी

शिवपुरी। खबर जिला मुख्यालय से आ रही है। जहां आज शुक्रवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने अशासकीय विद्यालयों में बरती जा रहीं अनियमितताओं के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए 12 सूत्रीय मांगों को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी को एक ज्ञापन सौंपा है।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के जिला संयोजक वैदिक खेमरिया ने बताया कि प्राइवेट स्कूल बेलगाम होते जा रहे हैं। जिन पर समय-समय पर शिक्षा विभाग को ध्यान देना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। वैदिक खेमरिया ने बताया कि प्राइवेट स्कूलों में 10वीं और 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों को बीए में पढ़ने वाले छात्र अध्ययन करा रहे हैं। जबकि बीएड और डीएड की परीक्षा पास करने वाले शिक्षकों को ही स्कूल में अध्ययन कराना चाहिए।

एबीवीपी द्धारा इन मांगो को लेकर ज्ञापन सौंपा है। जिनमें अशासकीय विद्यालय में अध्यापन का कार्य दक्षता के आधार पर ना पाए जाने वाले विद्यालयों के खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए। अशासकीय विद्यालयों की मान्यता मापदंडों के अनुरूप होनी चाहिए ऐसे विद्यालय जहां पर्याप्त संसाधन नहीं है उनकी मान्यता रद्द करनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार सभी अशासकीय विद्यालयों में छात्राओं को निशुल्क सैनिटरी नैपकिन की व्यवस्था की जानी चाहिए। शासन के एक सर्कुलर में कहा गया है कि मध्य प्रदेश पाठ्य पुस्तक निगम एवं एनसीईआरटी के अलावा बैग में कोई भी पुस्तक नहीं होनी चाहिए। इसकी भी जांच होनी चाहिए।

मध्यप्रदेश शासन द्वारा शासकीय मान्यता प्राप्त विद्यालयों में मध्य प्रदेश पाठ्य पुस्तक निगम की पुस्तक द्वारा तथा सीबीएससी के विद्यालयों में एनसीईआरटी की पुस्तकों के द्वारा ही अध्यापन कार्य किया जाना चाहिए यदि अशासकीय विद्यालय प्राइवेट पब्लिकेशन की पुस्तकों से अध्यापन कार्य कराते हैं तो उन पर नियमानुसार कार्यवाही होनी चाहिए। सभी अशासकीय विद्यालयों के छात्र छात्राओं की फीस का विवरण पावती में दिया जाना चाहिए। विद्यालयों की फीस मासिक किस्त में जमा होनी चाहिए जिसमें फीस का विवरण हो अभिभावक पर एक साथ या दो किस्तों में फीस जमा करने का प्रेशर नहीं बनाना चाहिए साथ ही समय पर फीस ना भरने बाले छात्र छात्राओं को मानसिक व शारीरिक प्रताड़ना नहीं देनी चाहिए।

शिक्षा संहिता के अनुसार फीस वृद्धि की वृद्धि की जानी चाहिए जबकि प्रतिवर्ष फीस वृद्धि कर दी जाती है। अशासकीय विद्यालयों के सभी वाहनों का परिवहन विभाग द्वारा फिटनेस प्रमाण पत्र जारी किया जाना चाहिए साथ ही बस में विद्यार्थियों को लाने ले जाते समय महिला शिक्षक को तैनात करना चाहिए वाहन में क्षमता से अधिक विद्यार्थियों को नहीं बैठाना चाहिए। बसों का शुल्क विद्यार्थियों के निवास की दूरी के आधार पर तय किया जाना चाहिए जबकि सभी विद्यार्थियों से एक जैसा ही शुल्क वसूला जाता है। शासन के नियमानुसार विद्यार्थियों के बैग में निर्धारित वजन है या नहीं इसकी समय-समय पर जांच होनी चाहिए। स्कूल में शिक्षकों द्वारा विद्यार्थियों को ट्यूशन के लिए प्रताड़ित नहीं करना चाहिए।

एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने ज्ञापन के जरिए जल्द से जल्द जांच दल गठित कर इन सभी बिंदुओं पर प्राइवेट स्कूलों की जांच होनी चाहिए। ऐसे में अगर जिला शिक्षा विभाग ने इन बिन्दुओं पर ध्यान नहीं दिया तो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं द्वारा आगामी समय में बड़ा आंदोलन करने की चेतावनी भी दी है।

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