7 साल की बहादुर बेटी: आग की पलटों से भाई को बचा लाई लेकिन 4 साल की बहन को नहीं बचा सकी,80 प्रतिशत झुलसी

कोलारस। खबर जिले के कोलारस थाना क्षेत्र के पडौरा गांव से आ रही है। जहां आज टपरिया में आग लग जाने से 4 साल की एक मासूम आग की चपेट में आने से बुरी तरह से झुलस गई। परिजन मासूम को लेकर जिला चिकित्सालय पहुंचे। जहां उसकी गंभीर हालात को देखते हुए उसे मेडीकल कॉलेज रैफर कर दिया है।
जानकारी के अनुसार रन्नौद थाना क्षेत्र के तिजारपुर गांव का रहने वाला आदिवासी परिवार कोलारस थाना क्षेत्र के पडौरा गांव के रहने वाले देवा सरदार के फार्म पर टमाटर तोड़ने की मजदूरी करने आया हुआ था। आदिवासी परिवार टमाटर के फार्म पर झोपड़ी बनाकर रहा था।
मिथलेश आदिवासी ने बताया कि बीते रोज सभी मजबूर दूसरे खेत पर टमाटर तोड़ने का काम कर रहे थे। झोपड़ी में उसकी 8 साल की बेटी शाम का खाना बनाने की तैयारी के लिए झोपड़ी में बने मिट्टी के चूल्हे में आग जला रही थी इसी दौरान उसकी चार साल की बेटी झोपड़ी में सो रही थी। चूल्हे आग जलाने के लिए लगाई गई जलती पन्नी हवा के झोंके से उड़कर झोपड़ी से जा लगी। इसके चलते झोपड़ी में एकाएक आग भड़क गई।
बड़ी बेटी ने भागकर अपनी जान बचाई लेकिन छोटी बेटी झोपड़ी से न निकल सकी। झोपड़ी में भड़की आग की लपटों को देख तत्काल आग बुझाई और बच्ची को बाहर निकाला। बच्ची आग की चपेट में आकर काफी झुलस चुकी थी। बच्ची को जिला अस्पताल भर्ती कराया गया यहां से बच्ची को ड्यूटी डॉक्टर ने मेडिकल कॉलेज रैफर कर दिया।
आग में झुलसी 4 साल की बच्ची के चाचा रविंद्र ने बताया कि जलती झोपड़ी से झुलसी बच्ची को बाहर निकाला लेकिन फार्म मालिक देवा सरदार ने उनकी कोई भी मदद नहीं की। अन्य मजदूर की बाइक मांगकर बच्ची को बाइक से रात में जिला अस्पताल में लाकर भर्ती कराया गया। ड्यूटी डॉक्टर ने बताया कि बच्ची आग की चपेट में आने से 70-80 फीसदी तक झुलस गई है।
बताया गया है इस दौरान 7 साल की मासूम बेटी ने बडी ही बहादुरी का परिचय दिया। उसने इस दौरान आग की चपेट में आने से अपने 1 साल के मासूम भाई को तो बचा लिया। परंतु वह अपनी 4 साल की बहन को नहीं बचा पाई। 7 साल की तुलेश ने बताया है जब टपरिया में आग लगी थी उस दौरान वह अंदर गई तो उसने देखा कि उसका 1 साल का भाई राजधर आग की चपेट में आने बाला है। वह उसे लेकर बाहर की और दौडी।
जैसे ही वह बाहर आई उसे याद आया कि उसकी छोटी बहन लक्ष्मी तो अंदर है। लेकिन तब तक आग अपना विकराल रूप ले चुकी थी। जिसके चलते वह टपरिया में जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाई। वह जोर जोर से रोने लगी। जिसका रोना सुनकर पास में काम कर रहे मजदूर मौके पर पहुंचे और पानी डालकर आग पर काबू किया गया। और जब तक लक्ष्मी को बाहर निकालते वह 80 प्रतिशत तक झुलस चुकी थी। परिजन तत्काल लक्ष्मी को लेकर अस्पताल दौडे जहां उसका उपचार जारी है।
