पेट में लात मारने से प्रसूता के पेट में पल रहे बच्चे की मौत: अब मरा हुआ भ्रूण ही तय करेगा उसका कातिल कौन ?

शिवपुरी। बीते कुछ दिनों पहले पोहरी थाना क्षेत्र से जनसुनवाई में अपने हाथ में अपने पेट में पल रहे भ्रूण को लेकर कलेक्ट्रेट में पहुंची महिला के मासूम की मौत का आखिर कौन जिम्मेदार है इसे लेकर सबाल खडे हो रहे है। इस मामले में भले ही पुलिस ने दो आरोपीयों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। परंतु अभी भी इस भ्रूण की हत्या के लिए आखिर जिम्मेदार कौन है यह मामला अब मरे हुए मासूम का भ्रूण ही तय करेगा।
दरअसल बीते दिनों पोहरी थाना क्षेत्र का बरखेड़ा गांव के बिक्रम कोली उम्र 25 साल और शिवानी कोली उम्र 20 साल अपने खेत पर काम रहे थे। तभी उसके में पड़ोस में रहने वाली राधा उम्र 22 साल वहां आ गई और वह शिवानी कोली के खेत से घास काटने लगी। शिवानी ने मना किया, लेकिन राधा नहीं मानी। बार-बार मना करने पर भी राधा ने नहीं सुना। इस पर शिवानी ने डांट लगा दी। जवाब में राधा गालियां देने लगी। शोर सुनकर शिवानी का पति बिक्रम आ गया। बिक्रम ने राधा से जाने के लिए कहा। राधा गालियां देने लगी। गुस्से में बिक्रम ने उसे धक्का दे दिया। कुछ देर में राधा का पति तोरणपाल उम्र 25 साल और देवर जंडेल पाल उम्र 23 साल वहां जा पहुंचे दोनों पक्षों में विवाद हो गया।
इस मामले में राधा ने विक्रम पर मामला दर्ज करा दिया और उसके बाद विक्रम जेल चला गया। जेल से लौटने के बाद विक्रम की पत्नि शिवानी प्रेग्नेंट हो गई। वह अपनी प्रेग्नेट पत्नि को लेकर गांव को छोडकर खेत पर रहने लगा और अपनी पत्नि के पेट में पल रहे मासूम की देखभाल में जुट गया। इसके बावजूद तोरण पाल और उसके परिवार का गुस्सा शांत नहीं हो रहा था, इसलिए शिवानी और बिक्रम ने पंचायत का सहारा लिया। पंचों के सामने दोनों के बीच सुलह हो गई। हालांकि, राजीनामा के बाद भी तोरण पाल और जंडेल हरकतों से बाज नहीं आ रहे थे।
शिवानी और बिक्रम डेढ़ महीने से खेत पर रह रहे थे। एक दिन शिवानी को कुछ सामान की जरूरत पड़ी तो वो बिक्रम के साथ सामान लेने के लिए पुराने घर पहुंची। यहां फिर उनका सामना तोरण पाल से हो गया। तोरण पाल गुस्से से तमतमाया था। उसने तुरंत अपनी पत्नी राधा को बुलाया। बदले की आग को शांत करने के लिए शिवानी को चप्पलों से पिटवाया। बिक्रम चुप रहा। उसे लगा कि ऐसे इनका गुस्सा शांत होता है तो होने दो। वो पत्नी को चप्पलों से पिटता देखता रहा। उन्हें लगा कि अब बात खत्म हो ही जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
27 फरवरी को सुबह करीब 5 बजे शिवानी जागी। वह खेत की ओर जाने लगी। उधर, तोरण पाल और जंडेल भी बदले की आग में जले हुए बाहर बैठे थे। उन्हें पता चला कि शिवानी आ रही है। दोनों ने शिवानी को अगवा कर लिया। मुंह बंद कर कमरे में ले गए। यहां शिवानी के हाथ-पैर बांधे। उसकी जमकर पिटाई की। दोनों भाइयों ने ये भी ख्याल नहीं रखा कि वो प्रेग्नेंट है। दोनों ने उसके पेट पर मुक्के, लात-घूंसे मारे।
शिवानी आंखों में आंसू लिए रहम की भीख मांगती रही, लेकिन उनका दिल नहीं पसीजा। जब मारपीट से मन भर गया तो दोनों ने शिवानी को कमरे के कोने में पटक दिया। बिक्रम को जब इसका पता चला तो उसने पोहरी थाने पहुंचकर शिकायत की। पुलिस ने सुबह साढ़े आठ बजे शिवानी को मुक्त करवाया। इसके बाद पुलिस शिवानी को थाने ले गई। यहां तोरण पाल और जंडेल के खिलाफ मारपीट का केस दर्ज कर लिया।
मारपीट के कारण शिवानी को अंदरूनी चोटें आई थीं। 28 फरवरी की रात करीब 11 बजे शिवानी के पेट में अचानक तेज दर्द हुआ। कुछ देर बाद उसकी कोख में पल रहा तीन महीने का गर्भ गिर गया। शिवानी के लिए मिसकैरेज का दर्द असहनीय था। एक छोटे से विवाद की कीमत एक ऐसे बच्चे को जान देकर चुकानी पड़ी। जो अभी दुनिया में ही नहीं आ सका था। वह पूरी तरह विकसित भी नहीं हुआ था।
दोनों ने यह बात पुलिस को बताई। सुनवाई की मांग भी की, लेकिन पुलिस ने धाराएं नहीं बढ़ाईं। सुनवाई नहीं हुई, तो शिवानी मृत भ्रूण को लेकर लहूलुहान हालत में जनसुनवाई में चली गई। उसे इस हालत में देखकर कलेक्टर-एसपी के होश उड़ गए। उन्होंने मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल कार्रवाई के आदेश दिए। शिवानी को अस्पताल पहुंचाया।

तीन महीने के भ्रूण को भेजा जाएगा लैब
घटना के अगले दिन पुलिस ने तीन महीने के भ्रूण को कब्जे में ले लिया। मौत की पुष्टि के लिए भ्रूण को लैब में टेस्ट के लिए भेजा जाएगा। पुलिस ने भ्रूण को विशेष सॉल्यूशन में रखवा दिया है। पुलिस भ्रूण को दो अलग-अलग लैब में टेस्ट के लिए भेजने की तैयारी में है। जानकारी के अनुसार सबसे पहले भ्रूण को शिवपुरी मेडिकल कॉलेज की लैब में भेजा जाएगा। यहां पहले भ्रूण का DNA टेस्ट होगा। इसके बाद भ्रूण को FSL लैब ग्वालियर में जांच के लिए भेजा जाएगा। FSL लैब में पता लगाया जाएगा कि भ्रूण का मिसकैरेज कैसे हुआ। लैब से आने वाली रिपोर्ट के आधार पर जेल में बंद दोनों आरोपियों की सजा में इजाफा हो सकता है। क्योंकि इससे यह पता चल जाएगा कि मिसकैरेज पेट में लात-घूंसे मारने से तो नहीं हुआ।
10 साल की सजा का है प्राबधान
जांच अधिकारी अजाक डीएसपी दीपक सिंह तोमर बताते हैं कि दोनों आरोपी जेल में हैं। आरोपियों के खिलाफ भ्रूण हत्या (315) की धाराओं में इजाफा किया गया है। भ्रूण को जांच के लिए लैब में भेजने की तैयारी है। इसके लिए डॉक्टर, वकीलों से ओपिनियन ले रहे हैं। इसके बाद कार्रवाई की जाएगी। मामले में वकील संजीव बिलगैयां का कहना है कि पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ भ्रूण हत्या (315) की धाराओं में इजाफा ताे कर दिया है, लेकिन भ्रूण हत्या को काेर्ट में भी साबित करना होगा।
यह भी बताना होगा कि उक्त भ्रूण इसी दंपती का है। इसके अलावा, FSL लैब भेजकर मौत के कारण को भी पुख्ता करना होगा। ऐसे में भ्रूण का डीएनए टेस्ट और FSL लैब की रिपोर्ट काफी अहम होगी। इसी आधार पर आरोपियों की सजा तय होगी। यदि भ्रूण हत्या साबित होती है तो आरोपी को 10 साल की सजा के साथ जुर्माने का प्रावधान है। यह गैर जमानती धारा है।