SNCU यूनिट में 3 माह तक भर्ती रहा नवजात: मां को कंगारू थेरेपी समझाई और 3 माह में स्वस्थ घर भेजा

शिवपुरी। शिवपुरी जिला चिकित्सालय में स्थिति एसएनसीयू यूनिट अपने आप में बच्चों की देखभाल के लिए पूरे संभाग में सबसे अच्छी यूनिट मानी जाती है। इसमें बच्चों की जिम्मेदार डॉक्टर बडे ही सलीके से देखभाल करते है। इस यूनिट में पहली बार ऐसा हुआ है जब किसी नवजात​ शिशु को लगातार तीन माह तक इस यूनिट में भर्ती करा और उसकी देखभाल के जरिए पूर्णत: स्वस्थ होने पर उसे बापस घर भेजा है। इस प्रसूता ने शादी के 7 साल बाद पहली बार गर्भधारण किया था और प्रसूता ने छठवें माह में ही शिशु को जन्म दे दिया, जो सामान्य बच्चों की तुलना में महज 710 ग्राम वजन का था।

डॉक्टरों ने बताया है कि शिशु की किडनी सहित अन्य अंग विकसित नहीं थे। इस वजह से उसे ब्रेस्टफीडिंग और सांस लेने में भी परेशानी हो रही थी, लेकिन 3 माह की सतत निगरानी के चलते एसएनसीयू के डॉक्टर और उनकी नर्स टीम ने शिशु को स्वस्थ कर दिया और वह सवा किलो वजन का अस्पताल से घर को रवाना हुआ। खास बात यह रही कि इस दौरान मां को कंगारू मदर केयर थेरेपी भी दी गई ताकि घर पर शिशु बीमार न हो।

सिविल सर्जन डॉ. आरके चौधरी ने बताया कि एसएनसीयू यूनिट में पदस्थ डॉक्टर बृजेश मंगल, डॉक्टर सुनील गौतम, डॉ विनोद गोलियां, और डॉक्टर देवेंद्र कौशिक की टीम ने नर्सेज स्टाफ के साथ मिलकर 3 महीने में महज 710 ग्राम वजन के जन्मे शिशु को एक नया जीवन देकर उन्हें घर के लिए रवाना कर दिया। दरअसल सविता पत्नी संजय जाटव निवासी मकलीजरा थाना बैराड़ 23 साल को फैलोपियन ट्यूब में गड़बड़ी होने की वजह से मां बनने में तकलीफ हो रही थी। 7 साल बाद जब वह गर्भवती हुई तो उसे जिला अस्पताल में जो बच्चा जन्मा वह महज 710 ग्राम का था, जबकि आमतौर पर जन्म के समय बच्चे का वजन 2.6 किलोग्राम होता है।

शिशु की देखभाल करने वाले एसएनसीयू के डॉक्टर सुनील गौतम ने बताया कि कम वजन होने के साथ-साथ बच्चे की अंतरंग अंग विकसित ना होने से उसके जीवित होने की संभावना बेहद नगण्य थी। यही वजह थी कि यहां जितना उपचार हो सका उसे दिया और जब उसका वजन घटकर 600 ग्राम पर आ गया तो हमने भी चिंता जाहिर की और माता-पिता से कहा कि वे उपचार के लिए ग्वालियर ले जाएं, लेकिन माता-पिता ने ऐसा करने से मना कर दिया और उसका उपचार एसएनसीयू में ही कराया।

3 महीने तक लगातार डॉक्टर और नर्स की टीम शिशु की मॉनिटरिंग करती रही और जब लगातार उपचार के बाद उसकी हालत में सुधार हुआ और वजन बढ़ने लगा तो विश्वास हो गया कि अब इसके जीवन को कोई खतरा नहीं है, तब मंगलवार को उसके माता-पिता हर्षोल्लास के साथ बच्चे को घर ले गए।

क्या है कंगारू थैरेपी डॉ. गौतम की माने तो एसएनसीयू में सभी सुविधाएं उपलब्ध थी, इस वजह से बच्चे को तकलीफ नहीं हुई, लेकिन घर पर तकलीफ न हो इसलिए ऐसी स्थिति में की जाने वाली कंगारू मदर केयर थेरेपी को मां को बताया गया, और जब मां परफेक्ट हो गई तो उससे कहा कि बच्चे को ठंड से दूर रखना और जब भी ऐसा अहसास हो कि इसे ठंड लग रही है तो इसे कंगारू की तरह अपने सीने से चिपका कर रखना। इस थैरेपी से बच्चे विकसित होने में मदद मिली।

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