खेत पर जाने को रास्ता नहीं: टावर पर चढा युवक तो हरकत में आया प्रशासन,400 बीघा जमीन अतिक्रमण से मुक्त-SHIVPURI NEWS

शिवपुरी। जिले में इन दिनों शासन में बैठे जिम्मेदार पूरी तरह से निरंकुश है। अधिकारीयों पर किसी तरह का कोई अंकुश नहीं है जिसके चलते यहां बाबूगिरी सिर चढकर बोल रही है। हालात यह है कि या तो यहां काम नेताओं के होते है या फिर गांधी जी की दम पर। अगर आपके पास यह नहीं है तो फिर आप चक्कर लगाते ही रहे आपका काम नहीं होगा। इसे लेकर अब जिले में नया ट्रेड बन गया है टावर या पानी की टंकी। यहां लोग न्याय मांगते मांगते परेशान हो जाते है तो थक हारकर वह न्याय की देवी टंकी या टावर पर चढ जाते है। उसके बाद उनकी सुनवाई भी होती है।
ऐसा ही मामला पिछोर अनुविभाग के ऊमरीकलां गांव से सामने आया। जहां बुधवार को खेत जाने के लिए रास्ते की मांग को लेकर मोबाइल टावर पर चढ़े युवक की घटना के बाद गुरुवार को वन अमला हरकत में आ गया और करीब 400 बीघा वन भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराने की कार्रवाई की गई। कार्रवाई के दौरान रेंजर अनुराग तिवारी और अन्य मौजूद रहे।
यहां बता दे कि ऊमरीकलां के पास सैकड़ों बीघा वन भूमि पर कुछ दबंग लोगों ने वन अमले से साठगांठ कर कब्जा कर फसल लगा रखी है। यह सिलसिला कई सालों से चल रहा था। ऊमरीकलां के रहने वाले किसान जगत सिंह लोधी की उसी वन भूमि से लगी 14 बीघा जमीन है। उस जमीन पर जाने वाले रास्ते पर भी लोगों ने कब्जा कर रखा था। उस कब्जे को हटाने के लिए कई बार जनसुनवाई से लेकर अन्य अधिकारियों को शिकायत कर चुका था। हालांकि, कोई कार्रवाई नहीं हुई।
इसी बात से परेशान होकर जगत सिंह बुधवार को दोपहर एक मोबाइल टावर पर चढ़ गया और मांग पूरी न होने पर नीचे कूदने की धमकी देने लगा। करीब 7 घंटे बाद वह अधिकारियों के आश्वासन पर टावर से नीचे उतरा। इस पूरे घटनाक्रम से खुद को संदेह के घेरे में दिखता देख गुरुवार को वन अमला लाव लश्कर लेकर ऊमरीकलां पहुंचा जेसीबी की मदद से 400 बीघा वन भूमि पर लगी फसलों को उजाड़कर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई को अंजाम दिया।
इस मामले में रेंजर अनुराग तिवारी का कहना है कि आज हमने करीब 400 बीघा जमीन से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई को अंजाम दिया है। अब यह कार्रवाई लगातार जारी रहेगी। किसी को भी बख्शा नही जाएगा। साथ ही जो भी कर्मचारी इस काम में लिप्त होगा। उसके खिलाफ भी कार्रवाई होगी। इस मामले में सबसे अहम बात यह है कि अगर यह सुनवाई पहले ही प्रशासन कर लेता तो लोगों को इस तरह के कदम उठाने की कोई आवश्यकता ही नहीं पढती।