स्वतंत्रता संग्राम में आजादी के प्रमुख नायक थे चंद्रशेखर आजाद, ब्राह्मण समाज ने मनाई 93 वीं पुण्यतिथि

शिवपुरी। अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा सनातन द्वारा आजादी के लिए बलिदान देने वाले महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की तुलसी आश्रम बड़े हनुमान मंदिर पर परशुराम सभा कक्ष में 93 पुण्यतिथि पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। उनके चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्प सभी लोगों ने श्रद्धासुमन अर्पित किए ,इस मौके पर ब्राह्मण समाज के जिला अध्यक्ष पंडित पुरुषोत्तम कांत शर्मा ने कहा कि ब्रिटिश सरकार की सैन्य पर अभियोग लगाने के चलते अपनी ही गोलियों से आत्महत्या कर ली थी।
उनकी मृत्यु एक वीरता पूर्वक योगदान के रूप में जानी जाती है और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नायकों में से एक के रूप में उन्हें आज स्मरण किया जा रहा है, पंडित राम प्रकाश शर्मा कर सेना ने अपने उद्बोधन में उनके जीवन पर प्रकाश डाला चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के भाबरा नामक स्थान पर हुआ था, उन्होंने अपना पूरा जीवन देश की आजादी की लड़ाई के लिए कुर्बान कर दिया था ,चंद्रशेखर बेहद कम उम्र की उम्र में देश की आजादी की लड़ाई का हिस्सा बने थे।
पंडित विशंभर दयाल दीक्षित परिच्छा वालों ने भी अपनी पुष्पांजलि देते हुए कहा कि चंद्रशेखर तिवारी से आजाद का नाम की एक रोचक घटना है 1921 में महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन से जुड़ने के बाद उनकी गिरफ्तारी हुई और उन्हें कोर्ट में पेश किया गया तो उनके जवाब ने सब की होश उड़ा दिए थे ,जब उनसे उनका नाम पूछा गया तो उन्होंने अपना नाम आजाद और अपने पिता का नाम स्वतंत्रता बताया और जज ने नाराज होकर चंद्रशेखर को 15 कूड़े करने की सजा सुनाई तभी से आजाद नाम पड़ गया।
पंडित राजकुमार सडैया ने कहा कि आजाद काकोरी ट्रेन कांड में भी शामिल थे तथा दिल्ली के अलीपुर रोड में स्थित ब्रिटिश सरकार की असेंबली हॉल में बम फेंक दिया इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाये और पर्चे बांटे और भागे नहीं बल्कि खुद ही गिरफ्तार हो गए पंडित कैलाश नारायण भार्गव ने कहा कि 27 फरवरी 1931 का वह ऐतिहासिक दिन था जब आजाद इलाहाबाद की ऑल फ्रेंड पार्क में आगामी योजना बना रही थी अचानक उन पर हमला कर दिया लेकिन साथियों को तो भगा दिया और अकेले ही अंग्रेजों से लड़ते रहें।
उन्होंने प्रण लिया था कि वह कभी पकडे नहीं जाएंगे और न ही ब्रिटिश सरकार उन्हें फांसी दे सकेगी, इसलिए आखिरी में अपनी पिस्तौल से ही गोली खुद को मार ली और मातृभूमि के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी इस मौके पर महावीर मुद्गल पवन अवस्थी सुरेश भार्गव सतीश सडैया एन पी अवस्थी कैलाश मुद्गल कुंज बिहारी पाराशर चंद्र प्रकाश शर्मा हरबंस त्रिवेदी गजानन शर्मा बालकृष्ण शर्मा सी पी उपाध्याय ओम प्रकाश समधिया रामसेवक गोंड द्वारका भटैले आदि उपस्थित थे।