BREAKING NEWS: सिद्धिविनायक भ्रूणकांड में ब्लै​कमेंलिंग की आरोपी प्रेग्नेंट महिला बनकर गई पूजा त्यागी को उच्च न्यायालय ने किया बरी

शिवपुरी। बीते लगभग डेढ साल पहले सिद्धिविनायक हॉस्पीटल में कथित भ्रूण परीक्षण कांड में नया अपडेट आया है। आज इस मामले में माननीय हाईकोर्ट ने ब्लै​कमेंलिंग के मामले में आरोपी बनाई गई महिला पूजा त्यागी को माननीय हाईकोर्ट ने बरी कर दिया है। इस मामले में अभियुक्त की और से पैरवी अभियोजन बीके शर्मा ने की ।

अभियोजन के अनुसार सिद्धिविनायक मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल के निदेशक राजेंद्र कुमार शर्मा ने एक लिखित शिकायत प्रस्तुत की जिसमें कहा गया है कि उन्हें एक व्हाट्सएप कॉल आया है जिसमें फोन करने वाले ने धमकी दी है कि अगर उनकी मांग पूरी नहीं की गई तो वे अस्पताल को बदनाम कर देंगे। इसके बाद साक्षी सक्सेना और सौरव गावा को गिरफ्तार कर लिया गया और आईपीसी की धारा 389 बढ़ा दी गई।

इस मामले में सुनवाई करते हुए माननीय न्यायमूर्ति श्री दीपक अग्रवाल जी की एकल पीट ने सुनवाई करते हुए आदेश जारी करते हुए कहा है कि साक्ष्य अधिनियम की धारा 27 के तहत अपने ज्ञापन बयान में उन्होंने कहा है कि उन्होंने सह आरोपी अनुज, याचिकाकर्ता पूजा, सह आरोपी मोहित भाटी और ध्रुव शर्मा के साथ मिलकर सिद्धिविनायक अस्पताल में स्टिंग ऑपरेशन किया और उसके बाद अस्पताल को बदनाम करने की धमकी दी. पैसे की मांग की। तत्पश्चात आवेदक को दिनांक 2.10.2021 को गिरफ्तार किया गया। जांच के बाद चार्जशीट दाखिल कर दी गई है।

वर्तमान मामले में, याचिकाकर्ता को कथित अपराध से जोड़ने वाली एकमात्र सामग्री आरोपी साक्षी सक्सेना और सौरव गावा के साक्ष्य अधिनियम की धारा 27 के तहत ज्ञापन बयान है जो कानूनी रूप से साक्ष्य में स्वीकार्य नहीं है, इसलिए, प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता है। जिसके चलते उसे आरोप मुक्त किया जाता है। साथ ही इस मामले में शिवपुरी पुलिस अधीक्षक को भी माननीय उच्च ​पीठ द्धारा एसपी शिवपुरी को यह भी निर्देशित किया है कि वह अपने अधीनस्थ समस्त अनुसंधानकर्ता अधिकारियों को निर्देशित करें कि जब तक किसी भी व्यकित के विरूद्ध ठोस साक्ष्य उपलब्ध न हो तब तक उसके विरूद्ध चालान प्रस्तुत न करें।

इनका कहना है
धारा 27 के मेमो से पूजा को अभियुक्त बनाया गया था उससे जो मोबाईल जप्त किया था। वह माननीय न्यायालय के आदेश से जांच की गई थी। ​इस मोबाईल में स्टिंग आॅपरेशन से संबंधित कोई भी मटेरियल नहीं पाया गया था। इस कारण धारा 27 का मेमो स्वीकार योग्य नहीं है। जिसपर से माननीय न्यायायल द्धारा क्रिमिनल रिवीजन को स्वीकार करते हुए उस पर लगाए गए आरोपों से बरी कर दिया है। अब इस मामले को लेकर वह माननीय न्यायालय में अभियुक्त पूजा की और से फिर से पिटीशन दायर करेंगें। जिसमें अभियुक्त ने जो जेल काटी है उसका मुआवजा मिल सके।
​एडवोकेट बीके शर्मा,व​रिष्ठ अधिवक्ता हाईकोर्ट ग्वालियर

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