अशोक विहार के लोगों ने प्रशासन से उम्मीद तोडी, अब ली हाईकोर्ट की शरण, आज होगी सुनवाई

शिवपुरी। बीते ​कुछ दिनों से अशोक विहार कॉलोनी में नोटिस थमाए जाने के बाद से मचे हडकंप के बीच नगर पालिका भी इस कॉलोनी को अवैध बताकर इसमें कूंद गई। जिसे लेकर नक्से और नामांतरण करने बाली नगर पालिका ने ही इन लोगों को नोटिस थमा दिए। उसके बाद इस कॉलोनी के रहबासी विधायक यशोधरा राजे सिंधिया से भी मिलकर अपनी गुहार लगा चुके। परंतु उसके बाद भी प्रशासन सुनने तैयार नहीं है। अब इस कॉलोनी के लोगों ने अपना आखिरी दाब चला है। इसे लेकर अब यहां के रहबासियों ने हाईकोर्ट की शरण ली है। जिसमें आज सुनवाई होगी।

इस मामले में लगाई गई याचिका पर आज सुनवाई होगी। य​हां बता दे कि शिवपुरी नगर पालिका द्धारा अशोक विहार कॉलोनी को अवैध बताते हुए 28 लोगों को नोटिस जारी करते हुए उनके निर्माण को अवैध बताया था। साथ ही इन्हें तोडने की भी चेतावनी जारी की थी। जिसे लेकर कल यहां के रहबासियों ने नगर पालिका में अपने बकीलों के माध्यम से लिखित में इन नोटिसों के जबाब भी प्रस्तुत किए।

कॉलोनीबासियों की और से अधिवक्ता संजीव बिलगैया ने नगर पालिका में इन नोटिसों के जबाब देते हुए बताया है कि यह निर्माण कार्य विधि अनुसार ही किया गया है। इस निर्माण कार्य से पहले कॉलोनी के लोगों ने नपा को संपत्तिकर भी जमा दिया है। इसके साथ ही ​मकान मालिकों ने विधिवत नल,बिजली के कनेक्शन भी ले रखे है। संबंधित कालोनी में समस्त शासकीय सुविधा स्वीकृत होने के साथ ही सड़क और सीवर आदि प्रदाय किया गया है।

एडबोकेट संजीब बिलगैया ने बताया है कि यह कालोनी वालों ने निर्माण विधि विरुद्ध नहीं किया है। ऐसे में उन्हें भेजे गए सूचना पत्र अर्थहीन और निरस्त करने योग्य हैं। इसके अलावा कालोनी वालों ने अपने जबाब में इस बात का भी उल्लेख किया है कि उनके द्वारा उच्च न्यायालय ग्वालियर के समक्ष याचिका प्रस्तुत की गई है। जो न्यायालय में विचाराधीन है। याचिका में नगर पालिका शिवपुरी रेस्पो डेंट क्रमांक. तीन है।

इस संबंध में प्रार्थियों के अभिभाषक द्वारा शासन को एडवांस नोटिस प्रदान किया गया और इसके बाद याचिका प्रस्तुत की गई जो न्यायालय में विचाराधीन है। ऐसी परिस्थिति में याचिका प्रस्तुत होने के बाद पत्र प्रस्तुत जारी किया जाना न्यायिक प्रक्रिया को दूषित करने की श्रेणी में आता है। अब देखना यह है कि आज हाईकोर्ट में हो रही सुनवाई में माननीय हाईकोर्ट इस मामले में क्या फैसला सुनाता है।

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