गुरु नानक स्कूल: कलवा और तिलक मामले में स्कूल प्रबंधन का स्पष्टीकरण हमारा भावनाओं को आहत पहुंचाने का उद्देश्य नहीं

शिवपुरी। शहर में बीते शुक्रवार 10 अगस्त को ​हिन्दू जागरण मंच के कार्यकर्ताओं ने गुरु नानक हायर सेकेंडरी स्कूल, राघवेंद्र नगर पर गंभीर आरोप लगाया था। इनका आरोप था कि विधयालय द्धारा छात्र छात्राओं को तिलक लगाकर और कलावा बांधकर स्कूल आने पर तिलक धुलवा देते है, जस मामले में आज स्कूल प्रबंधन ने इस मामले को लेकर अपना पक्ष रखा है।

इस मामले में स्कूल ने प्रेस नोट जारी करते हुए अपना स्पष्टीकरण दिया है। प्रेस नोट में बताया कि विद्यालय प्रबंधन एवं टीचर्स पूर्ण जिम्मेदारी के साथ हर संभव प्रयास करते हैं कि विद्यार्थी के बेहतर भविष्य हेतु माता-पिता एवं बच्चे के साथ संवाद कर समस्याओं का उचित हल निकाला जाए। ऐसे ही कुछ मामले जब विद्यालय प्रबंधन एवं टीचर्स के संज्ञान में आए जैसे कि बच्चों द्वारा विद्यालय में कीमती घडियां, मोबाइल, सोने की चेन, अंगूठियां, बड़े-बड़े कड़े, टू व्हीलर्स पर बिना हेलमेट के आना, बहुत बड़े साइज का टीका लगा कर आना, ढेर सारे धागे जैसे फ्रेंडशिप बैंड इत्यादि बांध कर आना, तो बच्चों को इस बात के लिए उचित सलाह दी गई कि जिससे उनके साथ रास्ते में आते जाते समय कोई अप्रिय घटना घटित ना हो और लगभग सभी स्कूलों में इस तरह की सलाह बच्चों को दी जाती है।

ऐसी ही एक बात को लेकर कुछ अभिभावक गुरुवार, दिनांक 10 अगस्त 2023 को विद्यालय आए जिनके बच्चे बहुत बड़ा बड़ा तिलक लगाते हैं तो उन अभिभावकों को भी यह बताया गया कि.. पसीने से खराब होकर तिलक का चंदन कपड़ों एवं जमीन पर ना गिरे एवं तिलक का अपमान ना हो इसलिए यह धर्म सम्मत सलाह दी गई कि छोटा तिलक लगाकर आएं। विद्यालय जब खुद अपने कार्यक्रमों में अभिभावकों एवं अतिथियों का हमारी संस्कृति अनुसार तिलक लगाकार स्वागत करता है तो विद्यालय को बच्चों के तिलक लगाने से क्यों आपति होगी? लेकिन एक समान यूनिफॉर्म हो बच्चों का पर्सनालिटी डेवलपमेंट हो और कुछ बच्चे बाकी बच्चों से अलग न लगे इस वजह से छोटा तिलक लगाने की कैबल सलाह दी गई और साथ में यह भी कहा गया कि अगर आप इस बात से असंतुष्ट हैं तो आप पूर्व की भांति बड़ा तिलक लगाकर बच्चों को विद्यालय भेज सकते हैं।

विद्यालय को कोई आपत्ति नहीं हैं और अगर उनको विद्यालय की इस बात का बुरा लगा हो तो विद्यालय इसके लिए उनसे क्षमा मांगता है। इससे अभिभावक संतुष्ट होकर अपने-अपने घर चले गए। रही धागों की बात (फ्रेंडशिप बैंड इत्यादि) तो तीन चार महीने तक विभिन्न प्रकार के धागे बांधे क्या उचित है? उनको यह सलाह दी गई कि एक या दो धागे बांधकर आएं क्योंकि ये धांगे पहने- पहने वॉशरूम, अस्पताल, भोजन करना या किसी ऐसी जगह पर जाते हैं तो लंबे समय में उसपर कीटाणु एवं जीवाणु पनप सकते हैं।

जो कि बच्चों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं फिर भी विद्यालय द्वारा यह कहा गया की अगर आप इस सलाह से भी असंतुष्ट हैं तो पहले की भांति चाहे जितने धांगे पहनाकर बच्चों को स्कूल भेज सकते हैं और अगर अभिभावकों को इस बात का भी बुरा महसूस हुआ है तो विद्यालय इसके लिए भी क्षमा मांगता है। इस बात पर भी अभिभावक संतुष्ट होकर घर चले गए।

विद्यालय एक महत्वपूर्ण बात अभिभावक बच्चों एवं प्रशासन के समक्ष रखना चाहता है कि विद्यालय में प्रतिदिन कई वर्षो से सरस्वती वंदना का गायन होता है और ओम का उच्चारण करवाया जाता है, गायत्री मंत्र का जाप करवाया जाता है, गणेश वंदना कराई जाती है एवं सभी धर्मों का सम्मान करना सिखाया जाता है, तो ऐसे में विद्यालय किसी भी बच्चे को उसके धार्मिक रीति-रिवाज का पालन करने से ना ही पूर्व में कभी रोका गया है और ना ही रोका जाता है और ना ही भविष्य में रोका जावेगा। विद्यालय बिगत् 42 वर्षों से संचालित है जिसमें गरीब-अमीर, हर धर्म एवं वर्ग के हजारों बच्चों ने शिक्षा प्राप्त कर भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस, आईपीएस, आईआरएस) डॉक्टर, इंजीनियर व्यापार एवं अलग-अलग विभागों में देश- विदेश में अपने विद्यालय, परिवार, समाज, शहर, प्रदेश एवं देश का नाम रोशन कर रहे हैं।

विद्यालय ने बिगत इतने वर्षों में प्रत्येक विद्यार्थी को समानता की दृष्टिकोण से देखते हुए उसके भविष्य को उज्जवल बनाने हेतु हर संभव प्रयास किया है और अभी भी पूर्ण समर्पण से यह प्रयास जारी है हजारों विद्यार्थियों का विद्यालय से सफलतापूर्वक शिक्षा ग्रहण कर अपने जीवन में एवं कार्य क्षेत्र में सफलता प्राप्त करना विद्यार्थियों एवं अभिभावकों के विश्वास का स्वयं ही प्रमाण दे देता है। विद्यालय समय-समय पर विद्यालय की विभिन्न गतिविधियों में अभिभावक, प्रशासनिक अधिकारियों एवं पत्रकार बंधुओ को आमंत्रित करता है जिसमें सभी का तिलक लगाकर ही स्वागत किया जाता हैं तथा सभी के सुझावों से अच्छे विद्यार्थी एवं अच्छे समाज का निर्माण हो सके सभी एक दूसरे के साथ योगदान देते हैं।

लेकिन कई बार कुछ असंतुष्ट एवं असामाजिक तत्व किसी विशेष पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर एक एजेंडा के तहत विद्यालय की छवि खराब करने का प्रयास करते हैं और छोटी-छोटी बातों को अलग ढंग से तोड़ मरोड़ कर पेश करते हैं। जिससे लोगों की भावनाएं भड़के, समाज में भ्रांति फैले, माहौल खराब हो, गलतफहमियां पैदा हो, जिससे वह अपना स्वार्थ सिद्ध कर सकें इसी एजेंडा के तहत कुछ तत्व पिछले कुछ समय से सोशल मीडिया पर विद्यालय की छवि धूमिल करने की कोशिश कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर एक पक्षीय खबर चलाते हैं विद्यालय का पक्ष जनता के सामने नहीं रखा जाता हैं यह कहाँ तक उचित है?

ऐसे लोगो से विद्यालय अनुरोध करता हैं कि अगर उनकी कोई व्यक्तिगत समस्या या पूर्वाग्रह कोई है तो आकर बात करें लेकिन लोगों की भावनाएं विशेषकर धार्मिक भावनाएं भड़का कर अभिभावक, समाज एवं विशेषकर बच्चों के दिमाग में भ्रामक एवं गुमराह करने वाले विचार अपने निहित स्वार्थ के लिए ना डालें। विद्यालय की गरिमा का ध्यान रखें एवं धार्मिक उन्माद न पैदा हो अतः अपनी जिम्मेदारी का परिचय दें। विद्यालय ईश्वर से अनुरोध करता है कि ऐसे लोगो को सदबुध्दि प्रदान करें। विद्यालय उनके उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं प्रेषित करता है जब अभिभावक विद्यालय प्रबंधन एवं टीचर्स की बात से पूर्ण रूप से संतुष्ट होकर लगातार दो दिन वापस चले गए तो जान-बूझकर उनकी धार्मिक भावनाएं भड़काने की कोशिश उचित नहीं हैं। उम्मीद हैं कि माता-पिता, बच्चे, समाज एवं प्रशासन विद्यालय के स्पष्टीकरण से संतुष्ट होगें।

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