वाह ने सोते हुए प्रशासन: मकान की रजिस्ट्री, नामांकन, डायवर्शन ओर नगर पालिका से निर्माण की अनुमति,अब अवैध बताकर अशोक विहार में थमा दिए नोटिस

शिवपुरी। जिले में प्रशासन पूरी तरह से नींद में सोया हुआ है। यहां अधिकारी कर्मचारी पूरी तरह से टेविल के नीचे से रिश्वत लेने में व्यस्त है। खामियाजा पब्लिक को भुगतना पड़ रहा है। एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे देखकर अधिकारियों की कार्यप्रणाली समझ आ जायेगी।

दरअसल शिवपुरी जिला प्रशासन ने आज अशोक विहार कॉलोनी में रहने वाले लोगों को प्रशासन ने नोटिस जारी किए हैं कि वह जिस जमीन पर रह रहे हैं वह सरकारी है। इस नोटिस के माध्यम से लोगों को बेदखल करने की चेतावनी दी गई है।

प्रशासन द्वारा लोगों को जारी किए गए नोटिस के संबंध में कालोनी वालों ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर ली है। कालोनी वालों का कहना है कि उनके पास जमीन की रजिस्ट्री है। वह सालों से इसी जमीन पर बनाए गए मकानों हाउस टैक्स भी नपा को भर रहे हैं।

जानकारी के अनुसार 21 नवंबर को तहसील शिवपुरी से टीवी टावर रोड अशोक विहार कालोनी में रहने वाले 25 मकान मालिकों को सरकारी जमीन पर करके मकान बनाने के संबंध नोटिसों में मकान मालिकों को सरकारी सर्वे नंबर 1098 व 1000 पर अतिक्रमण करके बनाने के नोटिस जारी किए गए हैं।सूत्र बताते हैं कि अभी 19 और कालोनी वालों को नोटिस देने की तैयारी की जा रही है। कालोनी वालों का कहना है देने का मन बना लिया है।

यहां उल्लेख करना होगा कि वर्ष 2016 में भी शिवपुरी तहसीलदार एसके मिश्रा ने कालोनी वालों को नोटिस जारी किए थे। तत्समय नोटिस के जवाब भी दिए गए और कॉलोनी वालों ने जमीन का सीमांकन करने की गुहार लगाई थी।

कालोनी में ही रहने वाले खेमराज नामक एक व्यक्ति ने अपने प्लॉट को रजिस्ट्री के आधार पर उसका नामांतरण, उक्त मकान सरकारी जमीन पर है तो इसमे राजस्व विभाग सहित नगर पालिका के सारे कर्मचारी दोषी हैं, जिन्होंने मकान बनाने की अनुमति प्रदान की है।इस मामले में सबसे अहम बात यह है कि उस समय क्या राजस्व विभाग सो रहा था क्या जब कालोनी बनी थी।

ऐसा नही है कि यह मामला पहलीबार सामने आया हो इस मामले में कालोनाइजर दो वार न्यायालय से भी जीत चुका है। इस कालोनी को हेमंत खेमरिया नामक कॉलोनाइजर व उसके पिता ने काटा है। यह कालोनी को लेकर उठे विवाद के संबंध दो बार हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा है। दोनों बार हाई कोट से केस भी जीत चुका है। इसके बाद रह रह कर प्रशासनिक अधिकारी किस आधार पर नोटिस बांट रहे हैं? इसका कोई जवाव फिलहाल अधिकारी नहीं दे रहे हैं।

इसके अलावा कालोनी वालों का कहना है कि उनके पास दस्तावेज मौजूद है जिसमें इस बात का उल्लेख है कि सर्वे नंबर 1090 की भूमि प्रशासन द्वारा हास्टल व हाउसिंग बोर्ड की नालोनी निर्माण के लिए वीजा है। अब 1099 सर्वे नंबर का कोई भूमि उनके पास नहीं है। इसके बावजूद प्रशासन द्वारा 1000 सर्वे नंबर पर अतिक्रमण के नोटिस आखिर किस आधार पर जारी किए है।

हमने 28 लोगों को नोटिस जारी किए है और उनसे जवाब मांगा है। यह लोग अपने-अपने जवाब पेश करें, इसके कि उनके पास उनके प्लाट्स की रजिस्ट्री के संबंध में भी आवेदन दिए। पूरे मामले की डायवर्शन करवाया है।

कालोनी वालों का यहां तक कहना है अधिकारियों को इतने सालों में अतिक्रमण याद आया है। पूर्व में कॉलोनी वालों ने प्रशासन को न्यायालय में चुनौती दी थी। क्योंकि यहां ऐसा कोई प्वाइंट नहीं है जहां से अनुमति से प्रदान कर की?

नामांतरण, डायवर्सन, हाउस टैक्स जमा किया गया और तत्कालीन तहसीलदार नगर पालिका द्वारा भबन निर्माण की अनुमति दी गई। और नक्शा भी पास किया। क्या यह कालोनी रातों रात तो नहीं बसी है। जो प्रशासन को दिखाई नही दी है। इस मामले में कुछ लोगों का नोटिस वर्ष 2016 में भी जारी किए गए थे।

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