जैन रामायण के अनुसार राम ने नहीं लक्ष्मण ने​ किया था रावण का वध : जैन संत कुलदर्शन विजय जी

शिवपुरी। बाल्मिकी और तुलसीकृत रामायण सहित अन्य रामायणों में भगवान राम द्वारा रावण के वध किए जाने का प्रसंग है। लेकिन जैन रामायण में रावण का वध राम ने नहीं बल्कि उनके छोटे भाई लक्ष्मण ने किया था। हमें इस विशलेषण में नहीं पडऩा कि कौन सही है और कौन गलत। क्योंकि सभी रामायणों की भावना एक समान है। सभी के केन्द्र में भगवान राम हैं। उक्त उदगार प्रसिद्ध जैन संत कुलदर्शन विजय जी ने आज जैन रामायण प्रवचन श्रृंखला प्रारंभ करते हुए व्यक्त किए।

अपने प्रवचन में उन्होंने भगवान राम के व्यक्तित्व की पांच खूबियों का बखान किया। उन्होंने कहा कि वह एक सच्चे पुत्र, सच्चे भाई, सच्चे पति और सच्चे मित्र होने के साथ-साथ एक श्रेष्ठ इंसान थे और उनका व्यक्तित्व अनुकरणीय और पूजनीय है। इस अवसर पर आचार्य कुलदर्शन विजय जी, पूज्य साध्वी शासन रत्ना श्री जी, अक्षयनंदिता श्रीजी तथा साध्वी मंडल भी उपस्थित थीं।

संत कुलदर्शन विजय जी ने बताया कि कैसा होना चाहिए। इसके आदर्श प्रतिरूप राम हैं। लक्ष्मण ने जब बाण चलाकर दशानन का वध किया, तब राम की आंखों में आंसू छलक आए और वह बोले कि सीता अपहरण के अपराध के अलावा रावण सर्वगुण सम्पन्न था। इससे पता चलता है कि अपने दुश्मन के प्रति भी भगवान राम की दृष्टि कितनी करूणा और प्रेम से भरी हुई थी। पंन्यास प्रवर कुलदर्शन विजय जी ने भगवान राम को सच्चा पुत्र बताया।

उन्होंने बताया कि पुत्र और शिष्य बनना बडी बात नहीं है। लेकिन बड़ी बात यह है कि सच्चा शिष्य और सच्चा पुत्र बनना। उन्होंने बताया कि राजतिलक अगले दिन भगवान राम का होना था, लेकिन मां केकई के कारण राजा दशरथ को राम को 14 वर्ष के वनवास भेजने का निर्णय करना पड़ा। लेकिन राम ने पिता की आज्ञा को सहर्ष स्वीकार किया। उन्होंंने पिता से कहा कि आप आज्ञा दें तो मैं 14 वर्ष तो क्या पूरी जिंदगी अयोध्या नहीं आऊंगा।

केकई को दिए गए वचन को दशरथ ने निभाया और उसमें सहभागी राम बने। इसलिए तो कहा जाता है कि रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाई। भगवान राम को जैन संत ने सच्चा भाई बताया। उन्होंने कहा कि भरत के कारण राम को वनवास जाना पड़ा। राम ने राजगद्दी का त्याग किया, तो भरत ने भी राम के लिए गद्दी त्याग दी। लक्ष्मण ने राम के साथ 14 वर्ष जंगल में बिताने का निर्णय लिया।

जब राम 14 वर्ष बाद अयोध्या लौटे तो उन्होंने भरत को गले से लगा लिया। राम जैसा सच्चा भाई मिलना मुश्किल है। राम को जैन रामायण में सच्चा पति बताया गया है। मुनिश्री ने कहा कि जिन-जिन लोगों ने कर्तव्य निष्ठा का पालन किया है, उन्हें इतिहास में याद किया जाता है। जिन्होंने समझौता किया उन्हें इतिहास ने भुला दिया।

राम को सच्चा मित्र बताते हुए मुनिश्री ने सुग्रीव से उनकी मित्रता का वर्णन किया और कहा कि मित्रता का पाठ हमें भगवान राम से सीखने की आवश्यकता है। संत कुलदर्शन विजय जी ने बताया कि भगवान राम के व्यक्तित्व का सबसे बड़ा गुण यह है कि उनसे श्रेष्ठ इंसान मिलना मुश्किल है। उनकी मैत्रत्व भावन हम सबके लिए अनुकरणीय है। दोस्त और दुश्मन में फर्क करना उन्हें आता ही नहीं है।

सिर्फ भूखे रहने से नहीं होता तप
नव पद ओली आराधना के 9वें दिन तप पद की महिमा का वर्णन करते हुए संत कुलदर्शन विजय जी ने बताया कि सिर्फ भूखे रहने से तप नहीं होता। उपवास करना, आयंविल करना, एकासना करना आसान है। असल तप यह है कि जब जीवन में संवेदनशीलता आए, जब जीवन में श्रवणशीलता आए और जब जीवन में सहनशीलता आए।

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