नसबंदी शिविर: जिला चिकित्सालय में नसबंदी के केस को बेचने को लेकद आशा और सहायिका में जमकर हुआ विवाद

शिवपुरी। खबर शहर के सिटी कोतवाली क्षेत्र के जिला चिकित्सालय से है। जहां बीते रोज महिलओं की नसबंदी को लेकर आशा और कार्यकर्ताओं में जमकर विवाद हो गया। यह विबाद नसबंदी के केस को बेचने को लेकर हुआ हैै। इस मामले में आशा कार्यकर्ता ने आरोप लगाया है कि सहायिका उसके क्षेत्र के नसबंदी के केस दूसरे वार्ड की आशा को बेच देती है। वही सहायिका का आरोप है कि उसे केस में मिलने बाली राशि का कमीशन नहीं देती इसलिए वह ऐसा करती है।
विदित हो कि स्वास्थ्य विभाग के नियमों के अनुसार कोई भी आशा कार्यकर्ता किसी महिला को नसबंदी कराने को राजी करती है और उसकी नसबंदी शिविर में लाकर करवाती है तो उसे प्रोत्साहन राशि दी जाती है। इसमें अगर आशा कार्यकर्ता दो बच्चों की मां की नसबंदी कराती है तो उसे 1300 रुपए प्रोत्साहन राशि दी जाती है। इसके अतिरिक्त अगर तीन बच्चों की मां की नसबंदी कराती है तो उसे 300 रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाती है।
यह राशि सीधे आशा कार्यकर्ता के खाते में आती है। नसबंदी के इस कार्य में सहायिका का कोई कार्य नहीं रहता है और न ही उसे राशि मिलती है। इसी के चलते बीते रोज वार्ड क्रमांक 39 ठकुरपुरा निवासी एक महिला कारी आदिवासी नसबंदी के लिए जिला अस्पताल पहुंची हुई थी। महिला को वार्ड क्रमांक 39 की आंगनबाड़ी सहायिका कमला शाक्य नसबंदी आपरेशन के लिए जिला अस्पताल लेकर आई हुई थी और उक्त महिला के प्रेरक के रूप में वार्ड क्रमांक 25 की आशा कार्यकर्ता आसमा खान का नाम दर्ज करवा दिया था। जबकि यह नसबंसी का केस 39 की आशा अचिराभा शर्मा के नाम चढ़ाया जाना था।
इस बात की भनक वार्ड 39 की आशा अचिराभा शर्मा को लग गई। उसने आंगनबाड़ी सहायिका कमला शाक्य के समक्ष इस पर विरोध दर्ज कराया तो पहले तो आंगनबाड़ी सहायिका कमला मौके से भाग खड़ी हुई, लेकिन कुछ देर बाद जब वह वापिस लौट कर आई तो उसने स्वीकार किया कि वह नसबंदी केस लेकर आई थी और उसने यह केस वार्ड क्रमांक 25 की आशा आसमा खान को दिया है।
आशा कार्यकर्ता अचिराभा का कहना है कि सहायिका का काम महिलाओं को प्रसव और नसबंदी के लिए लाने का नहीं है, इसके बाबजूद वह उसके काम में दखल दे रही है। आंगनबाड़ी सहायिका कमला शाक्य का कहना था कि आसमा उसे हर केस पर अपनी स्वेच्छा से कुछ न कुछ देती है, इसलिए वह केस उसे देती है। अगर तुम मुझे हर केस पर कुछ दोगी तो मैं तुमको केस दूंगी। कमला शाक्य ने अचिराभा शर्मा से यहां तक कह दिया कि एक बात तो आप समझ लो कि मैं वार्ड की रहनी वाली हूं इसलिए मैं आपसे ज्यादा केस कर सकती हूं, इसलिए आप मुझसे मिलकर काम करेंगी तो ज्यादा अच्छा होगा।
आशा कार्यकर्ता अचिराभा का कहना है कि सहायिका कमला शाक्य के द्वारा नसबंसी के केस लाने के लिए उससे पैसों की मांग की जा रही है। कमला वार्ड क्रमांक 39 के नसबंदी के केस वार्ड क्रमांक 25 की आशा कार्यकर्ता को बेच रही है वह इसकी शिकायत वरिष्ठ अधिकारियों से करेगी। अब देखना यह है कि इस मामले में किस पर कार्यवाही की जाती है।