PM मोदी ने ‘मन की बात’ में दिया संदेश: आपदाओं पर संवेदनाएं, खेलों में उपलब्धियां व सौर ऊर्जा से बदलाव

शिवपुरी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को प्रसारित ‘मन की बात’ कार्यक्रम में देशवासियों से संवाद करते हुए प्राकृतिक आपदाओं, खेल, युवाओं के अवसर, शहडोल के खिलाड़ियों, सौर ऊर्जा और कारीगरों की भूमिका पर विस्तार से चर्चा की।
उन्होंने कहा कि मानसून के दौरान बाढ़ और भूस्खलन से देश के कई हिस्सों में तबाही हुई है। जिन परिवारों ने अपने प्रियजन खोए हैं, उनका दर्द हम सबका दर्द है। संकट की इस घड़ी में NDRF, SDRF, सेना और सुरक्षा बलों ने राहत व बचाव कार्यों में अद्वितीय योगदान दिया है। पीएम ने इस आपदा के समय मानवता की सेवा करने वाले हर नागरिक का आभार व्यक्त किया।
उन्होंने जम्मू-कश्मीर की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए बताया कि पुलवामा में पहला डे-नाइट क्रिकेट मैच आयोजित हुआ और श्रीनगर की डल झील पर देश का पहला खेलो इंडिया वाटर स्पोर्ट्स फेस्टिवल हुआ, जिसमें 800 से अधिक खिलाड़ी शामिल हुए। इसमें मध्यप्रदेश ने सर्वाधिक पदक जीते, उसके बाद हरियाणा और ओडिशा का स्थान रहा।
युवाओं को नए अवसर देने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि UPSC जैसी कठिन परीक्षाओं में मामूली अंतर से बाहर हो गए योग्य युवाओं की मदद के लिए ‘प्रतिभा सेतु पोर्टल’ बनाया गया है। इसमें 10 हजार से अधिक होनहार युवाओं की जानकारी दर्ज है और कई युवाओं को इसका लाभ भी मिल चुका है।
शहडोल के खिलाड़ियों का उल्लेख करते हुए पीएम मोदी ने बताया कि जर्मनी के कोच डिएटमर बेइर्सडॉर्फर ने शहडोल आकर खिलाड़ियों को ट्रेनिंग दी और अब उन्हें जर्मनी में प्रशिक्षण दिलाने का प्रस्ताव दिया है। इसे भारत के खेल जगत की बढ़ती पहचान बताया गया।
प्रधानमंत्री ने सूरत के सुरक्षा गार्ड जितेंद्र सिंह राठौड़ की देशभक्ति की मिसाल का भी जिक्र किया। उन्होंने हजारों शहीद जवानों की जानकारी संकलित की है और ढाई हजार शहीदों के माता-पिता के चरणों की मिट्टी सुरक्षित रखी है।
सौर ऊर्जा के महत्व पर उन्होंने बिहार की देवकी ‘सोलर दीदी’ का उदाहरण देते हुए कहा कि सोलर पंप और सोलर राइस मिल से किसानों की आमदनी बढ़ रही है और गांव-गांव में सौर ऊर्जा नई रोशनी ला रही है।
अंत में प्रधानमंत्री ने 15 सितंबर को इंजीनियर्स डे पर इंजीनियरों को सपनों को साकार करने वाले कर्मयोगी बताते हुए शुभकामनाएं दीं। साथ ही 17 सितंबर को विश्वकर्मा जयंती को कारीगरों और शिल्पकारों को समर्पित बताते हुए कहा कि सरकार उनकी सहायता के लिए विश्वकर्मा योजना चला रही है।
