नपा अध्यक्ष गायत्री शर्मा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव निर्णायक दौर में, अब फ्लोर टेस्ट शेष

शिवपुरी। नगर पालिका अध्यक्ष गायत्री शर्मा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की कार्रवाई निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है। सोमवार को कलेक्ट्रेट में हुई सुनवाई में 22 पार्षदों में से 18 ने दस्तावेजों के साथ उपस्थिति दर्ज कराई, जबकि 4 पार्षद अनुपस्थित रहे।
उपस्थित पार्षदों में नपा उपाध्यक्ष सरोज रामजी व्यास भी शामिल रहीं। हालांकि उन्होंने दस्तावेज और हस्ताक्षर प्रस्तुत नहीं किए। इस पर सवाल पूछे जाने पर उनके पति रामजी व्यास ने कहा कि वे अब केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के आदेश के पक्ष में हैं। उन्होंने कहा कि हर किसी को निर्णय लेने की स्वतंत्रता है और यह लड़ाई संगठन विरोध की नहीं बल्कि अध्यक्ष को हटाने की है। हालांकि, अविश्वास प्रस्ताव पर सीधे सवाल पूछे जाने पर उन्होंने चुप्पी साध ली।
कलेक्ट्रेट पहुंचे पार्षद राजू गुर्जर ने आरोप लगाया कि पार्टी को 31 पार्षदों की हस्ताक्षरित सूची दी गई थी, लेकिन उसमें शामिल गुप्त नाम उजागर कर दिए गए, जिससे उन पार्षदों पर दबाव बनाया गया। उन्होंने यह भी कहा कि अध्यक्ष गायत्री शर्मा ने कुछ पार्षदों को किडनैप करने की कोशिश की।
नेता प्रतिपक्ष शशि शर्मा ने भी नपा अध्यक्ष पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि जिन पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए थे लेकिन कलेक्ट्रेट नहीं पहुंचे, वे सभी पैसे में बिक गए हैं। उन्होंने जनता और विकास का भला न देखकर बिकना उचित समझा है। शशि शर्मा ने कहा कि अध्यक्ष ने खरीद-फरोख्त की है और जनता समय आने पर इसका जवाब देगी।
अनुपस्थित रहने वाले चार पार्षदों में मीना मुकेश बाथम (जिनका स्वास्थ्य खराब बताया गया), भाजपा पार्षद वेदांश सविता और मक्खन आदिवासी शामिल रहे।
गौरतलब है कि अविश्वास प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने वाले कुल 22 पार्षद हैं। इनमें सरोज रामजी व्यास, सुनीता गोयल, सपना धाकड़, सुषमा लोधी, रचना भार्गव, विनीता खेमरिया, विनीता बाथम, सीमा शर्मा, मीना मुकेश बाथम, बृजेश बाथम, अशोक लोधी, सुनील लोधी, संजीव अग्रवाल, प्रमोद लोधी, संतोष लोधी, लोकेश लोधी, महेश शर्मा, राजेश खेमरिया, अंकित धाकड़, नीरज शर्मा, प्रदीप धाकड़ और मक्खन आदिवासी शामिल हैं।
कलेक्ट्रेट में दस्तावेजों और पार्षदों की पहचान की जांच पूरी होने के बाद अब अगला चरण फ्लोर टेस्ट का होगा। विशेष बैठक में सभी पार्षदों से पूछा जाएगा कि वे अध्यक्ष पर विश्वास रखते हैं या नहीं। मतदान की प्रक्रिया राज्य सरकार की नियमावली के अनुसार हाथ उठाकर या गुप्त मतदान से कराई जाएगी। यदि दो-तिहाई बहुमत अध्यक्ष के खिलाफ जाता है तो अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाएगा और अध्यक्ष गायत्री शर्मा पद से हटा दी जाएंगी। वहीं यदि बहुमत नहीं मिला तो वे पद पर बनी रहेंगी।
इससे पहले 13 जून को पार्षद बगीचा सरकार हनुमान मंदिर पहुंचकर अध्यक्ष को हटाने का संकल्प ले चुके हैं। वहीं 11 अगस्त को कलेक्टर को अविश्वास प्रस्ताव का आवेदन दिया गया था। अब जबकि 22 में से 18 पार्षदों ने कलेक्ट्रेट में उपस्थिति दर्ज करा दी है, बहुमत का संकेत साफ मिल रहा है। इसी कारण अब सबकी निगाहें फ्लोर टेस्ट की तारीख पर टिकी हुई हैं, जो तय करेगी कि गायत्री शर्मा की कुर्सी बचती है या चली जाती है।