कर्मचारियों की मांग विधायक,सांसदों को पेंशन कर्मचारियों को क्यों नहीं,एक देश एक विधान फिर क्यों भेदभाव: जनक सिंह रावत

शिवपुरी। पुरानी पेंशन बहाली संघ न्यू मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन संघ की बैठक सावरकर पार्क शिवपुरी में आयोजित की गई संगठन के बालूराम रावत, वीरेंद्र शिवहरे द्वारा बताया गया कि आज की बैठक में संगठन के राष्ट्रीय संयोजक जनक सिंह रावत ने बताया गया कि नई पेंशन योजना एनपीएस को जारी रखना किसी भी तरह से कर्मचारियों और करदाताओं के लिए न्याय संगत नही है।
जब देश में एक संविधान एक राष्ट्र की परिकल्पना को सरकार द्वारा साकार किया जा रहा है फिर कर्मचारियों के साथ क्यों भेदभाव हो रहा है एक ऒर हमारे विधायकों, सांसदों को एक बार निर्वाचित होने पर पेंशन की पात्रता है और जीवन भर पेंशन सहित अन्य योजनाओं का लाभ लेते हैं और परिवार पेंशन का भी प्रावधान है।
दूसरी तरफ कर्मचारी 30 से 35 साल सरकारी सेवा करने के बाद भी पेंशन का हकदार नहीं यह न्याय संगत नहीं है जब कर्मचारियों अधिकारियों को पेंशन की पात्रता नहीं है फिर हमारे विधायक सांसदों को पेंशन का लाभ क्यों दिया जा रहा है यह देश की जनता के लिए सोचनीय प्रश्न है हमारे विधायक, सांसद जो पेंशन प्राप्त करते हैं वह देश के टैक्स पेयर और जनता की मेहनत के द्वारा सरकार को दी गई टैक्स की राशि से सुख सुविधा भोग रहे हैं विधायक, सांसदों की पेंशन भी बंद करना चाहिए।
संघ के बालू राम ने कहा कर्मचारियों,अधिकारियों के लिए आर्थिक भार बता पुरानी पेंशन योजना को बंद किया गया, वहीं 2004 से लागू की गई नई पेंशन योजना एनपीएस में भी लगातार सरकार के ऊपर आर्थिक भार बढ़ता जा रहा है। जैसे-जैसे कर्मचारियों की संख्या और वेतन में बढ़ोतरी हो रही है, वैसे ही एनपीएस में सरकार द्वारा निवेशित रकम बढ़ती जा रही है वर्तमान में 5 लाख करोड़ से ज्यादा है और जिसका किसी भी तरह का लाभ कर्मचारियों और सरकार को ना हो बल्कि बड़े पूंजीपतियों को होता हुआ नजर आ रहा।
जिसको लेकर आज देश के सभी राज्यों में पुरानी पेंशन का मुद्दा और आंदोलन लगातार जोर पकड़ता जा रहा है, महिला मोर्चा जिला अध्यक्ष बसंती शर्मा द्वारा बताया कि देश के राजस्थान,छत्तीसगढ़,झारखंड एवं पंजाब सरकार द्वारा पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू की गई है अन्य राज्यों में भी पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू की जाना चाहिए संघ के जिलाध्यक्ष वीरेंद्र ने कहा कि कर्मचारियों के वेतन का 10 प्रतिशत और आम जनता की गाढ़ी कमाई का 14 प्रतिशत अंशदान जो सरकारी खजाने से कर्मचारियों की पेंशन के नाम पर बाजार आधारित योजना एनपीएस में निवेश किया जा रहा है।
एनएसडीएल इस 24 प्रतिशत रकम को एसबीआई, यूटीआई और एलआईसी के माध्यम से म्यूच्यूअल फण्ड, शेयर मार्केट और अन्य तरह के बाजार आधारित बांड में निवेशित करता है जिसका पूरा लाभ कर्मचारियों की बजाय बड़े पंजीपतियों को हो रहा है। पीएफआरडीए एक्ट के तहत नई पेंशन योजना को लागू किया गया जिसमें निवेशित रकम की किसी भी तरह की वापसी की गारंटी और कर्मचारियों के लिए निश्चित पेंशन का प्रावधान नही किया गया।
एनपीएस किसी भी तरह से पेंशन योजना, ना होकर कर्मचारियों पर जबर्दस्ती लागू किया गया इन्वेस्टमेंट प्लान है। और इसको हड़प नीति कहे तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी सेवानिवृत्त हो रहे कर्मचारियों को ना मात्र 1000से 2000₹ पेंशन मिल रही है। वही अगर दूसरा पहलू देखें तो 2004 में जहाँ कर्मचारियों पर नई पेंशन योजना लागू की गई लेकिन आज तक विधायकों और सांसदों पर इसे लागू नही किया गया। जहां कर्मचारी सेवानिवृत्त होने के बाद में पेंशन का हकदार होता है वही विधायकों और सांसदो को एक दिन की सदस्यता के बाद भी पेंशन का हकदार बना दिया गया।
दूसरा अगर कोई व्यक्ति 25 साल की उम्र में भी विधायक या सांसद बन जाता है और कुछ समय बाद इस्तीफा भी दे तो उसी समय से उनके लिए पेंशन का प्रावधान किया गया है। यह कर्मचारियों और टैक्सपेयर के पैसे का दुरुपयोग है पुरानी पेंशन बहाल की जाए एवं राष्ट्रहित में विधायकों सांसदों को मिल रही पेंशन को बंद किया जाए सभी वक्ताओं ने एक स्वर में कहा हमारी भी सुनो सरकार कर्मचारी अधिकारियों को पेंशन नहीं फिर विधायक सांसदों को पेंशन क्यों बैठक में उपस्थित कर्मचारियों द्वारा संकल्प लिया गया पेंशन नहीं तो वोट नहीं मुहिम को घर-घर तक ले जाएंगे।
बैठक में हेमंत यादव,बसंती शर्मा, रेनू शर्मा, संगीता भार्गव, मेघा गुप्ता, अनिता राठौर,सोमप्रभा तोमर, सपना शिवहरे, ज्योति भदोरिया, प्रेम सुधा श्रीवास्तव,बालूराम रावत,जनक सिंह रावत,वीरेंद्र सिंह रावत, बृजेश शुक्ला, रामसेवक वर्मा, वीरेंद्र शिवहरे, गणेश धाकड़,दिनेश शर्मा, नीरज मिश्रा, बृजेश वर्मा, रविंद्र रावत, वीरेंद्र ओझा,अशोक सिंघल, राजाराम राठौर ,जय कुमार शर्मा, दिनकर निखरा,भूपेंद्र सिंह रघुवंशी, गिर्राज शुक्ला सहित सैकड़ों कर्मचारी उपस्थित रहे।
