शिवपुरी में राजे के खिलाफ कांग्रेस से चुनाब लडने का मूड बना रहे है पूर्व विधायक हरीवल्लभ शुक्ला और गणेश गौतम

अशोक कोचेटा @ शिवपुरी। जिले की शिवपुरी विधानसभा से यशोधरा राजे सिंधिया के सामने टिकिट को लेकर कांग्रेस पाटी परेशान है कि यशोधरा राजे सिंधिया को हराने के लिए ऐसा चेहरा मिले जो इन्हें चुनाव हरा सके। कांग्रेस ने पिछले चुनाव में सिद्दार्थ लडा को यहां से टिकिट दिया था। परंतु वह पूरी तरह से फिस्सडी सावित हुए और बोट डलने से पहले ही वह अपनी हार स्वीकार कर घर बैठ गए थे। जिसके चलते अब कांग्रेस के साथ हालात बदल गए अब शिवपुरी विधानसभा से कांग्रेस को ऐसे प्रत्याशी की तलाश है तो यशोधरा राजे सिंधिया का डट कर सामना कर सके।

शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र जहां से प्रदेश सरकार की मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया चार बार चुनाव जीत चुकी हैं। वहां से 1980 में चुनाव जीते गणेश गौतम और हरिवल्लभ शुक्ला 2023 के विधानसभा चुनाव में लडऩे की तैयारी कर रहे हैं। खास बात यह है कि गणेश गौतम और हरिवल्लभ शुक्ला यशोधरा राजे सिंधिया से पराजित भी हो चुके हैं।

दोनों नेताओं में साम्यता यह भी है कि कांग्रेस से दोनों का राजनैतिक जीवन शुरू हुआ। लेकिन अनेक दलों से होते हुए अब राजनीति के उत्तरार्ध में दोनों ही कांग्रेस में हैं। यह भी साम्यता है कि गणेश गौतम और हरिवल्लभ शुक्ला दोनों ही सजातीय हैं और दो बार विधायक रह चुके हैं। अंतर है तो सिर्फ यह कि गणेश जहां शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र से दो बार कांग्रेस से विधायक रहे।

वहीं हरिवल्लभ शुक्ला एक बार कांग्रेस और दूसरी बार समानता दल से पोहरी विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे। गणेश गौतम जहां 4 बार पराजित हो चुके हैं। वहीं हरिवल्लभ शुक्ला एक बार शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र से और दो बार पोहरी विधानसभा क्षेत्र से हार चुके हैं।

हालांकि इन दोनों के अलावा कांग्रेस के कई युवा नेता भी चुनाव लडऩे का स्वप्र देख रहे हैं। राजनैतिक हल्कों में यह भी चर्चा है कि भाजपा के एक विधायक भी टिकट न मिलने की स्थिति में शिवपुरी से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतर सकते हैं। इससे स्पष्ट है कि 2023 के विधानसभा चुनाव में शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस में टिकट के लिए जोरदार घमासान के आसार हैं।

1980 में स्व. माधवराव सिंधिया कांंग्रेस में शामिल हुए थे और कांग्रेस में उनके शामिल होने के बाद इस दल में ग्वालियर चंबल संभाग में जान आ गई थी। श्री सिंधिया की अनुशंसा पर कांग्रेस ने शिवपुरी जिले की 5 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए थे और वे सभी विजयी होने में सफल रहे थे। इनमें शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र से गणेश गौतम और पोहरी विधानसभा क्षेत्र से हरिवल्लभ शुक्ला भी शामिल हैं।

उस समय श्री गौतम और श्री शुक्ला कट्टर सिंधिया समर्थक थे। लेकिन 1980 में प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने के बाद हरिवल्लभ शुक्ला ने सिंधिया खैमे से पल्ला झाड़कर शुक्ल खैमे में अपनी आमद दर्ज कराई। जिसके परिणामस्वरूप 1985 में उन्हें पोहरी से टिकट नहीं मिला। लेकिन गणेश गौतम 1985 में भी शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में विजयी रहे।

हरिवल्लभ शुक्ला इसके बाद 2003 में समानता दल के प्रत्याशी के रूप में पोहरी विधानसभा क्षेत्र से विजयी रहे। लेकिन 1985 के बाद गणेश गौतम और 2003 के चुनाव के बाद हरिवल्लभ शुक्ला चुनाव नहीं जीत सके। गणेश गौतम इसके बाद 4 बार विधायक पद का चुनाव शिवपुरी से लड़े। लेकिन चारों बार वह पराजित हुए। 1989 में वह कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में भाजपा उम्मीदवार स्व. सुशील बहादुर अष्ठाना से पराजित हुए।

2003 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर से उन्हें उम्मीदवार बनाया और वह यशोधरा राजे सिंधिया से पराजित हुए। 2007 ेके शिवपुरी विधानसभा उपचुनाव में वह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए और भाजपा ने उन्हें उम्मीदवार बनाया। लेकिन प्रदेश सरकार की पूरी ताकत के बावजूद वह कांग्रेस उम्मीदवार वीरेंद्र रघुवंशी से पराजित हो गए। इसके बाद 2008 के विधानसभा चुनाव में वह पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती की भारतीय जनशक्ति पार्टी से चुनाव लड़े।

लेकिन मामूली अंतर से वह पराजित हो गए। इसके बाद वह भाजपा से होते हुए पुन: कांग्रेस में आ गए हैं। जहां तक हरिवल्लभ शुक्ला का सवाल है 1980 का चुनाव पोहरी से जीतने के बाद और सिंधिया खैमे से दूरी बनाने के कारण उन्हें लंबे समय तक टिकट के लिए इंतजार करना पड़ा। इस दौरान उन्होंने पोहरी विधानसभा क्षेत्र में कांगे्रस टिकट न मिलने के बावजूद ताकत दिखाई और अपने बड़े भाई को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में 1993 में विधानसभा चुनाव लड़ाया। लेकिन वह कुछ ही मतों से चुनाव हार गए।

लेकिन इस चुनाव से पोहरी में हरिवल्लभ शुक्ला अपनी ताकत का लोहा मनवाने में सफल रहे। 1998 में कांग्रेस ने उन्हें पोहरी से तो टिकट नहीं दिया। लेकिन शिवपुरी विधानसभा चुनाव में उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में भाजपा प्रत्याशी यशोधरा राजे सिंधिया के खिलाफ चुनाव मैदान में उतार दिया। यशोधरा राजे सिंधिया का वह पहला चुनाव था। लेकिन हरिवल्लभ शुक्ला ने काफी मजबूती से जनाधार सम्पन्न यशोधरा राजे सिंधिया से मुकाबला किया और मात्र 6 हजार मतों से वह पराजित हुए।

2003 के विधानसभा चुनाव में जब कांग्रेस ने उन्हें पोहरी से टिकट नहीं दिया तो वह समानता दल के प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतर गए। उस चुनाव में श्री शुक्ला ने भाजपा विधायक बिरथरे की जमानत जप्त करा दी और कांगे्रस प्रत्याशी बैजंती वर्मा को पराजित कर चुनाव जीत गए। इसके बाद उनकी लोकप्रियता इस हद तक परवान चढ़ी कि भाजपा ने उन्हें ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ 2004 में गुना शिवपुरी लोकसभा क्षेत्र से टिकट दे दिया।

यह चुनाव भी श्री शुक्ला काफी मजबूती और दमदारी से लड़े और सिंधिया की जीत का अंतर उन्होंने काफी कम कर दिया। 2008 के विधानसभा चुनाव में जब भाजपा ने उन्हें पोहरी से टिकट नहीं दिया तो बसपा प्रत्याशी के रूप में हरिवल्लभ चुनाव में कूंद पड़े। लेकिन वह भाजपा प्रत्याशी प्रहलाद भारती से पराजित हो गए। इसके बाद हरिवल्लभ शुक्ला 2020 के पोहरी विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़े। लेकिन जातीय समीकरणों के कारण बुरी तरह पराजित हुए। इस तरह से पोहरी से उनका मोह भंग हो गया और अब वह शिवपुरी से चुनाव लडऩे का मन बना रहे हैं।

इनका कहना है-
2023 का चुनाव मेरे राजनैतिक जीवन का अंतिम चुनाव होगा और टिकट लाने के लिए मैं पूरी कोशिश करूंगा। पार्टी ने मुझे टिकट दिया तो मैं पूरी दमदारी से चुनाव लडूंगा। कोई कसर नहीं छोडूंगा। वैसे भी शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र में मेरा सम्पर्क शहर के अलावा गांव-गांव में है।
गणेश गौतम, पूर्व विधायक शिवपुरी

इनका कहना है-
मैं शिवपुरी से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रहा हूं। 1998 में शिवपुरी की जनता ने मुझे भरपूर समर्थन दिया था। एक बार फिर से और शायद अंतिम बार कोशिश करूंगा। मेरे सहयोगी भी मुझपर चुनाव लडऩे के लिए दबाव डाल रहे हैं।
हरिवल्लभ शुक्ला, पूर्व विधायक

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