रक्तदान शिविर से मिला रक्त,जरूरत मंद को नही मिलने पर महिला वकील ने मांगा हिसाब, भड़क गए सिविल सर्जन

शिवपुरी। जिले में कई संस्थाए लगातार रक्तदान शिविर आयोजित करती है। कई यूनिट रक्तदान किया जाता है लेकिन जब भी कोई जरूरतमंद ब्लड की मांग लेकर पहुँचता है तो उसे कोई डोनर लाने के बाद ही ब्लड दिया जाता है।
ऐसा ही एक मामला जिला चिकित्सालय के ब्लड बैंक से आ रहा है। जहां अस्पताल में एक मासूम बच्चे को खून देने से मना करने पर एक महिला वकील ने अस्पताल से दान में मिले खून का हिसाब मांग लिया।
अस्पताल प्रबंधन ने पहले तो उसका आवेदन स्वीकार कर उसे जानकारी देने की तिथी तय कर दी, लेकिन जब वह दान के खून का हिसाव लेने अस्पताल पहुंची तो अस्पताल के सिविल सर्जन उस पर विपर पड़े। उसे शिकायत की धमकी तक दे डाली।
जानकारी के अनुसार 6 अगस्त 2022 को जिला न्यायालय परिसर में रक्तदान किया गया था। इस रक्तदान शिविर में वकील, जज सहित समस्त शासकीय विभाग के अधिकारी कर्मचारियों ने 102 यूनिट रक्तदान किया था। इसी क्रम में एक महिला वकील योगिता झा को जानकारी मिली कि 6 तारीख को ही एक गरीब परिवार के बच्चे को बी पाजीटिव खून की बेहद आवश्यकता थी, लेकिन अस्पताल परिसर में संचालित ब्लड बैंक के जिम्मेदारों ने उसे यह कहते हुए खून देने से मना कर दिया कि उनके पास खून नहीं है।
योगिता के अनुसार उसका खुद का ग्रुप वी पाजीटिव था। इसके अलावा कई अन्य लोगों का इस ग्रुप का खून था, इसके वावजूद जरूरतमंद गरीब बच्चे को खून देने से इंकार किया गया।
इसी के चलते उसने 25 अगस्त को अस्पताल में सूचना के अधिकार के तहत एक आवेदन लगाया। इस आवेदन में उल्लेख किया गया कि न्यायालय परिसर में लगाए गए कैंप में प्राप्त 102 यूनिट ब्लड जिन जिन लोगों को सशुल्क या निःशुल्क प्रदान किया गया है उनके नाम, पता, मोबाइल नंबर सहित समस्त जानकारी एवं उससे संबंधित दस्तावेजों की सत्यापित प्रति प्रदान करनेएवं दस्तावेजों या अभिलेखों का निरीक्षण कराने की कृपा करे।
परंतु ब्लड बैंक के कर्मचारियों ने बकील को सिविल सर्जन से मिलने के लिए कहा गया। जब वह सिविल सर्जन से मिली तो वह विफर पड़े और उसे धमकी दी कि वह उसकी शिकायत मजिस्ट्रेट से करेंगे। इसके अलावा यह भी कहा गया कि अव हम कभी भी न्यायालय में रक्तदान शिविर का आयोजन नहीं करेंगे।
आरोप: जिला चिकित्सालय से बेचा जा रहा है ब्लड!
इस मामले में ब्लड नही मिलने पर भड़की बकील योगिता झा आ आरोप है कि जिला चिकित्सालय के ब्लड बैंक से ब्लड बेचा जा रहा है। यह जानकारी संबंधित को अधिकार पूर्वक प्रदान की जाए ताकि जिला सामने आए हैं।
उसके अस्पताल के ब्लड बैंक में हो रहे भ्रष्टाचार को उजागर किया जा सके और लोकायुक्त द्वारा उक्त संबंध में उचित कार्रवाई की जा सके। अस्पताल प्रबंधन ने 25 अगस्त को आवेदन स्वीकार करते हुए 25 सितंबर को जानकारी लेने की तिथि निर्धारित करते हुए वकील को आश्वस्त किया कि उन्हें संपूर्ण जानकारी दे दी जाएगी। निर्धारित तिथि पर जब महिला वकील अस्पताल पहुंची तो उसे जानकारी देने से मना करते
योगिता का आरोप है कि अस्पताल में पूर्व में भी पैसों के बदले खून देने के मामले अनुसार उसे कुछ लोगों ने यह बात बताई कि यहां पैसों के बदले खून मिलता है। ऐसे में उसे संदेह है कि यहां का स्टाफ जरूरतमंदों को रक्त उपलब्ध करवाने की बजाय बेच रहा है। इसी बात की पुष्टि के लिए उसने न्यायालय परिसर में हुए रक्तदान शिविर में दान में मिले खून के संबंध में सत्यापित जानकारी मांगी थी।
अस्पताल प्रबंधन के पास या तो दान में मिले खून का कोई लेखा जोखा है ही नहीं या फिर दान में मिले खून का यहां व्यापार हो रहा है।