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एक साल पहले युवती का अपहरण: बंधक बनाकर लगातार गैंगरेप, गैंगरेप की निशानी ढाई माह की मासूम,हत्या का प्रयास

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शिवपुरी। खबर पुलिस अधीक्षक कार्यालय से आ रही है। ज​हां एक महिला ने आरोपीयों पर अपहरण कर गैंगरेप करने का आरोप लगाया है। इस मामले की शिकायत पीडिता ने पुलिस अधीक्षक से की। जहां पुलिस अधीक्षक ने मामले की जांच के बाद कार्यवाही की बात कही है।

पुलिस अधीक्षक को शिकायत करते हुए महिला ने बताया है कि वह पोहरी के नयागांव की रहने बाली है। बीते एक साल पहले वह अपने घर से ताजिया देखने पोहरी गई थी। तभी वहां उसे बडेगांव मोहना निवासी अर्जुन पुत्र सरदार सिंह,सांवरिया, शिवसिंह,पहलवान,मोहर सिंह पुत्र लडडू और बट्टू पत्नि बाबूलाल लाल रंग की कार में बिठाकर उसका अपहरण कर उसे अपने साथ जयपुर ले गए।

महिला ने आरोप लगाते हुए बताया है कि आरोपी उसे जयपुर के एक गांव में ले गए जहां आरोपीयों ने महिला को एक गांव में रखा और सभी आरोपीयों ने उसके साथ बारी बारी से गैंगरेप किया। इतना ही नहीं इस गैंगरेप से महिला प्रेग्नेट हो गई और उसके बीते ढाई माह पहले एक बेटी को जन्म भी दिया है। यह बेटी रेप के बाद उसकी खोक में आई थी।

पुलिस अधीक्षक को शिकायत करते हुए महिला ने बताया है कि उसके बाद आरोपी उसे लेकर मोहना आ गए और उसे कमरे में बंद कर उसके साथ मारपीट करते उसे खाने भी नहीं देते। पीडिता ने बताया है कि बीते दिनांक 9 अगस्त 2025 को आरोपियों ने उसे बसई की डांग ले जाकर हत्या करने का प्रयास किया, लेकिन किसी तरह वह उनके चंगुल से भाग निकली और रोड पर आकर बस रोककर रात करीब 10 बजे अपने घर पहुंची। वहां उसने पूरी घटना अपने परिवार को बताई।

पीडिता ने बताया कि उसी रात करीब 1 बजे आरोपी अर्जुन अपने साथियों सहित उसके घर पहुंचा, गंदी गालियां दीं, पत्थरबाजी की और धमकी दी कि यदि वह उसके साथ नहीं जाएगी तो पूरे परिवार को जान से मार देगा। इसके बाद से ही आरोपी लगातार फोन कर धमकियां दे रहे हैं।

पीड़िता का आरोप है कि जब वह थाना पोहरी रिपोर्ट लिखवाने गई तो पुलिस ने उसके अनुसार रिपोर्ट दर्ज नहीं की। सिर्फ अर्जुन द्वारा गाली-गलौज करने की मामूली शिकायत लिख ली गई, जबकि गंभीर आरोपों को नजरअंदाज कर दिया गया।

पीड़िता ने एसपी शिवपुरी से गुहार लगाई है कि उसके आवेदन पर गंभीरता से सुनवाई कर आरोपियों के खिलाफ बलात्कार, अपहरण और जान से मारने की धमकी देने का प्रकरण पंजीबद्ध कर कठोर कार्रवाई की जाए। साथ ही पीड़िता और उसके परिवार की जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।

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