व्यापारी लगा रहे है शासन को चूना: मंडी में 250 व्यापारी रजिस्टर्ड , पहुंच रहे है महज 15 व्यापारी पहुंच रहे है, लाखों का टैक्स चोरी

शिवपुरी। शहर से दूर स्थिति पिपरसमा मंडी भले ही करोडों रूपए की लागत से बनकर तैयार हो गई है। परंतु इस मंडी से व्यापारी ही दूरी बना रहे है। हालत यह है कि यहां शहर के व्यापारी मंडी को छोडकर बाहर करोडो के माल की खरीदी विक्री कर रहे है। अब विना मंडी के हो रही इस खरीदी बिक्री से शासन को प्रतिदिन लाखों रूपए का राजस्व का चूना लग रहा है।

जानकारी के अनुसार शिवपुरी में पि​परसमा पर स्थिति कृषि उपज मंडी में बैसे तो 250 के लगभग व्यापारी रजिस्टर्ड है। परंतु इस मंडी में महज पंद्रह व्यापारी ही ऐसे हैं जो किसानों की फसलों को खरीदने आते हैं। बाकी 235 व्यापारी ऐसे हैं जो कभी भी मंडी में किसानों की फसलों को खरीदने नहीं आते हैं। मंडी के व्यापारी सुनील गर्ग मामू ने बताया की पिपरसमा मंडी में कुछ फ़ीसदी ही व्यापारी फसल को खरीदने आते हैं बाकी के व्यापारी मंडी के बाहर से ही व्यापार कर रहे हैं। गल्ला व्यापारी रवि शिवहरे ने बताया कि कई व्यापारी अपने निजी गोदामों पर फसलों को खरीद कर टैक्स चोरी कर रहे हैं।

मंडी में किसानों की फसल को खरीदने के बाद व्यापारियों को पांच प्रतिशत जीएसटी चुकानी होती है इसके अतिरिक्त डेढ़ प्रतिशत व्यापारियों को मंडी कर भी चुकाना पड़ता है। ऐसे में अगर यह व्यापारी अपने निजी गोदाम से किसानों की फसल को सीधा खरीदते हैं तो उन्हें ना ही जीएसटी चुकानी पड़ती है और ना ही डेढ़ प्रतिशत मंडी कर। सूत्रों की माने तो शिवपुरी शहर में कई व्यापारी हर रोज किसानों की सीधी फसल खरीद कर सरकार को लाखों रुपए के मिलने वाले राजस्व में सेंधमारी लगाने का कार्य कर रहे हैं।

व्यापारियों के द्वारा राजस्व में सेंध लगाई जा रही है लेकिन इसमें किसानों का भी नुकसान हो रहा है निजी गोदामों पर किसानों के साथ तोल में भारी मात्रा में हेरा फेरी कर दी जाती है। दूसरी ओर मंडी में भी कम ही व्यापारी रहते हैं जो सांठगांठ कर व्यापारियों की फसलों को उच्च दामों तक नहीं पहुंचाते हैं इससे किसानों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।

बताया गया है कि पिपरसमा मंडी में 2 वर्ष पहले 20×40 के 70 प्लॉट ऑक्शन प्रक्रिया के तहत काटे गए। इसमें व्यापारियों को मंडी प्रांगण में गोदाम बनानी थी इस प्रक्रिया में अब तक महज 25 व्यापारियों ने ही रजिस्ट्री कराई है शेष प्लॉट की रजिस्ट्री व्यापारियों के द्वारा नहीं कराई गई है। इस प्रक्रिया के तहत भी बड़ी संख्या में होने वाले राजस्व के धन पर भी रोक लगा कर रखी गई है।

इस पूरे मामले में मंडी सचिव हरेंद्र सिंह राठौर का कहना है कि पूर्व से चल रहे मंडी के हालातों में काफी सुधार लाया गया है। आगे भी व्यापारी मंडी में आकर फसल खरीदें इसके प्रयास किए जा रहे हैं। व्यापरियों को गोदाम बनाने के लिए जगह आवंटित की गई थी उक्त जगह में व्यापारी धीरे धीरे अपने गोदाम का निर्माण कराने लगे है।

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