कागजों पर 350 बच्चों को मिड-डे-मील, असल में सिर्फ 20 खाते हैं; बाकी टिफिन लाते, जांच के आदेश

शिवपुरी। जिले के वारा एकीकृत हाई स्कूल में मिड-डे-मील योजना में भारी गड़बड़ी उजागर हुई है। कागजों में यहां रोज़ाना 350 छात्र-छात्राओं को भोजन कराने का भुगतान दिखाया जा रहा है, जबकि हकीकत में केवल 15–20 आदिवासी बच्चे ही मिड-डे-मील खा रहे हैं। अधिकांश बच्चे घर से टिफिन लेकर आते हैं।
जानकारी के अनुसार वारा और आसपास के गांवों में गुर्जर समाज की संख्या अधिक है। हाल ही में मिड-डे-मील बनाने की जिम्मेदारी चपरिया बाबा स्वसहायता समूह को दी गई, जिसमें आदिवासी महिलाओं को काम दिया गया। लेकिन गुर्जर और अन्य समाज के बच्चों ने आदिवासियों के हाथ का खाना खाने से इंकार कर दिया। इसके चलते बच्चों के परिजनों ने प्रबंधन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं।
ग्रामीण बलवीर गुर्जर और महेंद्र गुर्जर का आरोप है कि बच्चों को स्कूल में भोजन नहीं दिया जा रहा, बल्कि मिड-डे-मील का राशन शिक्षक और जिम्मेदार लोग हजम कर रहे हैं। जनवरी से जुलाई तक के रिकॉर्ड में हर माह 150 से अधिक बच्चों को प्रतिदिन भोजन कराने का दावा दर्ज है और उसी हिसाब से स्वसहायता समूह को भुगतान भी किया गया।
प्राचार्य ने भी जताई आपत्ति
स्कूल प्राचार्य ने विभाग को पत्र लिखकर स्पष्ट किया कि जिन लोगों के नाम भोजन बनाने वालों की सूची में दर्ज हैं, वे कभी स्कूल आते ही नहीं हैं।
जिला पंचायत सीईओ बोले—कराई जाएगी जांच
जिला पंचायत सीईओ हिमांशु जैन ने कहा कि बच्चे मिड-डे-मील क्यों नहीं खा रहे और जब भोजन नहीं हो रहा तो भुगतान कैसे जारी हुआ, इसकी जांच कराई जाएगी। दोषियों पर कार्रवाई तय है।