वाह से प्रशासनः 30 साल से नहीं है सोनचिरैया,खर्च बराबर,मंत्री की रिपोर्ट में खुलासा,5 साल में हजम कर गए सवा करोड

शिवपुरी। जिले में भ्रष्टाचार अपने पूरे चर्म पर है। यहां अधिकारी खुलेआम प्रशासन को चूना लगा रहे है। परंतु हिस्सेदारी पूरी होने से किसी भी विभाग में कब करोडों का भ्रष्टाचार उजागर हो जाए कहा नहीं जा सकता। ऐसा ही मामला आज प्रकाश में आया है। जहां मध्यप्रदेश के सोनचिरैया सेंक्चुरी में 30 साल पहले यानी वर्ष 1993 के बाद सोनचिरैया नहीं देखी गई लेकिन उसके नाम पर सरकार खर्च बराबर करती रही। पिछले पांच साल में ही सेंक्चुरी में सवा करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च हो चुके हैं। विधानसभा में वन मंत्री विजय शाह की रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है। जानकारी में बताया गया कि अन्य पशु.पक्षियों के संरक्षण और संवर्धन पर यह राशि खर्च हुई है। इसे लेकर करैरा विधायक प्रागीलाल जाटव ने सवाल उठाए हैं।
शिवपुरी जिले की करैरा विधानसभा से कांग्रेस विधायक जाटव ने अभयारण्य क्षेत्र में अवैध रेतए पत्थर उत्खनन की शिकायत भी की थी। तीन बिंदुओं पर विधानसभा में सवाल पूछा गया था। मंत्री शाह ने जवाब में कहा कि वर्ष 1993 के बाद सोनचिरैया दिखाई नहीं दीए लेकिन अभयारण्य क्षेत्र में अन्य वन्य पशु.पक्षी मौजूद रहे हैं। पांच साल में अभयारण्य में राशि खर्च की गई।
हर साल औसतन 26 लाख खर्च
वर्ष 2017.18 से अब 2021.22 तक कुल 1 करोड़ 29 लाख रुपए से ज्यादा खर्च हो चुके हैं। यानीए हर साल औसतन 26 लाख रुपए अभयारण्य पर खर्च किए गए। सबसे ज्यादा वर्ष 2021.22 में 31 लाख 58 लाख रुपए खर्च किए गए हैं।
दो महीने पहले अभयारण्य को खत्म करने का डिनोटिफिकेशन
राष्ट्रीय वन्य प्राणी बोर्ड से करैरा अभयारण्य के डिनोटिफिकेशन की अनुशंसा मिल चुकी है। सरकार ने भी इसे खत्म करने की कार्यवाही की है। इस फैसले से 32 गांव के लोग खुश हैंए क्योंकि अभयारण्य के कारण किसानों का जमीन पर मालिकाना हक नहीं था। इस कारण दूसरे गांव के लोग यहां बेटी नहीं ब्याहते थे। अब ग्रामीण इस बात ये खुश हैं कि उन्हें जमीन का मालिकाना हक मिल रहा है। बेटों की शादियां भी हो जाएंगी।
32 गांव के लोग कर रहे थे प्रदर्शन
सोनचिरैया अभयारण्य में घाटीगांव के 512 वर्ग किमी क्षेत्र में से 111ण्73 वर्ग किमी और करैरा के 202ण्12 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र की जमीन शामिल थी। यहां आखिरी बार 1993 में सोनचिरैया देखी गई थी। इसके बाद से नरवर समेत करैरा तहसील क्षेत्र के लोग अभयारण्य को खत्म करने की मांग उठाने लगे थे। इसके लिए 32 गांव के लोग लगातार प्रदर्शन कर रहे थे। करैरा में अभयारण्य 202ण्21 वर्ग फीट में फैला है। किसानों की निजी जमीन पर खरीद.बिक्री पर रोक लगाई गई थी। किसान रजिस्ट्री तक नहीं करा सकते थे। ये किसान 40 साल से परेशान थे। यहां युवाओं की शादियां तक रुक गई थीं। मंत्री शाह ने विधानसभा में दी जानकारी में बताया कि डिनोटिफिकेशन के बाद कृषि भूमि का क्रय.विक्रय हो सकेगा।