CODING APP: जिस APP के लिए हजारों रूपए खर्च करने होते है, उसे ​गीता पब्लिक स्कूल फ्री दे रहा है

शिवपुरी। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने व्यक्ति से जुड़े जीवन के हर पहलू पर अपनी जगह बना ली है। हम जो बरसों से पढ़ रहे हैं उनके जॉब्स अधिकांश नहीं रहने वाले हैं जिनकी जगह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ले चुका है। गीता पब्लिक स्कूल टेक्नोलॉजी के महत्व को समझते हुए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और कोडिंग की ट्रेनिंग पिछले सत्र से और रोबोटिक्स, मशीन लर्निंग काफी पहले से प्रारंभ कर चुका है। जहां गीता पब्लिक स्कूल ने फ्री ऐप देकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग के सॉफ्टवेयर पार्ट को कंप्लीट किया है वहीं भारत सरकार से मिली ATL लैब से विद्यार्थी हार्डवेयर की प्रैक्टिस भी कर पा रहे हैं।

गीता पब्लिक स्कूल प्रबंधन द्वारा विद्यार्थियों से कोडिंग व आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ऐप इंस्टॉल करवाया गया था और उनके यूजर आईडी और पासवर्ड प्रोवाइड किए गए थे। विद्यार्थियों को 1 साल तक ऐप को फ्री यूज करने की सुविधा स्कूल प्रबंधन द्वारा प्रोवाइड करवाई गई थी। इस सुविधा से लाभान्वित होकर सैंकड़ों विद्यार्थी मोबाइल गेम, ऐप और वेब डिजाइनिंग पर अपने प्रोजेक्ट्स सबमिट कर चुके हैं, और सभी विद्यार्थी इसमें अपना एक्टिव पार्टिसिपेशन देने लगे हैं। विद्यार्थियों को स्कूल प्रबंधन द्वारा सम्मानित भी किया गया है।

विद्यार्थियों को competitive बनाने हेतु जिससे कि वे भविष्य की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम रहे, स्कूल प्रबंधन द्वारा विद्यार्थियों को कोडिंग ऐप यूज करने की फ्री सुविधा को 5 साल के लिए कर दिया गया है ताकि अधिक से अधिक विद्यार्थी इसे सीख कर अपने भविष्य को सुरक्षित कर सकें। आज दिन प्रतिदिन प्रतियोगिता बढ़ती जा रही है। रोजगार पाना और उसे सुनिश्चित करना आज के समय में कठिन काम है। अतः बदलते परिवेश के साथ स्वयं को ढालना अति आवश्यक है ऐसा स्कूल प्रबंधन का मानना है।

स्कूल प्रबन्धन का मानना है कि कोड सीखना विद्यार्थी को अन्य विषयों में बेहतर करने में मदद कर सकता है जिनका वे अध्ययन कर रहे हैं या सीख रहे हैं। कोडिंग के लिए लॉजिकल थिंकिंग की आवश्यकता होती है, आपको कंप्यूटर में स्टेप बाय स्टेप कमांड को फीड करना होता है ऐसा करने से विद्यार्थी की किसी समस्या को हल करने की क्षमता भी सुधरती है। स्कूल प्रबंधन का मानना है कि प्रोग्रामिंग कौशल की मांग निरंतर बढ़ रही है। जैसे जैसे दुनिया डिजिटल फर्स्ट होने की आदत डाल रही है डेवलपर्स की निरंतर आवश्यकता है। अतः विद्यार्थियों को कॉन्पिटिटिव बनाने व उनके भविष्य को सुनिश्चित करने हेतु स्कूल प्रबंधन सतत प्रयासरत है।

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