हाईकोर्ट और मुख्यालय के आदेश को ठेंगा दिखाकर DFO ने कर डाला आदेश,वन रक्षकों से कार्यालय और अपन प्रायवेट काम करा रहे है डीएफओ

@सतेन्द्र उपाध्याय शिवपुरी। अब से शिवपुरी डीएफओ की कमान डीएफओ सुधांशु यादव ने संभाली है तब से ही इस कार्यालय में यह अधिकारी हिटलरशाही पर उतारू है। अभी कुछ दिन पहले पूर्व वनमंडल कार्यालय में ​लिपिक वर्ग द्धारा ताला डालकर विरोध प्रदर्शन किया था। यह मामला तूल पकडा तो इस मामले में डीएफओ बेकपुट पर आ गए थे। अब फिर यह अपनी मनमानी पर उतारू हो गए है। हद तो तब हो गई जब उक्त डीएफओ द्धारा माननीय हाईकोर्ट और मुख्यालय के आदेश को ठेंगा दिखाकर नया आदेश जारी करते हुए वनरक्षकों से कार्यालीन काम सहित अपने प्रायवेट काम करा रहे है।

जानकारी के अनुसार वरिष्ठ मुख्यालय भोपाल इन दिनों वन मंडल शिवपुरी में हिटलरशाही का जीता जागता उदाहरण देखने को मिल रहा है इसी कारण पर उतरे प्रधान मुख्य संरक्षक वन बल प्रमुख्यालय भोपाल के कार्यालय से दिनांक 07/02/2023 को आदेश क्रमांक / प्रशा 2 / 739 से समस्त वनमण्डलाधिकारी को लेख कर निर्देशित किया था कि वन रक्षक एवं वनपालों से कार्यालयीन कार्य न लिया जाए एवं इनको तत्काल वन प्राणिओं तथा वन क्षेत्रों की सुरक्षा में लगाया जाए। इसके साथ ही माननीय हाईकोर्ट ने भी इस मामले में स्पष्ट निर्देश दिए है कि किसी वनरक्षक से प्रायवेट काम नहीं कराएगें।

परंतु इस आदेश के बाद वन मंडल के विभिन्न कार्यालयों में कई वर्षों से पदस्थ वन अमले को वन सुरक्षा के कार्य मे जाना था परन्तु अपनी कार्य शैली के लिए आजकल सुर्खियां बटोर रहे डीएफओ सुधांशु यादव ने इन आदेशों के विपरीत अपनी अफसर शाही दिखाते हुए वन अमले को वन सुरक्षा में न लगाते हुए खुद आदेश जारी करते हुए वन रक्षक को अपने कार्यालय में कार्यालयीन कार्य पर पदस्थ कर लिया। अपनी इसी अफसरशाही दिखाते हुए इन महोदया ने वन सुरक्षा में तैनात उड़नदस्ता स्टाफ के चार सिपाहियों को क्रमबद्ध तरीके से अपने बंगले की सुरक्षा में तैनात कर लिया करते भी क्यों न साहब अफसर जो ठहरे।

इन डीएफओ महोदय ने भोपाल से जारी आदेशों को दरकिनार करते हुए खुद के आदेश क्रमांक / स्थापना / 827, दिनांक 29/07/2023 से वन रक्षक को ख़ुद के कार्यालय में कार्यालयीन कार्य पर पदस्थ किया, इतना ही नहीं महोदय का ध्यान सिर्फ और सिर्फ वन रक्षक एवं वनपाल की छोटी छोटी बात जैसे अपने बच्चे का जन्मदिन मनाना, अपने घर आना या कही रस्ते में मिल जाने पर निलंबित कर अपने पद की ताकत को दिखाना रहता है। इसके विपरीत जिन जगहों पर बेतहाशा अवैध उत्खनन एवं अवैध अतिक्रमण हो रहा है यहां इन्हें यह उत्खनन ​कही दिखाई नहीं दे रहा।

इतना ही नहीं यह पहला आदेश नहीं है ​बल्कि इन्होंने वनपाल मंजू माहोर, मंजू शाक्य, कमलेश शाक्य से वन सुरक्षा के विपरीत कार्यालयीन कार्य कराया जा रहा है। इसके साथ ही मृत्युंजय भार्गव, पूजा अग्रवाल, मेघा सेंगर एवं अन्य कई वनरक्षकों से कार्यालीन काम कराया जा रहा है। अब देखना यह है कि वन मंडल कार्यालय, SDO कार्यालय, एवं वन मंडल की समस्त रेंजों में कई सालों से कार्य कर रहे वन अमले को श्रीमान वन सुरक्षा में लगाते हैं या हिटलरशाही यूँही जारी रहेगी।

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