जिले में शीत लहर का प्रकोप जारी,पांच दिन ने नहीं हुए सूर्य के दर्शन, मौसम विभाग ने जारी की एडवाईजरी

शिवपुरी। बीते चार दिन से शहर में शीत लहर का प्रकोप जारी है। लगातार शहर में कोहरा छा रहा है। हालात यह ​है कि बीते 5 दिन से शहर में भगवान सूर्य के दर्शन नहीं हुए है। जिसके चलते लगातार पारा गिरता जा रहा है। इस शीत लहर के बीच हल्की बूंदाबांदी के चलते तापमान और नीचे गिर गया है। पारा लुढककर 9​ डिग्री तक जा पहुंचा। इस शीत लहर के प्रकोप को देखते हुए कलेक्टर ने स्कूलो के टाइम चैंज करने का आदेश जारी कर दिया है। परंतु शोसल मीडिया पर इसे लेकर कलेक्टर से स्कूल की छुट्टी करने की मांग कर रहे है।

ड्रायवरों के लिए एडवाईजरी जारी
शिवपुरी में पड रही ठंड के बीच कोहरे की वजह से सड़क दुर्घटना से बचाव के लिए जिला प्रशासन ने एडवाइजरी जारी की है बताया गया है कि वर्तमान में सड़क पर अत्याधिक कोहरा होने से दुर्घटनाओं की संभावना बन रही है। सडक दुर्घटनाओं को रोकने के लिए यातायात नियमों का पालन करते हुए सावधानियां रखते हुए वाहन चालक द्वारा दुर्घटनाओं को रोकने के उपाय किये जा सकते है।

जिला परिवहन अधिकारी ने बताया कि वाहन चालक द्वारा दुर्घटनाओं को रोकने के उपायों में यातायात कानूनों का पालन करें, सीट बेल्ट पहनें, कभी भी शराब पीकर गाडी न चलाएं, सुरक्षित गति बनाए रखें, सुरक्षित दूरी बनाए रखें, संकेतकों का उपयोग करें, ओवरटेक न करें, सड़क संकेतों पर ध्यान दें, हेडलाइट्स का उचित उपयोग करें, स्कूल क्षेत्रों में सतर्क रहें, मौसम की स्थिति के अनुरूप ध्यान से वाहन संचालन करें, स्कूल बसों के लिए रूकें, पार्किंग नियमों का पालन करें, नियमित रूप दर्पणों की जॉच करें, वाहन संचालन के समय मोबाइल का उपयोग नही करें, ट्रेफिक में शांत रहें, बैध लाइसेस और वीमा रखें, वाहन अच्छी कंडीशन में हो।

कोहरे के दौरान हैडलाइट को हाई-बीम पर रखना सामने से आ रहे वाहन के लिए खतरनाक हो सकता है इसलिए इसे लोबीम पर रखें। इसके साथ ही डिफॉगर ऑन रखें जिससे शीशों पर धुंध नहीं जमती और शीशे पर जमा धूंध को कपड़े से भी साफ कर सकते है। कोहरे में कम गति पर चलाएं कार कोहरे के दौरान हाईवे पर कम गति में आपनी लेन में गाडी चलानी चाहिए बार-बार लेन बदलने से पीछे वाले वाहन चालक भ्रमित हो सकते है जिससे हादसे की आशंका बढ़ जाती है।

परमानेंट चालू न रखे पार्किंग लाईट
कोहरे में कार चलाते समय पार्किंग लाइट को हमेशा चालू नहीं रखना चाहिए इससे पीछे वाला वाहन चालक आपकी गाड़ी को पार्क समझने की गलती कर सकता है। साथ ही इस दौरान वाहनों को ओवरटेक करना भी हादसे को न्योता देता है। सामने वाले वाहन से निश्चित दूरी बनाकर चलना चाहिए जिससे आपात स्थिति में कार पर आसानी से कंट्रोल पा सकते है। कोहरे में कार फॉग लैंप और हीटर का प्रयोग मददगार साबित होता है।

किसान भाईयों के लिए यह है एडवाईजरी
विगत तीन-चार दिनों से मौसम दशा को देखते हुए एवं आगामी प्राप्त हो रहे मौसम पूर्वानुमान को ध्यान में रखते हुए कृषि विज्ञान केन्द्र शिवपुरी द्वारा जिले के कृषकों, पशुपालकों, मत्स्य पालकों एवं ग्रामीणों के लिए तकनीकी परामर्श दिया गया है। वर्तमान मौसम को देखते हुए आलू की फसल में झुलसा रोग आने की संभावना अधिक है। किसान भाई मेटालेक्जिल एवं मेंकोंजेव के रेडीमिक्स मिश्रण दवा का 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर 10 दिन के अंतराल से 02 बार छिड़काव करें।

सरसों फसल में तना गलन (पोलियो रोग) आने की संभावना अधिक बढ़ जाती है। सुरक्षात्मक उपाय हेतु 15 दिन के लिए फसल में पानी न लगायें। फसलों को शीत लहर से बचाने के लिए हल्की सिंचाई करें या खेत में नमीं बनाये रखें रात के समय खेत के उत्तर-पश्चिम दिशा में सावधानीपूर्वक कचरा-कूड़ा इस प्रकार जलायें कि धुआं होता रहे एवं वहां के सूक्ष्म जलवायु (माइक्रोक्लाइमेट) में सुधार हो सके। मौसम/आसमान साफ होने पर हवाएं नहीं चलने की स्थिति में तापमान गिरने की अधिक संभावना रहती है ऐसी दशा में पाला गिरता है। इस स्थिति में फसलों को पाले से बचाव के लिए घुलनशील गंधक 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी के मान से घोल बनाकर फसलों पर छिड़काव करें।

फलदार पौधों में थालों में निराई-गुड़ाई कर 5 किग्रा. वर्मीकम्पोस्ट के साथ सल्फर एवं पोटाश का मिश्रण 250 ग्राम प्रति पौधा दें। दुधारू पशुओं को बाहर न निकालें, शेड में ही रखें, स्वच्छ एवं ताजा या गुनगुना पानी गुड़ के साथ पिलायें एवं पशु आहार में सरसों की खली भी प्रयोग में लायें। ठंड एवं शीत लहरों से पशुओं के शरीर को जूट के बोरों से ढककर रखें तथा डेयरी शेड के आसपास अलाव जलायें।

अधिक ठंड के मौसम में मछली पालन तालाब की ऊपरी सतह अधिक ठण्डी हो जाने के कारण संपर्क में आने से मछलियों की मृत्यु हो सकती है। तालाब के पानी का स्तर 1.5-2.0 मीटर तक बढ़ा लें क्योंकि पानी की ऊपरी 01 फीट की सतह ही अत्यधिक ठंडी होती है। ठंड के मौसम में मछली का मेटाबोलिज्म (चयापचयी क्रिया) कम होती है। इस मौसम में परिपूरक आहार (कृत्रिम भोजन) का प्रयोग कम करें क्योंकि मछली ठण्ड के मौसम में कम भोजन ग्रहण करती है।

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