शिवपुरी में उज्ज्वला योजना बनी SHOW PEES : 45 हजार सिलेंडर घरों में रखे है, चूल्हे पर बन रही है रोटियां

शिवपुरी। एक तरफ तो प्रधानमंत्री मोदी ने उज्जवला योजना प्रारम्भ कर महिलाओं के लिए सुविधा की है परंतु दूसरी ओर इस योजना पर महंगाई डायन ने ग्रहण लगा दिया है। महंगाई से लडते लडते इस योजना की चमक फीकी हो गई,इस कारण महिलाओं के आंशू निकल रहे है। जिसके चलते अब महिलाओं ने जबरन में सिलेण्डर से दूरी बना ली है।

शिवपुरी जिले में लगभग 50 हजार घरो में सिलेंडर अब शोपीस हो चुके है,घर की किसी कोने में पड़ा है। महगाई के कारण सिलेंडर दूर हो गए और महिलाओं ने फिर से मिट्टी के चूल्हे जलाना शुरू कर दिए है। आंकड़ों पर गौर करे तो उज्जवला योजना के तहत शिवपुरी जिले में बांटे गए सिलेंडर पुनः रिफिल होना बंद हो गए है। केवल इस योजना के 30 प्रतिशत सिलेंडर रिफिल हो रहे है।

जब उज्जवला योजना देश में शुरू हुई थी जब मात्र 400 रुपए का गैस सिलेंडर था जब शत प्रतिशत उज्ज्वला का सिलेंडर रिफिल होता था। धीरे धीरे महंगाई बढ़ती गई और अब सिलेंडर 1100 रुपए का हो गया,उज्ज्वला का महंगाई से लडते लडते दम फूलने लगा और वह थक गई,और थक हार कर घर के कोने में पडे सिलेंडर के रूप रखे सुबक रही है।

इस कारण महिलाएं फिर लकडी के चूल्हे पर खाना बनाने लगी उज्ज्वला का दम निकलने पर महिलाओं के फिर से आंसू निकलने लगे है,स्वास्थ्य पर भी विपरीत असर पडने लगा है। उज्जवला योजना की तरह समय से पहले ही रिटायर होने के संकेत शरीर देने लगा है।

सब्सिडी अधिक है फिर भी उज्जवला की चमक फीकी
यदि उज्जवला योजना के तहत मिलने वाले सिलेंडर और सामान्य परिवार को मिलने वाले सिलेंडर पर सब्सिडी की बात करें इसमें करीब पांच गुना का अंतर है। उज्जवला योजना के तहत 256 रुपये की सब्सिडी मिलती है यानी 12 सिलेंडर साल भर में भरवाए तो कुल सब्सिडी 3072 रुपये होती है।

वहीं आम आदमी की महज 56 रुपये की ही सब्सिडी मिलती है जिससे साल भर में 672 रुपये की सब्सिडी ही मिल सकती है। दोनों में 2400 रुपये का फर्क है।

विशेषज्ञों के अनुसार गैस सिलेंडर और चूल्हे की लेकर जो वैज्ञानिक अध्ययन हुआ है उसके अनुसार चूल्हे की लकड़ी से निकलने वाला धुआं 1200 सिगरेट के धुएं के बराबर हानिकारक होता है। ऐसे में ब्रोंकाइटिस आंखों की बीमारियों के साथ दमे की बीमारी से बचाव करना है तो महिलाओं की पारंपरिक चूल्हे से दूरी बनानी होगी।

इसे ध्यान में रखते हुए ही उज्जवला योजना लागू की गई थी जिससे महिलाओं को धुएँ के दुष्प्रभावों से बचाया जा सके। दूसरा चूल्हे में लकड़ी का इस्तेमाल नहीं होगा तो पर्यावरण को भी लाभ मिलेगा।

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