स्वतंत्र शिवपुरी की पैनी नजर से पोहरी विधानसभा का हाल: राठखेडा की राह कठिन,आयतित कांग्रेसीयों और मूल कांग्रेस में टिकिट को लेकर घमासान

सतेन्द्र उपाध्याय@ शिवपुरी। इन दिनों चुनाव को लेकर दोनों ही प्रमुख दल अपनी अपनी कमर सक रहे है। पोहरी विधानसभा में इन दिनों चुनाब को लेकर भाजपा से ज्यादा कांग्रेस के टिकिट के दावेदार दिखाई दे रहे है। हालात यह है कि जो नेता अभी तक क्षेत्र की समस्याओ से रूवरू होने तक नहीं जा रहे थे अब वह तेरवी तक में जाना नहीं छोड रहे है। प्रतिदिन किसी न किसी नेता की क्षेत्र में कोई न कोई जगह जाने की तस्वीरे उनके शोसल मीडिया अकाउंट पर देखी जा रही है। यह आलाकमान को यह दिखाने में कोई कोर कसर नहीं छोड रहे कि वह क्षेत्र में सक्रिय नही है।
हम आज बात कर रहे है जिले की पोहरी विधानसभा की। पोहरी विधानसभा इन दिनों पूरे मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा चर्चा का विषय बनी हुई है। उसके पीछे का कारण है कि मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार इस बार अपने मंत्रीयों के टिकिट काटने की तैयारी में है। इसी के चलते पोहरी विधानसभा से भाजपा के विधायक और राज्यमंत्री सुरेश धाकड राठखेडा की धरातल की रिपोर्ट आलाकमान को सही नहीं मिल रही। जिसके चलते उनके टिकिट पर संसय के बादल मडरा रहे है।
सबसे पहले समझे पोहरी विधानसभा का चुनावी गणित
पोहरी विधानसभा मध्यप्रदेश की पहली ऐसी विधानसभा है जहां पार्टी से ज्यादा जातिगत समीकरण को महत्व दिया जाता है। यहां चुनावी समीकर हमेशा से धाकड और व्राह्मण जाति के उम्मीदवारों के बीच झूलता रहता है। यहां से पिछली बार त्रिकोणीय मुकावला उपचुनाव में भाजपा के प्रत्याशी ने बीएसपी के प्रत्याशी कैलाश कुशवाह को यहां से पटकनी दी थी। इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी हरीबल्लभ शुक्ला तीसरे नंबर पर रहे थे। लेकिन इस बार समीकरण बदले नजर आ रहे है। इसका कारण सिधियानिष्ठ भाजपाईयों का भाजपा में फिट नहीं होना इसका मुख्य कारण है।
इस कारण है राठखेडा की राह कठिन
पोहरी विधानसभा की अगर हम बात करे तो पोहरी विधानसभा में सिधियानिष्ठ सुरेश धाकड जिनका विधायक बनने के बाद ही पहली बार में मंत्री पद से नवाजने के बाद भी क्षेत्र के विकास की रफ्तार उस हालात में दिखाई नहीं दी। जिसकी उम्मीद की जा रही थी। अपने पूरे कार्यकाल में राज्यमंत्री सुरेश राठखेडा महज प्रहलाद भारती द्धारा मंजूर कामों के भूमिपूजन करते हुए ही दिखाई दिए। इन्होन क्षेत्र में चुनाव से पहले घोषणा की थी कि दूसरे चुनाव में पहले पोहरी विधानसभा की महती विकास की गंगा माने जाने की बाली सरकुला परियोजना को पांच साल के कार्यकाल में पूरा करेंगे। परंतु जैसे ही पहली बार यह विधायक चुने तो इस परियोजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया।
परंतु जैसे ही यहां उपचुनाव हुआ तो सिंधिया के आर्शीवाद से राज्यमंत्री बनाए जाने के बाद राठखेडा ने इस क्षेत्र की इस महती परियोजना का लोलीपॉप पब्लिक को पकडाते हुए सीएम शिवराज सिंह चौहान और ज्योतिरादित्य सिंधिया को यहां बुलाकर नरियल फोडकर जैसीबी के जरिए इस परियोजना का भूमिपूजन को कर दिया। परंतु सीएम भोपाल नहीं पहुंच पाए उससे पहले ही जेसीबी वहां से बापस लौट आई। ऐसा नहीं है कि यह पहला मामला है पोहरी विधानसभा क्षेत्र में राठखेडा पर भाई भतीजाबाद सहित अपने रिश्तेदारों और चहेतों के लिए किसी भी हद तक उतर जाना प्रमुख है। यहां अभी उसने समधी का एक वीडियों भी चर्चा का विषय रहा। जिसमें वह शराबबंदी के कार्यक्रम में शराब पीकर गालीगलौच करते दिखाई देते हुए नजर आए थे।
क्या है प्रहलाद भारती का गणित
प्रहलाद भारती ने पोहरी विधानसभा से सभी रिकॉर्ड को तोडते हुए इस विधानसभा क्षेत्र से लगातार दो बार विधायक की कुर्सी हासिल की थी। प्रहलाद भारती अपनी सोम्य सरल छवि के लिए लोगों के बीच अपनी जडे जमाए हुए है। प्रहलाद भारती को अभी हाल ही में भाजपा सरकार ने राज्यमंत्री का दर्जा भी दिया है। प्रहलाद भारती को यशोधरा राजे सिंधिया का सबसे कट्टर सर्मथक माना जाता है। साथ ही इस क्षेत्र के जातिगत समीकरण में भी यह फिट बैठते है।
क्या है विरथरे बंधुओं का गणित
लेकिन नए राजनीतिक समीकरणो के अनुसार केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर को मध्यप्रदेश सरकार में भाजपा का चुनाव संयोजक बनाए जाने के बाद यहां समीकरण बदलते नजर आ रहे है। बताया जा रहा है कि चुनाव संयोजक वह पद माना जाता है जिसकी टिकिट वितरण में सबसे ज्यादा भूमिका देखने को मिलेगी। जिसके चलते नरेन्द्र सिंह तोमर समर्थक नरेन्द्र विरथरे और उनके भतीजे प्रमेन्द्र सोनू विरथरे थी पोहरी विधानसभा में सक्रिय नजर आ रहे है। नरेन्द्र विरथरे को भी भाजपा सरकार में अभी हाल ही में राज्यमंत्री के पद से नवाजा गया है। दूसरी और ब्राह्मण बोटर भाजपा की कार्यप्रणाली से नाराज चल रहे है। जिसके चलते जिले में ब्राह्मण वोट बैंक साधने के चलते विरथरे बंधुओं की टिकिट की संभावना से प्रबल हो गई है। यहां बता दे कि नरेन्द्र विरथरे की छवि क्षेत्र में एक दबंग नेता के रूप में रही है। वह अपने कार्यकाल में अपनी दबंग छवि के चलते हमेशा चर्चाओं में रहे है। साथ ही वह पूर्व मुख्यमंत्री उमाभारती के भी यह खासम खास माने जाते है।
क्या है कांग्रेस का गणित
अब बात करते है कांग्रेस की जब से मध्यप्रदेश में सी वोटर का सर्वे समाने आया है जिसमेें मध्यप्रदेश में कांटे की टक्कर के साथ कांग्रेसी सरकार बनती नजर आ रही है। तब से मरणासन्न हालात में पडी काग्रेस पुर्नजीवत होती दिखाई दे रही है। हालात यह है कि अब भाजपा से ज्यादा कांग्रेस में टिकिटार्थीयों की लाईन लगी हुई है। यहां से आयतित कांग्रेसी कैलाश कुशवाह पूरी तरह से आश्वास्त है कि टिकिट उनकी जेब में है और वह क्षेत्र में लगातार दौरे कर रहे है। परंतु पिछले दो बार के चुनाव की अगर हार की समीक्षा की जाए तो पहले चुनाव में वह ब्राह्मण बोटरों के सहारे कम अंतर से चुनाव हारे थे। परंतु दूसरी बार जब वह हरीबल्लभ शुक्ला के कांग्रेस से प्रत्याशी होने पर बडे अंतर से चुनाव हार गए। चुनावी महत्वाकांक्षा के चलते लगातार पार्टी बदलने के कारण जातिगत समीकरण में फिट नहीं बैठने के कारण इनके चुनाव जीतने की संभावना पर प्रश्नचिन्ह खडा हो रहा है।
प्रद्धुम्मन सिंह वर्मा ने विषम परिस्थिति में भी नहीं छोडा कांग्रेस का हाथ
इसके साथ अगर यहां बात करें प्रद्धुम्मन सिंह वर्मा बछौरा की तो वह भी पोहरी विधानभा से कांग्रेस के निष्ठाबान कार्यकर्ता है जो पूर्व जनपद अध्यक्ष पोहरी के पद पर भी रहे है। इन पर भी पोहरी विधानसभा में सिधिया निष्ठ कांग्रेसी होने का टैग लगा हुआ था। परंतु सिंधिया के कांग्रेस छोडने जैसी विषम परिस्थिति में भी यह कांग्रेस में ही टिके रहे। साथ ही इन पर समाज में भी बेदाग नेता की छवि के कारण यह कांग्रेस पार्टी से टिकिट के प्रबल दाबेदार माने जा रहे है। हांलाकि अगर भाजपा से प्रह्लाद भारती को टिकिट दिया जाता है तो फिर यह टिकिट लेने से कतराते हुए भी नजर आ सकते है इसके पीछे का कारण जनपद अध्यक्ष का चुनाव माना जा सकता है।
यह भी अपने आप को टिकिट की दौड में मान रहे है
भाजपा में मंत्री राठखेडा के अलाबा,प्रहलाद भारती,नरेन्द्र विरथरे,सोनू विरथरे, सलौनी धाकड और यशोधरा राजे सिंधिया के खासम खास माने जाने बाले दिलीप मुदगल भी इस क्षेत्र में भंडारे के जरिए विधानसभा के सपने देख रहे है। इसके साथ ही कांग्रेस की अगर बात करें तो कांग्रेस से प्रद्धुमन वर्मा,कैलाश कुशवाह,राघवेन्द्र तोमर गुड्डू भैया टिकिट के लिए अपनी दावेदारी दिखा रहे है।