शिवपुरी में सडक हादसे में तेंदुए की मौत, दो साल में तीसरे तेंदुए की मौत

शिवपुरी। एक तरफ मध्यप्रदेश सरकार कूनों में टाईगर बसाने को लेकर अरबों रूपए खर्च कर रही है। नीमिबिया से चीता लाकर यहां बसाने की तैयारी चल रही है। दूसरी और भारत में स्थिति तेंदुओं को शासन संरक्षित नहीं कर पा रही है। फोरेस्ट विभाग माधव राष्ट्रीय उद्धान में कागजों में तो तेदुओं को बचाने के तमाम दावें कर रहा है। परंतु धरातल पर अक्सर यह तेंदुए सडक दुर्घटना का शिकार हो रहे है।

जानाकरी के अनुसार आज रात्रि में अज्ञात वाहन से ने सुभाषपुरा थाना क्षेत्र में एक तेंदुए को रौंद दिया। जिससे तेंदुए की हाइवे पर ही मौत हो गई। तेंदुए में टक्कर मारने के बाद वाहन मौके से फरार हो गया। हादसा शमनिवार रात 12 बजे से 1 बजे के बीच बताया है। हादसे की सूचना राहगीरों ने सतनवाड़ा रेंज सहित सुभाषपुरा थाना पुलिस को दी थी। मौके पर पहुंची सुभाषपुरा थाना पुलिस सहित सतनवाड़ा रेंज के अधिकारियों ने तेंदुए के शव को कब्जे में ले कर जांच शुरू कर दी।

2 साल के भीतर सड़क दुर्घटना में तेंदुए की मौत का यह तीसरा मामला है। इससे पहले जुलाई माह में सतनबाड़ा रेंज के सुभाषपुरा थाना क्षेत्र में नया गांव के पास इसी फोरलेन हाइवे पर एक तेंदुए की मौत हुई थी। इससे पहले इसी फोरलेन हाइवे पर खूबत घाटी के पास एक तेंदुए की मौत वाहन की टक्कर से हो गई थी। आज फिर एक तेंदुए की मौत सड़क दुर्घटना में हुई हैं। सतनबाड़ा रेंज अब पड़ताल में जुटी हुई है।

टाइगरों की बसाहट पर चल रहा है कार्य
शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क को टाइगर सफारी बनाए जाने की घोषणा के बाद बड़ी ही तेजी से कार्य किया जा रहा है। इसके लिए नेशनल पार्क की सीमा से सटे कई गांव भी खाली कराए जा चुके हैं। आंकड़ों की मानें तो शिवपुरी माधव नेशनल पार्क में आधा सैकड़ा के लगभग तेंदुए मौजूद हैं। परंतु ये तेंदुए नेशनल पार्क की सीमा से निकलकर आ जाते हैं और दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। विभाग से जुड़े जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते इस प्रकार के हादसे सामने आ रहे हैं।

सड़क दुर्घटना में हर बार नेशनल पार्क सहित वन विभाग द्वारा आगामी समय में हादसे ना हो इस पर अमल करने की बात कही गई। इससे पहले जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा जल्द ही ऐसे मार्गों को चिन्हित करने का दावा किया गया था। जहां से होकर वन्यजीव गुजरते हैं। मार्गों पर साइन बोर्ड के साथ स्पीड को कंट्रोल करने की व्यवस्था भी की भी बात कही गई थी। जिससे हादसों पर लगाम लगाई जा सके। परंतु इन दावों पर न ही अमल किया गया और न ही सड़क हादसों में तेंदुओं की होती मौत पर लगाम लगाई जा सकी।

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