सिद्धेश्वर मंदिर में स्थिति शिवलिंग ओमकारेश्वर से लेकर आए थे,राजा नल ने कराया था मंदिर का निर्माण ,चारों और स्थापित है 12 ज्योर्तिलिंग

शिवपुरी। आज पूरे देश में महाशिवरात्रि के पर्व को धूमधाम से मनाया जा रहा है। शिवपुरी भगवान शिव की नगरी है। और यहां भगवान शिव के कई प्राचीन मंदिर है। इन मंदिरों में एक मंदिर सिद्धेश्वर महादेव मंदिर है। इस मंदिर के पीछे गोरखनाथ का मंदिर है, जिसमें 12वीं शताब्दी की गोरखनाथ की मूर्ति भी है। यहां पर नाथ संप्रदाय के प्रवर्तक गोरखनाथ ने कुछ समय तक तपस्या भी की है। इस मंदिर का निर्माण राजा नल ने कराया था। उसके बाद इसका जीर्णोद्धार दौलतराव सिंधिया की रानी बैजाबाई सिंधिया के द्वारा कराया गया।
इसी क्रम में सिद्धेश्वर मंदिर का निर्माण किया गया था। मंदिर में स्थापित शिवलिंग ओमकारेश्वर से लाया गया तथा उसके चारों तरफ बारह ज्योर्तिलिंग स्थापित किए गए। महत्वपूर्ण बात यह है कि भदैया कुंड, छत्री, जाधव सागर व सिद्धेश्वर मंदिर एक लाइन में मौजूद हैं जिनका वास्तु के रूप में अधिक महत्व है। नरवर के राजाओं की छत्रियां भी इस मंदिर परिसर में मौजूद हैं। इस मंदिर में भगवान गणेश, कार्तिकजी, राम-जानकी, राधा-कृष्ण, विष्णु भगवान, की प्राचीन मूर्तियां भी मौजूद हैं। इस मंदिर में भगवान शिवलिंग व मूर्तिरूप में विराजे हैं।
श्री सिद्धेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण राजा नल ने करवाया था
मंदिर के महत गोपाल भट्ट ने बताया है कि मंदिर में स्थिापित शिवलिंग को ओमकारेश्वर मंदिर से शिवपुरी लाया गया था। इस शिवलिंग के चारों और 12 ज्योर्तिलिंग भी है। यह भी ओमकारेश्वर से लाए गए है। इस मंदिर के इतिहास की बात करें तो इस मंदिर का निर्माण राजा नल के समय में किया गया था। जिसके चलते राजा नल की छत्रियां भी इस मंदिर परिसर में बनी हुई है। इस मंदिर में भगवान शिवलिंग व मूर्तिरूप में विराजे हैं। वर्ष पूर्व शिवपुरी में कलेक्टर ओमप्रकाश श्रीवास्तव ने शिवपुरी की कमान संभाली थी। उस समय एसडीएम रूपेश उपाध्याय और कलेक्टर के सहयोग से इस मंदिर का पुन: जीर्णोद्धार किया गया। यहां वर्षो से महाशिवरात्रि के बाद सिद्धेश्वर का मेला लगता है।