10 साल की मासूम को 14 हजार में ताऊ ने बेच दिया, मानव तस्करी की बजाय जिम्मेदारों ने राजीनामा करा दिया, आयोग ने थमाया नोटिस

शिवपुरी। जिले के बदरवास के ग्राम कंचनपुर दीगोद में 26 मई की रात में एक 10 साल की मासूम की खरीद फरोख्त का मामला सामने आया था। इस मामले में मासूम के एक 15 साल के भाई ने पुलिस की मदद से अपनी 10 साल की बहन का बाल विवाह होने से बचा लिया था। इस मामले में नाबालिग के ताऊ ने अपनी 10 साल की भतीजी की शादी 22 साल के लड़के से करने के एवज में लड़का पक्ष से 14 हजार रुपए वसूल कर लिए थे।

इस मामले में महिला बाल विकास के अधिकारियों ने पंचनामा बना कर मामले को रफादफा कर दिया था। लेकिन यह मामला मानव तस्करी से जुड़े अपराधों की श्रेणी में आता है। अब इस मामले को बाल कल्याण समिति ने संज्ञान में लेते हुए पुलिस व महिला एवं बाल विकास विभाग की लापरवाही मानते हुए नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।

बिदित हो कि दीगोद कंचनपुर की रहने वाली 10 साल की आदिवासी नाबालिग बालिका की मां का देहांत के बाद अपने ताऊ और चाचा के साथ रहती थी। बालिका का एक 15 साल का भाई भी है। जो किसी ढाबे पर काम करता है और वहीं रहता है। बच्ची के पिता मजदूरी करने दूसरे गांव चले जाते हैं।

इसी दौरान मासूम के ताऊ ने अपनी 10 साल की भतीजी का सौदा 14 हजार रुपए में हस्तिनापुर गांव के रहने कोमल आदिवासी के बेटे कल्ला उम्र 22 साल के साथ तय कर दिया। 26 मई की रात दीगोद कंचनपुर गांव में पैसे लेने के बाद 22 साल के कल्ला की शादी 10 साल की बालिका के साथ रचाई जा रही थी। बहन की शादी की भनक नाबालिग बालिका के 15 साल के भाई को लग गई थी। भाई ने गांव पहुंच कर इस विवाह का विरोध किया था और अपनी बहन को ताऊ के चंगुल से भगा लाया।

इसके बाद नाबालिग के भाई ने बदरवास पुलिस की मदद ली थी। पुलिस थाने पहुंचने के बाद महिला बाल विकास की पर्यवेक्षक अंगूरी देवी उपाध्यक्ष भी पहुंची हुई थीं। उनके द्वारा एक पंचनामा बना कर मामले को रफादफा कर दिया था। जबकि बनाए गए पंचनामा में 14 हजार रूपए के लेन-देन का जिक्र था। इसी के चलते यह मामला मानव तस्करी से जुड़ा हुआ था। इसी के चलते अब इस मामले को बाल कल्याण समिति ने संज्ञान में लेते हुए पुलिस व महिला एवं बाल विकास विभाग की लापरवाही मानते हुए नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।

इनका कहना है…
जेजे एक्ट 2015 के अनुसार अगर किसी नाबालिग बालक के साथ कुछ गलत होने का अंदेशा होने की शंका किसी आम व्यक्ति को भी होती है तो यह उसकी ड्यूटी है कि वह उसे रोकने के लिए प्रयास करे। वह फरियादी बनकर एफआईआर कराए। ऐसे में दोनों ही विभागों के जिम्मेदारों की जिम्मेदारी थी कि इस प्रकरण में एफआईआर दर्ज कराई जाए।

अजय खेमरिया, पूर्व सदस्य किशोर न्याय बोर्ड

बच्ची को बेचने के मामले में पुलिस व महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों ने लापरवाही बरती है। हमने दोनों विभागों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है कि कार्रवाई क्यों नहीं की।
उमेश भारद्वाज, सदस्य बाल कल्याण समिति

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