SHIVPURI में चारों खाने चित्त जीरो टोलरेंस नीतिः दो साल में 6 बडे घोटाले,अभी मात्र जांच चल रही है

शिवपुरी। इन दिनों शिवपुरी जिला भ्रष्टाचार का गढ बना हुआ है। एक बार यहां कोई अधिकारी आ जाए उसे खुलेआम लूट का लाईसेंस मिल जाता है। भले ही सीएम शिवराज सिंह चौहान मंच से भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टोलरेंस नीति का दाबा करते रहते है। परंतु शिवपुरी जिले में उनका यह दाबा मजाक बना हुआ है। हालात यह है कि यहां विगत तीन साल में 6 इतने बडे घोटाले हुए है कि इन घोटालों से भोपाल बल्लभ भवन में भी सेंध लगी है। परंतु इन घोटालों के खुलने के बाद भी इन पर अभी तक कोई कठौर कार्यवाही नहीं हो सकी है। जिससे लोग घोटाले करने से डरे।
शिवपुरी जिले में पिछले तीन सालों में 6 बडे घोटाले सामने आए है। जिसमें किसानों के सूखा राहत की राशि का गबन हो या फिर कोलारस के सहकारी बैंक में चपरासी द्वारा किया गया 80 करोड रूपए का बड़ा घोटाला। यहां भ्रष्टाचार की स्थिति यह है कि बच्चों के स्कूल के लिए आई कंटनजेंसी की राशि में भी भ्रष्टाचार कर दिया गया। हाल ही में शिवपुरी जनपद में तो कागजों में 26 जिंदा लोगों को मृत बताकर उनकी संबल योजना की अनुग्रह राशि अधिकारियों व कंप्यूटर आपरेटर ने मिलकर निकाल ली। एक के बाद एक सामने आ रहे भ्रष्टाचार के इन मामलों से निपटने और अपनों को बचाने के लिए अफसरों के पास एक ही हथियार है श्जांचश्। एक के बाद एक जिले में घोटाले सामने आ रहे हैं और प्रशासन की जांच है जो पूरा होने का नाम ही नहीं ले रही है।
पहला घोटाला कोलारस में सहकारी बैंक में हुआ,जिसने इस विभाग को ही जमींदोज कर दिया
जिले के कोलारस में सहकारिता बैंक के एक चपरासी ने बैंक को खोखला कर दिया। इस बैंक के चपरासी राकेश पाराशर ने बैंक के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से 80 करोड़ की राशि का गबन कर दिया जो वर्ष 2021 में सामने आया। गवन इतना बड़ा था कि पूरे सहकारी बैंक की नींव हिल गई और दो साल बाद भी बैक अपने उपभोक्ताओं को रुपये नहीं लौटा पा रहा है। पुलिस ने दो एफआइआर दर्ज की, पहली एफआइआर राकेश पाराशर, ज्ञानेंद्र शुक्ला व रमेश राजपूत पर हुई और दूसरी एफआइआर बैंक अधिकारियों सहित 15 लोगों पर दर्ज हुई।
पिछले वर्ष जनवरी में राकेश गिरफ्तार हो गया। इसके बाद से फिर जो प्रशासन की जांच का सिलसिला शुरू हुआ है वह अभी तक जारी ही है और बैंक कर्ज में डूबा हुआ है। पुलिस की जांच आगे ही नहीं बढ़ रही। जिन 24 खातेदारों के खातों में करोड़ों रुपये इस गवन के ट्रांसफर हुए उन पर मामला दर्ज करना तक जरूरी नहीं समझा गया।
करोडो का टीएचआर घोटाला,भोपाल तक पहुंचा और दबा दिया
जिले में बीते साल महिला बाल विकास विभाग में टीएचआर घोटाला ऑडिट के दौरान पकडा गया। इस घोटाले में पोषण आहार की लगभग 1 करोड 17 लाख रूपए की फेंक सप्लाई दिखाते हुए राशि आहरित कर ली। इस मामले को लेकर मामला भोपाल तक पहुंचा और जब यह मामला खुला तो लग रहा था कि इस मामले में बडी कार्यवाही होना तय है। परंतु जैसे ही यह मामला भोपाल पहुंचा तो शिवपुरी के जिम्मेदारों ने इस मामले में कोई इन्ट्रस्ट नहीं दिखाया।
नए नवेले मेडीकल कॉलेज में हो गया भर्ती घोटाला
शिवपुरी में अधिकारियों ने नए नवेले मेडीकल कॉलेज को भी नहीं छोडा। यहां नर्सिंग भर्ती और सामान खरीदी घोटाला हो गया। इस घोटाले में मेडिकल कालेज में भर्तियों में हुए भ्रष्टाचार की गूंज विधानसभा तक सुनाई दे चुकी है। घोटाले की जांच अभी पूरी नहीं हुई। वर्ष 2021 में एक बार फिर कोरोना में खरीदे गए सामान और नर्सिंग स्टाफ की भर्तियों में भ्रष्टाचार के आरोप लग गए। जांच नहीं कराई। अंतत लोकायुक्त में अभी सिर्फ जांच ही शुरू हो पाई है।
संबल योजना में लगाया पलीता, कम्प्यूटर ऑपरेटर ने पार कर दिए 93 लाख
शिवपुरी में जनपद पंचायत शिवपुरी में पदस्थ एक कम्यूटर ऑपरेटर ने लाखों रूपए का घोटाला कर डाला। उसने महज 10 हजार रूपए की तन्खा से आलीशान मकान,लक्जरी गाडियां सहित लाखों रूपए की संपत्ति खरीड डाली। यह घोटाला शिवपुरी जनपद पंचायत में दो सीईओ के कार्यकाल में एक कंप्यूटर आपरेटर व दो बाबुओं ने मिलकर 26 जिंदा लोगों को रुपये की अनुग्रह राशि का गबन कर दिया। सीईओ सहित पाच पर एफआइआर हुई, लेकिन गिरफ्तार हुआ सिर्फ कंप्यूटर ऑपरेटर पुलिस कंप्यूटर आपरेट को एफआइआर में नाम होने पर भी जनपद अनुसार मामले की जांच चल रही है।
बीआरसीसी कार्यालय में रंगाई पुताई के नाम पर लाखों की राशि का लगा दी ठिकाने
बदरवास बीआरसीसी कार्यालय में स्कूलों की रंगाई.पुताई, मरम्मत व स्टेशनरी आदि कार्यों के लिए राज्य शिक्ष केंद्र द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाला स्कूल कटनजेंसी राशि को बीआरसीसी कार्यालय से जुड़े कुछ कर्मचारियों ने नियमों को धता बताकर और शिक्षकों से ओटीपी हासिल सौ से अधिक स्कूलों की राशि चुनिंदा फर्मों के खातों में भेजकर लाखों रूपए का चूना लगाया गया है।
पटवारी डकार गए लाखों की राशि
जिले में बीते 2021 में सूखा राहत राशि किसानों के लिए वितरित की थी। जिसमें एक पटवारी ने अपने परिजनों ने खाते लगाकर किसानों के हक की राशि 1 करोड 75 लाख रूपए अपने परिजनों के खाते में डलवा दी। इस मामले में महालेखाकार की रिपोर्ट स्पष्ट थी जिसमें खाता नंबर और लेनदेन की ब्यौरा था। प्रशासन को पटवारी स्तर के कर्मचारियों पर कार्रवाई करने में वर्षभर शिकायत हुई तो यह मामला भी जांच में ले लिया और इस मामले में पटवारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर मामले से इतिश्री कर ली। इस मामले को रफा.दफा कर दिया गया। अभी से अधिक समय बीत जाने के बाद भी का प्रयास भी नहीं किया। अधिकारियों के द्वारा कृषको इससे अधिक राशि के आदेश इसमें भी कोई बड़ी कार्रवाई सामने स्वीकृत किए थे। कार्रवाई होना शेष है।