कीचड़ में फंसे ट्रको को हाथी ने धक्का मारकर निकाला बाहर: दिखा फिल्म ‘हाथी मेरे साथी’ जैसा सीन

शिवपुरी। आज हम आपको सन 1971 में आई राजेश खन्ना की फिल्म ‘हाथी मेरे साथी’ की याद ताज़ा करा रहे है। जैसे इस फ़िल्म में एक हाथी हर कदम पर अपने मालिक राजेश खन्ना की मदद करता है। ऐसा ही एक मामला शिवपुरी जिले के कोलारस विधानसभा में सामने आया। जहां एक हाथी सिख समुदाय के जत्थे के साथ आया। जब इसी जत्थे में शामिल ट्रक कीचड़ में फंस गए तो इस हाथी ने धक्का देकर बाहर निकाले। जिसका वीडियो शोशल मिडिया पर काफ़ी चर्चा का विषय बना हुआ हैं !
जत्थे में शामिल गुरुदेव सिंह ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र होने के कारण उनके सभी ट्रकों को कच्चे रास्ते पर खड़ा करना पड़ा था। तेज बारिश के चलते वहां कीचड़ हो गई जिसके कारण कुछ ट्रक वहां फंस गए, जिन्हें निकालने के लिए जत्थे के लोग प्रयास कर रहे थे। जिसमे तीन ट्रक कीचड़ में ऐसे फंसे कि वहाँ से निकल ही नहीं पा रहे थे। इसके बाद जत्थे में शामिल हाथी ने भी सहयोग किया। हाथी ने एक एक कर तीनों ट्रकों को अपनी सूंड से धक्का देकर बाहर निकाला।
हाथी के साथ घोड़े भी है जत्थे में शामिल:जानिए सिखों को क्यों प्रिय है
सिख समुदाय का 300 लोगों का एक जत्था कोलारस के भटौआ गांव में रुका था। इस गांव में सिख समाज के सेवादार रहते हैं। ये लोग ट्रकों से अमृतसर से महाराष्ट्र के नांदेड़ जा रहे हैं। जत्थे में एक हाथी और घोड़े भी हैं। घोड़ों और हाथी को सिख लोग गुरु गोविंद सिंह जी की फौज का हिस्सा मानते हैं। उनका कहना है कि यह हाथी भी गुरु जी की फौज का सिपाही है।
जानते है क्यों करते है अमृतसर से महाराष्ट्र तक की यात्रा
जत्थे में शामिल गुरदेव सिंह ने बताया कि हाथी काफी सयाना है। वह कई बार मदद कर चुका है। उसे ऐसा करना बहुत ही अच्छा लगता है। हाथी उनके साथ अमृतसर से आया है, जो महाराष्ट्र के नांदेड़ में आयोजित होने वाले दशहरा मेले में शामिल होगा। हाथी कई प्रकार के करतब भी जानता है। गुरदेव सिंह ने बताया कि उनके साथ 60 घोड़े भी शामिल हैं।
जत्थे में शामिल है 60 घोड़े:सिख इन्हें गुरु गोविंद सिंह जी की फौज का हिस्सा मानते हैं।
गुरदेव सिंह ने बताया कि वे हर साल स्वर्ण मंदिर अमृतसर (पंजाब) से सचखंड हुजूर साहिब नांदेड़ तक की यात्रा करते हैं। विजयादशमी पर नांदेड़ में लगने वाले मेले में शामिल होते हैं। वहां गतका ग्रुप के सदस्य और समूह में शामिल हाथी-घोड़े करतब दिखाते हैं। उन्होंने बताया कि नांदेड़ जाते और वहां से आते समय रास्ते में गुरुद्वारे और सेवादारों के घर रुकते है